वक्त बीत जाता है लेकिन यादें नहीं जाती। अपनी पाक-साफ और हक की लड़ाई के लिए अपनी जान लगा देने वाले देश के सातवें प्रधानमंत्री आज हमारे बीच में नहीं हैं। उनकी यादें और उनकी राजनीति के प्रति समर्पण की भावना आज भी उनकी माफिक हमारे बीच जिंदा है। भारत के सातवें प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह की पुण्यतिथि के बीच आज की उनका जनता के प्रति समर्पण उस अगुवाई को तरसता है। हालांकि इस बीच कई किसानों के हितैषी आए लेकिन चौधरी चरण सिंह की भरपाई नहीं हो पाई। नतीजतन आज कई किसान बेरुखी और बेबसी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
-भारत के सातवें प्रधानमंत्री के बाद बेरंग हो गई किसानों और जाटों की राजनीति- भूमि अधिग्रहण से लेकर तमाम मामलों में एक लीडर के लिए तरस रहे हैं किसान