अपनी बात
पुलिस के बारे में लिखने के लिए सोचते ही दिमाग में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस रहे एएन मुल्ला की एक टिप्पणी कौंध जाती है—यूपी पुलिस इज बिगेस्ट आर्गेनाइज्ड गैंग आफ क्रिमिनल्स। न्यायमूर्ति मुल्ला की इस टिप्पणी का सच आज भी अपनी पूरी शिद्दत के साथ कायम है। पुलिस का जिक्र सुनते ही आम आदमी के कई बार रोंगटे खड़े हो जाते हैं। पुलिस की एक खूंखार छवि लोगों के दिमाग में घर कर चुकी है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि पुलिस वाले बिना गालियों के बात नहीं करते। सच उगलवाने के लिए हैवान बन जाते हैं। फर्जी एनकाउंटर में बेकुसूरों को मौत के घाट उतार देने में उनको मजा आता है। मासूम बच्चों के बाल पकड़कर धुनने में वह थ्रिल महसूस करते हैं। रिश्वत उनका धर्म-ईमान है। अपराधियों के साथ उनका याराना होता है और शरीफों को जूते की नोक पर रखती है। नेताओं के इशारे पर नाचती है और उनके लिए उल्टे-सीधे काम करती है।