सत्यजीत चौधरी
अमेरिका और यूरोप के कई देशों में इस साल सर्दियों की मस्ती नहीं है, गुस्से की गर्माहट है। खून जमा देने वाली सर्द हवाओं के बीच लोग क्रिसमस मनाने के लिए नहीं, बल्कि पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ सड़कों पर डेरे डाले बैठे हैं। लंदन के एक चर्चयार्ड में सेंट पॉल्स कैंप के आंदोलनकारियों को हटाने के लिए सरकार कोर्ट की शरण में जा पहुंची है। अमेरिका में भी विरोध -प्रदर्शन जारी हैं। शेयर मार्केट, मुक्त बाजार और पूंजीवादी अर्थतंत्र के विरुद्ध लोगों की नाराजगी सातवें आसमान पर है। यों कह सकते हैं कि लंबे समय के बाद दुनियाभर में बहुसंख्यक कामकाजी आबादी अल्पसंख्यक पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ उठ खड़ी हुई है। यह एक फीसद अमीरों के खिलाफ निनान्बे फीसद आम आदमी की जंग है।
हर तरफ लोग गुस्से से लबालब हैं। लंदन के पूंजीवाद विरोधी प्रर्दानकारियों ने खनन क्षेत्र की बड़ी कंपनी एक्स्ट्रॉटा के मुख्यालय पर धावा बोला और कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को निशाना बनाने की कोशिश की।