शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2010

यह जिला क्राइम कैपिटल नहीं है!

सत्यजीत चौधरी

     विश्व में क्राइम वाले टॉप टेन देशों में भले ही भारत का नंबर सबसे अंत में आता हो, लेकिन देश में अपराध के मामले में मुजफ्फरनगर जिला सर-ए-फेहरिस्त है। यानी सबसे ऊपर। मैं इसी जनपद में पैदा हुआ। बचपन यहीं गुजारा। मंसे यहीं भीगीं। मैं इस जिले पर फिदा हूं, लेकिन पिछले दिनों मुझे यह सुनकर धक्का लगा कि मुजफ्फरनगर की 'शोहरत' पूरी दुनिया में है। एक बार ट्रेन में सफर कर रहा था। मेरे सामने की सीट पर एक जर्मन बैठा था। ट्रेन जब मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन पर पहुंची तो जर्मन ने उत्सुकता से पूछा कि हम कहां हैं। जैसे ही मैंने मुजफ्फरनगर का नाम लिया, उसके मुंह से निकला-हॉरेबल। जर्मन बताने लगा कि उसने कहीं साइट पर पढा है कि यह 'क्राइम कैपिटल ऑफ इंडिया' है।        बहुत पहले, जब मैं 'अमर उजाला' में प्रसार विभाग में था तो पहली बार मुझे यह जानकर धक्का लगा था कि मुजफ्फरनगर एडिशन के लिए डेस्क को पंद्रह मिनट का ग्रेस टाइम मिलता था, ताकि क्राइम की लेट नाइट खबरें भी कवर हो सकें। क्या वाकई मुजफ्फरनगर क्राइम कैपिटल है? सच बोला जाए तो हां। लोग रात में बाई रोड इस जिले से होकर नहीं गुजरते। कई इलाकों में शाम के बाद लडकियां घर से बाहर नहीं निकलतीं। बैंक से कैश लाते-ले जाते लोगों की कांपती रूप हनुमान चालीसा का पाठ करती रहती है। बच्चों को स्कूल छोडïऩे औैर लाने में अभिभावक विशेष सतर्कता बरतते हैं।
        कभी मैं सोचता हूं कि क्या यह वही जिला है, चीनी, स्टील और कागज के उत्पादन में सबसे आगे है। यहां विश्व की सबसे बड़ी गुड़ मंडी है। यहां का शामली कस्बा पूरे देश में सबसे ज्यादा एलआईसी प्रीमियम भरता है। साक्षरता दर में यह जिला प्रदेश के कई जनपदों से आगे है। यहां लोग धर्मभीरू हैं। कांवड़ यात्रा हो या बाला जी की यात्रा।
        जगन्नाथ जी का रथ हो या गणपति का श्रंगार, इस शहर के लोग करोड़ रुपए इन आयोजनों पर खर्च करते हैं। इन तमाम खूबियों के बावजूद इस जिले पर 'क्राइम कैपिटल' का ठप्पा लगा है तो इसकी कुछ वजहें तो होंगी ही। मुजफ्फरनगर के इतिहास की बात करें तो इस जिले में अपराध को लेकर अंग्रेज भी परेशान रहते थे। तब संगठित अपराध नहीं होते। मवेशियों की चोरी आम थी। इसके अलावा डकैतियां और राहजनी की वारदात सबसे ज्यादा दर्ज होती। ब्रिटिशकालीन जिले के एक गजट पर नजर डाली जाए तो हैरत होती है कि १८६५ से लेकर १८७४ के बीच औसतन हत्या की पांच वारदात को अंग्रेज पुलिस अफसर बहुत ज्यादा माने थे। 'गजटियर ऑफ मुजफ्फरनगर' में दर्ज है कि तब अपराध के पीछे घुमंतू जातियों कंजर, नट, बावरिये और सांसियों का हाथ ज्यादा होता था। अंग्रेज सबसे ज्यादा बावरियों से परेशान रहते थे। लूटपाट करने के उनके तरीकों के बारे में कई ब्रिटिश अफसरों ने नमक-मिर्च लगाकर लिखा है। जाट और गूजरों के बीच सामाजिक अपराध ज्यादा होते थे। मुजफ्फरनगर में कड़क किस्म का पुलिस कप्तान रखा जाता था।

कुछ रोचक तथ्य
1-मुगल शासन को प्रमोट करने में थिंक टैंक की भूमिका अदा करने वाले सैयद बंधु जानसठ से ताल्लुक रखते थे।
2-पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री लियाकत अली खान मुजफ्फरनगर के रहने वाले थे।
3-स्व. मुनव्वर हसन १९९१-२००५ के बीच छह बार भारत के चार सदनों, विधान सभा, विधान परिषद, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रहे।
4-जिले के यूसुफपुर गांव के रमेश चंद धीमान ने ३.१२ मिलीमीटर की कैंची और ४.५० मिलीमीटर का रेजर बनाकर गिनीज बुक में नाम दर्ज कराया था।

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