बुधवार, 15 जून 2011

अब अन्ना की बारी

सत्यजीत चौधरी
     बाबा रामदेव को रामलीला मैदान से उठाकर गुमनामी के गर्त में धकेल देने में कामयाबी हो चुकी केंद्र सरकार अब अन्ना हजारे पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। बाबा रामदेव को संघ के समर्थन की बात करने वाली कांग्रेस ने अब अन्ना को •ाी संघ समर्थक बताकर एक नए बवाल को जन्म दे दिया है। यह बवाल अब अन्ना के लिए मुश्किलें पैदा करने वाला साबित होने जा रहा है। हालांकि अन्ना हजारे भी जी जान से पलटवार करने में लग गए हैं, लेकिन सरकार के हौंसले अब बाबा रामदेव के बाद काफी ऊंचे दिखाई दे रहे हैं.
   
रामलीला मैदान में भगवा रंग का रूप क्या चढ़ा, जैसे कई महीनों से पसोपेश में जी रही कांग्रेस को एक मौका मिल गया। भ्रस्ताचार  खिलाफ बाबा की मुहिम को पलभर में राजनीतिक मामला बना दिया गया। राजनीति के तहत ही बाबा रामदेव को रामलीला मैदान से उठाकर देहरादून में वापस •ोज दिया गया। बाबा के खिलाफ हुई इस कार्रवाई पर हालांकि चारो ओर आलोचना हुई लेकिन इससे केंद्र सरकार को एक नया रास्ता मिल गया। अब सरकार ने अन्ना को •ाी बाबा की तर्ज पर लपेटने का प्लान तैयार कर लिया है। कांग्रेस के थिंक टैंक ने इसकी शुरुआत •ाी कर दी है। एक ओर जहां अन्ना हजारे को संघ समर्थक बताकर उन्हें कुछ गलत कदम उठाने के लिए उकसाने की योजना पर अमल शुरू हो गया है तो दूसरी ओर अब सरकार अन्ना की आय व्यय का ब्यौरा जुटाने में •ाी लग गई है। सरकार के इस कदम ने अन्ना हजारे के लिए •ाी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बेबस अन्ना ने दिल्ली में एक दिन का अनशन करने के बाद सरकार को और मौका मिल गया है। अब सरकार ने सीधे अपने तीर अन्ना पर चलाने शुरू कर दिए हैं।
     मंगलवार को दिल्ली में जिस प्रकार अन्ना हजारे ने सरकार को जमकर कोसा, उससे जाहिर हो रहा है कि अन्ना अब सरकार के आमने-सामने होने को तैयार हो गए हैं। अन्ना ने केंद्र सरकार को •ा्रष्ट सरकार कहते हुए प्रणव मुखर्जी को •ाी जमकर कोसा। अन्ना का यह बदला हुआ तेवर बयां कर रहा है कि अब सबकुछ सामान्य नहीं हो रहा है। सरकार अपना काम करने में कामयाब होती दिखाई दे रही है। अब अगर कल अन्ना को भी लाठियों के दम पर खदेड़ दिया जाएगा तो इसमें कोई आतिश्योक्ति न होगी। अन्ना हजारे ने केंद्र को भरष्ट सरकार कहकर गेंद संघ के पाले में डाल दी है। कल तक सभी  राजनैतिक व्यक्तियों से पूर्ण परहेज करने वाले अन्ना को भी अब इस बात का डर सता रहा है कि कहीं  वह भी  बाबा रामदेव की तरह राजनैतिक मोहरा बनकर न रह जाएं।




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