मंगलवार, 14 जून 2011

लोकतंत्र का जंतर-मंतर फिर गुलजार

   जंतर-मंतर पर एक बार फिर रौनक शुरू हो गई है। रविवार तक बंदिशों के साए में रह रहे लोगों में एक बार फिर से एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है। लोग अपना डेरा-तंबू गाड़ने के साथ ही अपनी दुकानें भी सजाने लगे हैं। प्रदर्शनों के दौर का सिलसिला भी एक बार शुरू होने लगा है। ऐसे में जंतर-मंतर फिर नए आंदोलनों को मंच देने के लिए तैयार दिखाई दे रहा है।
    दिल्ली का जंतर-मंतर, नाम जेहन में आते ही धरने या प्रदर्शन दिमाग में कौंधने लगते हैं। बाबा रामदेव प्रकरण के बाद से जंतर-मंतर पर धारा 144 लागू हो गई थी। यहां रहने वाले शख्स हर पल दहशत के साए में जीने को मजबूर था। इस बीच कई लोगों ने तो दहशत और नुकसान होने की वजह से अपनी दुकानें ही कुछ दिनों के लिए बंद कर दी थी।
  हाल के अन्ना हजारे और फिर बाबा रामदेव के आंदोलनों ने जंतर-मंतर को एक बार फिर पूरी दुनिया में एक अलग पहचान दिलाई। इस बीच बाबा रामदेव प्रकरण होने के बाद जंतर मंतर पर धारा 144 लगाते हुए धरने और प्रदर्शनों पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि अन्ना हजारे ने एक दिन के अनशन के लिए जंतर-मंतर को ही बेहतर समझ था लेकिन इस पाबंदी की वजह से उन्हें राजघाट पर जाना पड़ा। कई दिनों का सूनापन ङोलने के बाद जंतर-मंतर एक बार फिर प्रदर्शनकारियों के साथ ही व्यवसाय चलाने वाले लेागों के लिए खुल चुका है।
  दुकानदार विनय गुप्ता ने बताया कि वह पिछले कई दिनों से काम न होने की वजह से परेशान थे। अब दुकानें खुल चुकी हैं तो उनके लिए मुश्किलें कम हो गई हैं। उन्होंने बताया कि अब काम काफी आसान हो जाएगा और उनकी रोजी- रोटी तो इसी से जुड़ी है। एक अन्य व्यवसाई नीरज प्रकाश ने बताया कि जब सरकार ने धारा 144 लगाकर आरपीएफ तैनात कर दी थी तो यहां के सूनेपन की वजह से उनका व्यवसाय भी सूना हो गया था। अब जब धारा हटाई गई है तो उन्हें काफी अच्छा लग रहा है।

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