शनिवार, 20 अगस्त 2011

आगे-आगे अन्ना की सवारी , पीछे-पीछे जनता सारी


सत्यजीत चौधरी
 स्वतंत्र भारत  के इतिहास में किसी जिंदा व्यक्ति के साथ शायद ही इतना बड़ा हुजूम चला हो। 68 घंटे तिहाड़ जेल में बिताने के बाद शुक्रवार की दोपहर जब अन्ना हजारे रामलीला मैदान जाने के लिए बाहर आए तो उनकी अगवानी के लिए पूरा जनसैलाब पलक-पांवड़े बिछाए खड़ा था। उसी वक्त उमस और गर्मी से निजात दिलाने के लिए इंद्र भगवान ने भी  अपनी रहमत बरसानी शुरू कर दी। मौसम हो या कोई भी  दुश्वारी, अन्ना की सवारी एक बार तिहाड़ जेल से निकली तो राजघाट होते हुए रामलीला मैदान में ही जाकर रुकी।
    तीन दिन सिर्फ पानी पर रह रहे अन्ना की बॉडी लैंग्वेज में गजब की फुर्ती और आत्मविश्वास दिखा। उनके तेवर और भी  प्रखर दिखे। जेल के गेट पर मौजूद हजारों समर्थकों से उन्होंने कहा, क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। अन्ना रहे न रहे क्रांति की मशाल जलती रहनी चाहिए। इस मशाल को बुझने न दें। आजादी के 64 साल बाद भी  हमें असली आजादी नहीं मिल पाई है। यह आजादी की दूसरी लड़ाई है। यह अत्याचार मुक्त भारत का आंदोलन है।
अन्ना का काफिला जहां—जहां से गुजरा, वहां—वहां लोग थम गए। बसों में बैठे लोग उतरकर जुलूस के साथ हो लिए। मायापुरी इंडस्ट्रियल एरिया में कामगार काम—काज छोड़ बाहर आ गए और हाथ हिलाकर अन्ना का अभिवादन करते दिखे। कारवां बढ़ने लगा तो लोगों के जुड़ने का सिलसिला भी बढ़ने लगा। महज कुछ सौ की तादाद का अंदाजा कुछ ही देर में कुछ हजार तक में बदलते हुए हजारों में तब्दील हो गया। अन्ना ने तिहाड़ जेल से निकलते हुए सीधे महात्मा गांधी की समाधिस्थल राजघाट पर अपना पहला ठहराव किया। उन्होंने बापू की प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाकर अपने इस आंदोलन के सफल होने की मनोकामना की। इसके बाद अन्ना ने यहां से रामलीला मैदान के लिए राह पकड़ी।
जैसे-जैसे अन्ना आगे बढ़ते जाते तो जैसे हुक्मरानों के दिलों की धड़कन भी  बढ़ती जाती। देखने में लग रहा था जैसे यह इतिहास पुरुष अब कुछ बदलाव लाकर ही चैन लेगा। उसने मन में ठानी है तो वह अब पीछे हटने वाला नहीं है। कांग्रेस ने भी  अन्ना के इस आंदोलन के लिए अपनी ओर से बधाई दी। रास्ते में जहां से भी  अन्ना की सवारी गुजरती, हर मां अपने बेटे को अन्ना बाबा के दर्शन कराती। हर देखने वाला अन्ना को मन ही मन अपना समर्थन और अ•िावादन करता। कई जगह तो अन्ना को देखने के लिए लोग बिल्कुल उस तरह टूटते दिखाई दे रहे थे मानो कोई फिल्मी हस्ती उस जगह पर अपने दर्शन देने आई हो। आम आदमी के हक की लड़ाई लड़ने वाले अन्ना को अब आम आदमी का पूरा समर्थन मिल रहा है। अन्ना के साथ रामलीला मैदान में हजारों की भीड़ भी  प्रविष्ठ हुई। इसके बाद अन्ना की गर्जना के साथ सबने हां में हां मिलाई। अन्ना के साथ जिस प्रकार से जनता का हुजूम जुड़ा है, वह शुक्रवार को दिल्ली में एक नए इतिहास में दर्ज हो गया।


 

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