बुधवार, 29 दिसंबर 2010

नए साल के लिए सत्यम्-शिवम्-सुंदरम् की कामना

सत्यजीत चौधरी
 गए साल को अलविदा कहना और नए साल का स्वागत कुछ-कुछ ऐसा होता है, जैसे एक ही दिन और एक ही समय आप रेलवे स्टेशन पर जाएं, किसी को सी-ऑफ करें और किसी को रिसीव कर घर ले आएं। किसी के जाने का गम है, लेकिन नए मेहमान के आने की खुशी भी है। लेकिन इस बार नए साल को विदा करते हुए बोझ-सा महसूस कर रहा हूं। पूरे साल का तख्मीना लगाता हूं तो लगता है कि यह साल वेवजह-सा निकल गया। कुछ कांक्रीट नहीं किया। कई दोस्तों से बात की, सबकी इसी तरह की फीलिंग रही। यार यह साल तो बेकार गया। 
   अपनी इस सोच को राष्ट्रीय राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य पर आरोपित करता हूं तो लगता है कि कुछ एक मामलों को छोड़ दिया जाए तो पूरा साल उपलब्धिविहीन रहा। अलबत्ता घपलों-घोटालों, महंगाई, नक्सलवाद-आतंकवाद ने पूरे साल को मथे रखा।
   महंगाई से शुरू करते हैं। सही बात तो यह साल 'डायन महंगाई के नाम रहा। इस डायन ने प्याज खाया, टमाटर और दीगर सब्जियां पेट में उतारीं, पेट्रोल पिया। सुनने में आया है कि अब डायन दिसंबर के अंत में रसोई गैस सूंघने और डीजल चखने के मूड में है। पूरे साल महंगाई को लेकर सरकार आंकड़ेबाजी करती रही। थोक मूल्य सूचकांक के फीगर इस बात कर इतराते रहे कि अनाज, सब्जियों और फलों के दामों में दस फीसद का इजाफा हुआ है, लेकिन सचाई तो यह है कि इस एक साल के दौरे कई चीजों के दाम दो-चौगुने बढ़े और आम आदमी की कमर दोहरी कर गए। कीमतों को लेकर सरकार सालभर दिलासे देती रही। प्रधानमंत्री आश्वासन देते दिखे कि महंगाई पर जल्द काबू पर लिया जाएगा। कृषि मंत्री शरद पवार ने भी बहलाने वाली बातों में साल निकाल दिया, लेकिन साल के अंतिम माह में महंगाई ने जो प्याज में डेरा डाला तो अस्सी के आंकड़े पर कई दिनों तक भारतनाट्यम करती रही।
   वैसे देखा जाए तो मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग पर कीमतों की रिले रेस इतना असर नहीं डालती, लेकिन निम्न वर्ग का तेल निकाल देती है। 'लक बाई चांस दिनभर में सौ-डेढ़ सौ कमाने वाला एक मजदूर अपना और परिवार के पेट की आग ठंडी करने में कमाई का अस्सी फीसद हिस्सा खर्च कर डालता है। नंगी नहाएगी क्या और निचोड़ीगी क्या।
   डायन के डांस के बीच सालभर करप्शन के तड़के लगते रहे। जहां से दरी हटाई वहीं भ्रष्टाचार के दर्शन हुए। नेता, नौकरशाह सभी काली कमाई से सने मिले। जो मामले सामने आए, उनमें टूजी स्पेट्रम घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स निर्माण घपला, आदर्श सोसायटी घोटाला, आईपीएल घोटाला, एलआईसी का हाउसिंग लोन घपला, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा से जुडï़ा भूमि घोटाला। टूजी घोटाले को लेकर विपक्ष और खासतौर से भाजपा ने संसद नहीं चलने दी। देश के संसदीय इतिहास में यह पहली बार हुआ कि पूरा का पूरा सत्र शून्य घोषित हो गया। भाजपा ने करप्शन के मुद्दे पर संसद नहीं चलने दी। पार्टी ने टूजी समेत कई मुद्दों पर केंद्र को घेरा, लेकिन कर्नाटक में अपनी सरकार के भूमि घोटाले पर पर्दा डालती नजर आई। बेशर्मी की हद तो तब हो गई, जब भाजपा हाईकमान के निर्देश के बावजूद राज्य के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने इस्तीफा नहीं दिया और ठस्से के साथ ओहदे पर बने हुए हैं।
     इस साल के बड़े घोटालों का नाम लिया जाए तो सबसे पहले भ्रष्टाचार के आदर्श रूप सामने आया यानी 'आदर्श सोसायटी घोटाला। इस स्कैम ने देश के रक्षा और राजनीति से जुड़े कई अहम लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। रिश्तेदारों को रेवड़ी की तरह फ्लैट्स बांटने के मामले में महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर अशोक चव्हाण की कुर्सी चली गई। राजनेताओं के साथ सेना के चालीस अफसरों के नाम भी आए। इसके बाद आया कॉमनवेल्थ गेम्स के निर्माण से जुड़ा महाघोटाला। अस्सी हजार करोड़ का हेरफेर कई नेता-अफसर के वारे-न्यारे कर गया। टूजी स्पेट्रम घोटाले के बारे में अनुमान है कि एक लाख सत्तर हजार करोड़ रुपए नेता (डी. राजा समेत) और अफसर डकार गए। इसी तरह, आईपीएल घोटाला, एलआईसी का हाउसिंग लोन गड़बड़झालों में भी अफसरों ने अरबों कमाए। 
    इस साल, सबसे चर्चित मामला विकीलीक्स का रहा। विकीलीक्स के मालिक असांजे ने किस्तों में जो कुछ लीक किया, उसने  अमेरिका समेत कई देशों को नंगा कर दिया। इन खुलासों में अच्छा खासा जिक्र भारत का भी था। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने किस तरह अमेरिका से 'हिंदू आतंकवाद की चुगली की। किस तरह, पाकिस्तान साजिशें रचता रहा और कैसे भारतीय सेना उसे काउंटर करने की रणनीति बनाती रही।
ऐसा नहीं है कि सब बुरा-बुरा हुआ। खेलों के मामले में हाल के वर्षों में यह साल सर्वश्रेष्ठ माना जाएागा। हरियाणा के छोरों और छोरियों ने कॉमनवेल्थ गेस्म और फिर एशियाड में देश का परचम फहराया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई खिलाडिय़ों ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। सचिन तो सिरमौर रहे। उन्होंने अपने कैरियर का पचासवां शतक लगाकर पूरी दुनिया में भारत का झंडा ऊंचा किया।
      इस साल अयोध्या में विवादित भूमि पर मालिकाना अधिकार को लेकर हाईकोर्ट का फैसला आया। निर्णय को लेकर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन जिस तरह से लोगों ने  तीस सितंबर को फैसला सुनने के बाद धैर्य और सौहार्द का परिचय दिया, वह काबिल-ए-तारीफ है।
 सदैव सत्यम्-शिवम्-सुंदरम् की कामना करते रहना हमारी परंपरा है। २०११ देश और इस देश के नागरिकों के लिए अच्छा बीते, महंगाई डायन पर लगाम लगे, भ्रष्टाचार का नाश हो और देश चला रहे नेताओं और नौकरशाहों को सद्बुद्धि आए, बस यही कामना है। 

1 टिप्पणी:

नया सवेरा ने कहा…

... ghotaalon kaa saal ... alvidaa-2010 !!!