शनिवार, 1 अक्तूबर 2011

हरित प्रदेश पर पड़ी प्रबुद्धनगर के गठन की छाया

सत्यजीत चौधरी
  पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तीन नए जिलों के सृजन की मुख्यमंत्री मायायती की शतरंजी चाल ने समूची यूपी सियासी भूचाल पैदा कर दिया है। विरोधियों को नए जिलों के बारे में खबर तो पहले ही मिल गई थी, लेकिन मायावती ने जिस तरह एक ही दिन में ताबड़तोड़ घोषणाएं कीं, उसने सबको भौचक्का करके रख दिया है। सभी दल फैसले से बदलने वाले राजनीतिक, क्षेत्रीय और जातीय समीकरण पर मंथन कर रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा गुस्से में हैं छोटे चौधरी यानी अजित सिंह। उन्हें अपने हरित प्रदेश का सपना उजड़ता दिखाई दे रहा है।
    पिछले दिनों जाटों और मुसलमानों के लिए आरक्षण दिलाने की मांग के साथ केंद्र सरकार को दो-दो पत्र लिख चुकीं मायावती ने शामली को प्रबुद्धनगर में रूपांतरण कर सबसे ज्यादा अजित सिंह को नुकसान पहुंचाया है। जातीय समीकरण को दिमाग में रखकर रचे गए प्रबुद्धनगर के नाम को लेकर रालोद प्रमुख सबसे ज्यादा खफा हैं। उनका कहना है कि जिलों या सार्वजनिक संस्थानों के नामकरण से पहले सरकार को बेसिक गाइडलाइंस का निर्वहन करना चाहिए। वह मशहूर लेखक रस्किन बॉन्ड की कहानियों के संकलन टाइम स्टॉप्स एट शामली का हवाला देते हैं। वह कहते हैं कि इतना बड़ा लेकर खुद पर बुनी गई कहानियों के संकलन को शामली को समर्पित करता है और मायावती ने एक झटके में शामली की पहचान को मिटाने का काम किया है। यह भी कहते हैं कि शामली के गुड़ की सोंधी महक से क्या प्रबुद्धनगर को जोड़ा जा सकेगा। मायावती ने नामकरण करते समय स्थानीय जनता की आकांक्षाओं को पूरी तरह से नजरंदाज किया।
     इस बारे में  संक्षित बातचीत में अजित सिंह ने कहा कि मायावती का यह कदम सियासी स्टंट है। सिर्फ दो तहसीलों, कैराना और शामली को मिलाकर एक जिला बना डालना कहां की बुद्धिमत्ता है। उन्होंने कहा जाटों को आरक्षण देने के बारे में मायावती ने केंद्र को जो पत्र लिखा है, वह सियासी बाजीगरी के अलावा कुछ नहीं। उन्होंने मुख्यमंत्री का उपहास उड़ाया और कहा वह कुछ कर लें, जाट रालोद के साथ था, है और रहेगा। । उन्होंने कहा कि पार्टी पहले भी छोटे राज्य एवं जनपद बनाये जाने की वकालत कर चुकी है लेकिन वह भी जनसंख्या व क्षेत्रफल को देखकर तय किया जाना सिर्फ जाति के आधार पर ऐसा निर्णय लेना उचित नहीं है। 
   जाट राजनीति की नव्ज समझने वाले भी मानते हैं कि जाट समुदाय अजित सिंह को छोड़कर कहीं नहीं जाएगा। इस नए जिले के गठन से अजित सिंह के हरित प्रदेश की मुहिम को अलबत्ता झटका लगा है। सरकार के नफे-नुकसान की बात की जाए तो मुसलिम वोट अलबत्ता हाथी के पक्ष में लामबंद हो सकते हैं और इसमें सभी पार्टियों का नुकसान है।

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