गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

बस चुनावी एजेंडे पर "फांस" बाकी

सत्यजीत चौधरी
 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और रास्ट्रीय लोकदल के बीच गठबंधन अवश्यंभावी है, लेकिन कई पेंच और गांठें दोनों दलों को मंथन की प्रक्रिया में डाले हुए है। दोनों पार्टिंयों के बीच उन बाधाओं पर बातचीत जारी है और अगर सहमति के बीच आ रही बाधाएं पार कर ली जाती हैं तो एक-दो दिन में दिल्ली में रालोद और कांग्रेस साझा प्रेस कांफ्रेंस बुला सकते हैं।
कुछ महीने पहले छोटे चौधरी यानी अजित सिंह ने जब कुछ छोटे दलों को मिलाकर लोकक्रांति मोर्चा का गठन किया था, तब किसी ने सोचा नहीं था कि इसमें इतने दल शामिल हो जाएंगे कि अजित सिंह गठबंधन की शर्तों को लेकर कांग्रेस पर भारी पड़ेंगे। कांग्रेस की दूसरी सूची से साफ हो गया है कि पार्टी ने रालोद को ध्यान में रखकर सीटों पर नाम तय किए हैं। यानी अजित सिंह के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी स्पेस रखा गया है। कांग्रेस ने बुलंदशहर की अतरौली, आगरा की फतेहपुर सीकरी और शामली सीट स्पेयर रखी है। लोकक्रांति मोर्चा की ताकत से लबरेज रालोद नेतृत्व पश्चिमी यूपी में साठ सीटों की मांग कर रहा है, जबकि कांग्रेस चालीस सीटें देने के लिए तैयार हो गई है। सूत्रों की मानें तो बीस सीटों पर भी सहमति के आसार हैं और कांग्रेस को रालोद की शर्तों के सामने झुकना पड़ेगा।
सीटों के बंटवारे के साथ ही चुनावी एजेंडे को लेकर भी फांस अटकी है। रालोद महासचिव जयंत चौधरी चाहते हैं कि चुनाव से पहले जाट आरक्षण को लेकर कांग्रेस अपने पत्ते खोल दे। उनका मानना है कि ओबीसी कोटे के तहत केंद्रीय नौकरियों में जाटों के लिए अगर सीटें रिजर्व करने पर कोई नीतिगत फैसला लेने का वक्त आता है तो उसमें रालोद को शामिल किया जाए और इसपर सरकार उनकी पार्टी के साथ साझा बयान जारी करे।
दूसरा रोड़ा है भूमि अधिग्रहण कानून का। भूमि अधिग्रहण बिल का जो मसविदा सरकार ने लोकसभा में पेश किया है, उससे रालोद और विशेष रूप से जयंत चौधरी सहमत नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक इस बारे में संसद में भूमि अधिग्रहण कानून पर निजी बिल पेश कर चुके जयंत चाहते हैं कि बिल का ड्राफ्ट्र फाइनल करते समय उनके सुझावों को भी शामिल किया जाए। इस बारे में कांग्रेस नेताओं के साथ बातचीत में पार्टी ने दो—टूक कह भी दिया है।
इसके साथ ही रालोद पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उन विकास योजनाओं को गति दिलाना चाहती है, जिनकी लगाम केंद्र सरकार के हाथ है। पार्टी ने वेस्टर्न यूपी में रेल विस्तार को भी बातचीत में ऊपर रखा है।
इस गठबंधन में पर्दे के पीछे चल रहे कुछ खेल भी बाधा डाल रहे हैं। लोकक्रांति मोर्चा के एक अहम घटक पीस पार्टी को कांग्रेस ने चुग्गा डाला या अतिविश्वास का शिकार होकर खुद पार्टी कांग्रेस के द्वार जा पहुंची, इसका तो पता नहीं, लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश में कई सीटों को लेकर पीस पार्टी आॅफ इंडिया और कांग्रेस के बीच बात चल रही है। बागपत से प्रत्याशी खड़ा करने का साफ संकेत देकर पीस पार्टी के महासचिव एमजे खान स्पष्ट कर चुके हैं कि वह छोटे चौधरी का दामन छोड़कर कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सकते हैं। इस बारे में रालोद के सूत्रों का कहना है कि लोकक्रांति मोर्चा के किसी भी घटक के अलग होने से रालोद की ताकत पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

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