मंगलवार, 3 जनवरी 2012

बसपा, भ्रष्टाचार और बगावत

सत्यजीत चौधरी
पांच साल पहले जब मायावती ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी तो उनके तेवर और ईमानदार छवि, दोनों ही जनता के दिलो दिमाग में चलती थी। पांच साल बीतने के साथ ही जनता के बीच मायावती की घटी लोकप्रियता बयां करती है कि कहीं न कहीं बसपा का ग्राफ इस बार घटा है। अपनी इज्जत को बरकरार रखने के लिए हालांकि मायावती ने एक या दो नहीं 20 मंत्रियों और दूसरे नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इनमें से कुछ को पार्टी से भी  निस्कासित कर दिया है तो कुछ का ओहदा उनसे छीन लिया गया है। हालांकि जिन लोगों को ओहदा छीना गया है, वह खुद ही अब बसपा का साथ छोड़कर दूसरे दलों में शामिल होने लगे हैं। इनमें से अभी  तक कुल चार पूर्व मंत्री भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय के नारे के साथ मायावती ने जब जोर-शोर से यूपी की कुर्सी पर अपना कब्जा जमाया तो जनता को उनसे बहुत अपेक्षाएं थी। वह खुद भी इन अपेक्षाओं को लेकर बहुत सख्त थी लेकिन कुछ दिन बीतने के बाद उनका मिजाज बदलने लगा। नतीजतन प्रदेश में भ्रष्टाचार अपने चरम पर पहुंच गया। खास बात यह है कि यूपी की सीएम मायावती को पांच साल तक यह भ्रष्टाचार दिखाई नहीं दिया लेकिन चुनाव से ऐन वक्त पहले उन्होंने •ा्रष्टाचारियों को बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर दिया। हालांकि माया का यह स्टंट कहीं न कहीं वोटरों के दिलों में अपनी जगह सुरक्षित रखने के लिए कहा जा सकता है लेकिन सवाल भी  तमाम उठ रहे हैं। मायावती के साथ चल रही इस उठा पटक के बीच अब उनके चहेते मंत्रियों ने भी  बसपा का दामन छोड़ना शुरू कर दिया है। मायावती के मंत्रीमंडल के दो पूर्व मंत्री बाबूसिंह कुशवाहा और बादशाह सिंह ने मंगलवार को •ाारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। यूपी एनआरएचएम घोटाला और सीएमओ हत्याकांड के आरोपों का सामना करने के बाद मंत्री पद से हटाए गए बसपा के पूर्व परिवार कल्याण कल्याण मंत्री को सीबीआई जांच के दायरे में आने के बाद पार्टी से भी  निष्कासित कर दिया गया था, जबकि पूर्व श्रम मंत्री बादशाह सिंह के खिलाफ लोकायुक्त जांच में भ्रष्टाचार सामने आने के बाद पार्टी हाईकमान की सख्ती का सामना करना पड़ा था। माया के खिलाफ लड़ाई में अभी  तक सपा के बाद कांग्रेस का पलड़ा भारी माना जा रहा था, लेकिन माया के करीबी रहे कुशवाहा के आने के बाद भाजपा को माया के खिलाफ लड़ने के लिए एक मजबूत प्यादा मिल गया है। पहले से बसपा नेताओं की आपसी राजनीति और विपक्षी दलों की उठा पटक से जूझ रही मायावती के कुल चार मंत्री अभी  तक भाजपा ज्वाइन कर चुके हैं। दूसरी ओर केवल मंत्री ही नहीं दूसरे नेता भी  अब दूसरी पार्टियों में अपना आसरा तलाश कर रहे हैं। मेरठ के खरखौदा से विधायक रह चुके बसपा सरकार के पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी ने रालोद का दामन थाम लिया। बसपा से विधायक रहे शाहनवाज राणा ने भी  पार्टी की ओर से अपनी पसंदीदा जगह से टिकट न मिलने पर रालोद में एंट्री कर ली है। बताया जा रहा है कि माया सरकार के दो और मंत्री जल्द ही रालोद में शामिल हो सकते हैं।

दागियों पर सपा सख्त
 दागी मंत्रियों और मायावती की ओर से बाहर का रास्ता दिखाने के बाद राजनीतिक जमीन तलाश रहे नेताओं को लेकर इस बार समाजवादी पार्र्टी का रुख काफी सख्त दिखाई दे रहा है। पार्टी के आला नेताओं का कहना है कि किसी भी  दम पर पार्टी में भ्रष्टाचारी बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। सपा मुख्यालय में भी  मायावती के इस स्टंट के कई मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि भाजपा दागियों को अपने साथ लेकर उनकी सुहानूभूतिपूर्ण वोट से जीतने का सपना देख रही है लेकिन पहले से ही मुश्किलात से गुजर रही सपा इस मामले को लेकर बेहद गंभीर है और वह कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहती, जिससे पार्टी की साख पर बट्टा लगे। 

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