गुरुवार, 5 जनवरी 2012

मुश्किल में भाजपा

सत्यजीत चौधरी
हर कदम पर बचकर चलना ही अब भाजपा के लिए मुसीबत साबित होता दिखाई दे रहा है। पार्टी की ओर से पांच राज्यों के चुनाव के मद्देनजर कुछ ऐसे निर्णय लिए गए हैं जो कि अब गले की फांस बनते जा रहे हैं। पहले से ही बसपा के पूर्व नेता और मायावती के खासमखास बाबू सिंह कुशवाहा को पार्टी में शामिल कर अपनी फजीहत करा चुकी भाजपा ने अब एक और विवादित नेता को पार्टी का टिकट थमा दिया है। सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना घोटाले में मुख्य तौर पर सामने आए पूर्व सांसद साक्षी महाराज को भी  अब भाजपा ने अपने आंगन की छांव दे दी है। दूसरी ओर पूर्व क्रिकेटर व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू को भी  पार्टी ने चुनाव का टिकट दिया है। भाजपा के हाल के फैसलों को लेकर राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ ने सख्त नाखुशी जाहिर कर दी है।
लोकपाल बिल को लेकर हंगामा करने के बाद जैसे ही उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में चुनावी तिथियों का ऐलान हुआ तो सभी  राजनीतिक पर्टियों का ध्यान चुनाव की ओर लग गया। इस बीच सभी  पार्टियों के नेता एक दूसरे पर कीचड़ उछालकर खुद को पाक-साफ साबित करने पर तुल गए। इस कड़ी में यूपी की सीएम मायावती ने अपनी पार्टी से पूरे बीस मंत्रियों को भरष्टाचार के आरोप में बाहर का रास्ता दिखा दिया। अपना ठिकाना तलाश रहे इन नेताओं में से चार नेताओं को भाजपा ने अपना आसरा दे दिया। नतीजतन पार्टी में एनआरएचएम घोटाले की सीबीआई जांच झेल रहे बसपा के पूर्व नेता बाबू सिंह कुशवाहा भी  शामिल हो गए। बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट मिलने की अफवाहें जैसे ही फैली तो तुरंत ही भाजपा के आलाकमान में भी  दो धड़े हो गए। एक धड़े में पार्टी के अध्यक्ष गडकरी, विनय कटियार और मुख्तार अब्बास नकवी जैसे नेता शामिल हैं तो दूसरे धड़े में लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज जैसे नेता। बहरहाल बात बिगड़ती देख भाजपा ने कुशवाहा को पार्टी का चुनावी टिकट देने से साफ इंकार कर दिया। अब ताजा विवाद पैदा हो गया है भाजपा के एक और कदम से। पार्टी ने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना घोटाला (एमपी लैड घोटाला) में मुख्य आरोपी माने गए पूर्व व विवादित सांसद साक्षी महाराज को भी  पार्टी का टिकट थमा दिया है। पहले से भाजपा के मुख्य नेता के तौर पर काम कर चुके साक्षी महाराज इसके बाद समाजवादी पार्टी और फिर कई और पार्टियों से राजनीति में शामिल रह चुके हैं। साक्षी महाराज को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक जाना-पहचाना चेहरा माना जाता है और माना जा रहा है कि भाजपा ने पार्टी में उनकी दोबारा एंट्री केवल उनके लोध वोटों की वजह से कराई है। खास बात यह है कि समाजवादी पार्टी से राज्य सभा के सांसद रहते हुए साक्षी महाराज पर बलात्कार का मुकदमा दर्ज हो चुका है और वह तिहाड़ जेल की हवा भी खा चुके हैं। बाद में सबूतों के अभाव में वह दोषमुक्त हो गए थे।
दूसरी ओर, यूपी और पंजाब में भाजपा के हाल के फैसलों पर अब खुद राष्टÑीय स्वयं सेवक संघ ने नाखुशी जाहिर की है। पांचजन्य पत्र में आरएसएस की ओर से प्रकाशित हुए एक लेख में संघ ने भाजपा के फैसलों और भष्टाचार के मुद्दों पर खामोशी को गलत मानते हुए इसका दूरगामी परिणाम गलत होने का अंदेशा जाहिर किया है। आरएसएस का तर्क है कि आपराधिक मुकदमों में लिप्त या आपराधिक प्रवृत्तियों वाले लोगों को भाजपा को टिकट देने से पहले कुछ विचार करना जरूरी है। भाजपा के इन निर्णयों की वजह से खुद पार्टी दो धड़ों में बंट गई है। कुशवाहा एक ओबीसी नेता हैं और यादव से हटकर जितने भी  ओबीसी वोट हैं, उनका एक जाना पहचाना चेहरा भी  हैं। ऐसे में पार्टी का मानना है कि वह भाजपा के लिए काम के साबित हो सकते हैं, जबकि बवाल मचने के बाद पार्टी ने कुशवाहा को टिकट देने की बात से साफ किनारा भी  कर लिया है।

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