सोमवार, 9 जनवरी 2012

सीईसी के आदेश के बाद मूर्ति युद्ध छिड़ने का अंदेशा

सत्यजीत चौधरी
   नोएडा और लखनऊ में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती की प्रतिमाएं और उनकी पार्टी बसपा के चुनाव चिह्न से मिलती—जुलती हाथी की मूर्तियों को ढकने के चुनाव आयोग के फरमान के बाद पूरे देश में स्टेचू वॉर यानी मूर्ति युद्ध छिड़ने का अंदेशा पैदा हो गया है। उत्तर प्रदेश की आग अब पंजाब के पटियाला शहर पहुंच चुकी है। वहां अकाली दल के पूर्व मंत्री सरदारा सिंह कोहली की प्रतिमा को लेकर विवाद शुरू हो गया है। इसका सूत्रपात किया है अकाली दल के ही एक स्थानीय पार्षद सोहन लाल जलोटा ने। उन्होंने चुनाव आयोग को इस बारे में चिट्ठी लिख मारी कि शहर के आराधना चौक के पास पूर्व अकाली मंत्री की मूर्ति लगाई गई है। उनका कहना है कि ठीक है कि वह अकाली दल के पार्षद हैं, लेकिन नियम तो नियम होते हैं। उनका कहना है कि अब यह चुनाव आयोग का काम है कि वह तय करे कि यह आचार संहिता का मामला है या नहीं।
दरअसल मामला कुछ यों है कि यह मूर्ति पटियाला से अकाली प्रत्याशी सुरजीत सिंह के पिता की है। सुरजीत के पुत्र पटियाला के मेयर हैं। सोहनलाल का आरोप है कि मूर्ति इस साल पांच तारीख को आराधना चौक पर स्थापित की गई है।
अब गेंद चुनाव आयोग के पाले में है। चुनाव अधिकारी ने संबंधित वि•ााग को आदेश दिया है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक मूर्ति को या तो ढक दिया जाए या सिरे से हटा दिया जाए।
पटियाला के चुनाव परिवेक्षक एसके मीणा का कहना है कि मामला चुनाव अधिकारी को अग्रसारित किया जा चुका है। 
उत्तर प्रदेश की तरफ लौटते हैं। यहां विवाद का श्रीगणेश किसी राजनीतिक दल ने नहीं किया। इस काम को अंजाम दिया है जिला प्रशासन ने। प्रशासन ने चुनाव आयोग के बगैर आनन—फानन में पुवाया में राजीव चौक पर लगी पूर्व प्रधानमंत्री की प्रतिमा को ढक दिया है। यह खबर आग की तरह कांग्रेसियों तक पहुंची तो बखेड़ा खड़ा ही होना था। 
बताते हैं कि पुवाया में राजीव चौक पर नौ जून, 1993 को स्व. जितेंद्र प्रसाद ने इस प्रतिमा का अनावरण किया था। इस प्रतिमा को प्रशासन द्वारा ढके जाने के विरोध में कांग्रेसी कार्यकत्ताओं ने प्रतिमा के सामने खड़े होकर प्रदर्शन किया। 
इस बारे में नगरपालिका प्रशासन का कहना है कि ईओ पुवाया के कहने पर प्रतिमा को ढका गया है, जबकि शहाजहांपुर के जिलाधिकारी नवदीप रिणवा का कहना है कि प्रशासन ने इस तरह की कोई कार्रवाई नहीं की है। 
उधर, मायावती और हाथी की मूर्तियां ढकने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है। धीरज प्रताप सिंह नाम के शख्स ने पीआईएल डाली है और उसका कहना है कि हाथी हिंदुत्व का प्रतीक है और उसे इस तरह ढका जाना मानवाधिकार का हनन है। याचिका में मुख्य चुनाव आयुक्त, उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव और अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई होगी।

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