सोमवार, 16 जनवरी 2012

मुलायम के लिए कम नहीं हैं चुनौतियाँ

सत्यजीत चौधरी  
    चुनावी डुगडुगी पिट चुकी है। चारों तरफ सुनो—सुनो, चुनो—चुनो का शोर है। उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक दल कमर कसकर चुनावी समर में कूद चुके हैं। खुद को कूतने और दूसरों को आकने की कसरत जोरों पर है। हाथी और साइकिल गलियों-मोहल्लों में निकल चुके हैं। हाथ भी वरदहस्त की मुद्रा में लोगों को रिझा रहा है। कमल खिलने को बेताब है। हैंडपंप भी प्यास बुझाने का बादा कर रहा है। मीडिया ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं। सर्वे और पोल्स के लिए आंकड़े जुटाने टीमें निकल चुकी हैं।
पहले बात करते हैं समाजवादी पार्टी की। हाल में उत्तर प्रदेश के लिए स्टार न्यूज और नीलसन द्वारा कराए गए ओपीनियन पोल के नतीजों ने समाजवादी पार्टी को बड़ी राहत दी थी। पोल का दावा है कि प्रदेश विधानसभा में किसी भी दल को बहुमत मिलता नहीं दिखाई दे रहा है।
पोल के नजीजे बता रहे हैं कि 403 विधानसभा सीटों वाले यूपी में समाजवादी पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उपर सकती है। उसे 135 सीटें मिलने की संभावना है। बीएसपी सिमटकर 120 सीटों पर रह जाएगी। उसे 86 सीटों का घाटा दिखाया गया है। बीजेपी को 51 और कांग्रेस को 46 सीटं के फायदे के साथ 68 सीटें मिलने की संभावना है।
यह तो रही पोल की बात। वैसे देखा जाए तो चुनाव से बहुत पहले समाजवादी पार्टी तैयारियों में जुट गई थी। आजम खां की वापसी करा कर पार्टी ने मुसलमानों को खुश करने की कोशिश की थी। हालांकि इस कदम के कुछ साइड इफैक्ट्स भी पार्टी को झेलने पड़े। तन—मन धन से जुड़े समाजवादी पार्टी के संकट मोचक और अखिलेष यादव के अंकल अमर सिंह ने अलग होकर डेढ़ र्इंट की अपनी अलग मस्जिद खड़ी कर ली है। इस बार चुनाव में सपा के पास न तो अमर सिंह का दिमाग होगा, न पैसा और न मैनेजमेंट। उल्टे अमर सिंह सपा का वाट लगाने का कोई मौका चूकेंगे नहीं। उनको पार्टी की ताकत भी मालूम है और कमजोरियां भी । 
दूसरा झटका दिया है काजी रशीद मसूद ने। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काजी साहब मुसलमानों में काफी लोकप्रिय हैं। अमर सिंह की तरह वह भी आजम खां से जले—भूने बैठे हैं। अब वह कांग्रेस में हैं और वेस्टर्न यूपी में मुसलमानों को मुलायम सिंह एंड पार्टी एंड फैमिली की कमियां गिनाने को बेताब हैं।
वैसे भी पूर्व में मुलायम सिंह की गई एक गलती को मुसलमान भूले नहीं हैं। बाबरी ढांचे के विध्वंस के नायक या खलनायक कल्याण सिंह की दोस्ती पर पूरे प्रदेश के मुसलमान मुलायम से खफा हैं। 
स्टार न्यूज और नीलसन ने पोल उत्तर प्रदेश को काल्पनिक रूप से चार हिस्सों में बाटकर किया था। पश्चिम प्रदेश यानी वेस्टर्न यूपी की 145 सीटों में से बीएसपी को 40, एसपी को 42, बीजेपी को 40, कांग्रेस को आठ और रालोद को 10 सीटें मिलने का अनुमान पोल ने पेश किया है। 
पोल के मुताबिक पूर्वांचल यानी पूर्वी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी पहले के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन करते हुए साठ सीटों पर कब्जा जमा सकती है। बीएसपी को 65, कांग्रेस को 33 और भाजपा को 18 सीटें मिल सकती हैं। 
समाजवादी पार्टी अवध प्रदेश यानी मध्य उत्तर प्रदेश में भी गेन करेगी। सर्वे में मुताबिक अवध प्रदेश में बसपा को 10, सपा को 24, भाजपा को सात और कांग्रेस क 22 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है।
सर्वे की माने तो बुंदेलखंड में भी सपा अच्छा प्रदर्शन करने जा रही है। बसपा को जहां पांच सीटों का हकदार माना गया हैं, वहीं समाजवादी पार्टी को नौ सीटों पर जीत दर्ज करा सकती है।
यह तो हुई सर्वे की बात। जाहिर है कि इसे लेकर मुलायम सिंह ने कोई खुशफहमी नहीं पाल रखी है। पार्टी ने चुनावी घोषणा के साथ प्रत्याशियों में बदलाव शुरू कर दिया है। शनिवार को दिल्ली में चुनावी कार्यक्रम के ऐलान के कुछ ही देर बाद मुलायम सिंह ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में नौ सीटों पर प्रत्याशी बदल डाले।
कुल मिलाकर कह सकते हैं कि इस बार चुनाव में मुलायम ने अन्य पार्टिंयों की तुलना में ज्यादा मेहनत की है। उनके बेटे अखिलेश यादव ने साइकिल पर प्रदेश को नापकर अच्छी धाक बनाई है और लोगों तक पार्टी का संदेश पहुंचाने में कामयाब रहे हैं। मुसलिम वोटों की बात की जाए तो कल्याण सिंह और काजी रशीद मसूद फैक्टर को छोड़ दिया तो मुसलमान अब भी मुलायम पर फिदा हैं। पार्टी ने राजपूतों को भी अपने साथ जोड़ा है। ऐसी हवा बनने का फायदा पार्टी को मिल सकता है। पर लेकिन एक बड़ा सच ये भी है कि भारत में मतदाताओं का कुछ ठीक नहीं , गाता किसी की है और वोट किसी और को दे आता है।

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