रविवार, 23 अक्तूबर 2011

कौन करे खाकी की सुरक्षा ?

 अपनी बात 
   पुलिस के बारे में लिखने के लिए सोचते ही दिमाग में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस रहे एएन मुल्ला की एक टिप्पणी कौंध जाती है—यूपी पुलिस इज बिगेस्ट आर्गेनाइज्ड गैंग आफ क्रिमिनल्स। न्यायमूर्ति मुल्ला की इस टिप्पणी का सच आज भी अपनी पूरी शिद्दत के साथ कायम है। पुलिस का जिक्र सुनते ही आम आदमी के कई बार रोंगटे खड़े हो जाते हैं। पुलिस की एक खूंखार छवि लोगों के दिमाग में घर कर चुकी है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि पुलिस वाले बिना गालियों के बात नहीं करते। सच उगलवाने के लिए हैवान बन जाते हैं। फर्जी एनकाउंटर में बेकुसूरों को मौत के घाट उतार देने में उनको मजा आता है। मासूम बच्चों के बाल पकड़कर धुनने में वह थ्रिल महसूस करते हैं। रिश्वत उनका धर्म-ईमान है। अपराधियों के साथ उनका याराना होता है और शरीफों को जूते की नोक पर रखती है। नेताओं के इशारे पर नाचती है और उनके लिए उल्टे-सीधे काम करती है।

शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

बौद्ध धर्म, दलित विमर्श और मायावती का फ्यूजन "राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल"

सत्यजीत चौधरी
   राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल भले ही विपक्ष और विरोधियों को विवादों का स्थल दिखाई दे रहा हो, लेकिन उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री ने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा कर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। उन्होंने पूरे देश के दलित समुदाय को एक ऐसा केंद्र मुहैया कराया, जहां पहुंचकर उन्हें अतीत के उत्पीड़न, पिछड़ेपन और समाज में दबाकर रखे जाने की पीड़ा का साक्षात्कार होगा। साथ ही इस बात का गर्व भी होगा कि अब वे सामाजिक संरचना का अहम हिस्सा हैं।

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

बस चुनावी एजेंडे पर "फांस" बाकी

सत्यजीत चौधरी
 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और रास्ट्रीय लोकदल के बीच गठबंधन अवश्यंभावी है, लेकिन कई पेंच और गांठें दोनों दलों को मंथन की प्रक्रिया में डाले हुए है। दोनों पार्टिंयों के बीच उन बाधाओं पर बातचीत जारी है और अगर सहमति के बीच आ रही बाधाएं पार कर ली जाती हैं तो एक-दो दिन में दिल्ली में रालोद और कांग्रेस साझा प्रेस कांफ्रेंस बुला सकते हैं।
कुछ महीने पहले छोटे चौधरी यानी अजित सिंह ने जब कुछ छोटे दलों को मिलाकर लोकक्रांति मोर्चा का गठन किया था, तब किसी ने सोचा नहीं था कि इसमें इतने दल शामिल हो जाएंगे कि अजित सिंह गठबंधन की शर्तों को लेकर कांग्रेस पर भारी पड़ेंगे। कांग्रेस की दूसरी सूची से साफ हो गया है कि पार्टी ने रालोद को ध्यान में रखकर सीटों पर नाम तय किए हैं। यानी अजित सिंह के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी स्पेस रखा गया है। कांग्रेस ने बुलंदशहर की अतरौली, आगरा की फतेहपुर सीकरी और शामली सीट स्पेयर रखी है। लोकक्रांति मोर्चा की ताकत से लबरेज रालोद नेतृत्व पश्चिमी यूपी में साठ सीटों की मांग कर रहा है, जबकि कांग्रेस चालीस सीटें देने के लिए तैयार हो गई है। सूत्रों की मानें तो बीस सीटों पर भी सहमति के आसार हैं और कांग्रेस को रालोद की शर्तों के सामने झुकना पड़ेगा।

मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

बारिश और वायुमंडल के संकेत

सत्यजीत चौधरी
   भारतीय वायुमंडल के ऊपर छाया वायु प्रदूषण पिछले कई साल से मानसून को चोक कर रहा है और अगर इसकी रफ्तार ऐसी रही तो आने वाले कुछ सालों में हम बारिश को तरस जाएंगे। कुछ साल पहले वैज्ञानिक चेता चुके हैं कि भारत में तेजी से बढ़ रहे वायु प्रदूषण के चलते क्लाउड बेल्ट यानी बादलों की पट्टी दक्षिणी गोर्लाद्ध की तरफ खिसक रही है। यह क्रम ऐसे ही जारी रहा तो जल्द ही उत्तर भारत में मानसून कम मेहरबान होगा और दक्षिण भारत और श्रीलंका में जमकर बारिश होगी। 
ग्लोबल वार्मिंग के खतरों और अंजाम से लगातार आगाह कर रहे अमेरिका के प्रिंसटन विश्वविद्यालय के यी मिंग ने इस बारे में जो खाका खींचा है, वह खासा डरावना है। मिंग के मुताबिक पिछले पांच दशकों से भारत में मानसून में पांच प्रतिशत की कमी आई है। युूएस जनरल साइंस पत्रिका में प्रकाशित मिंग और उनके सहयोगियों की रिपोर्ट में कहा गया है कि उद्योग—धंधों से निकलने वाले धुएं और अन्य गैसों के अलावा वाहनों से होने वाले प्रदूषण ने भारत के वायुमंडल के स्वरूप को बिगाड़कर रख दिया है।

शनिवार, 1 अक्तूबर 2011

हरित प्रदेश पर पड़ी प्रबुद्धनगर के गठन की छाया

सत्यजीत चौधरी
  पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तीन नए जिलों के सृजन की मुख्यमंत्री मायायती की शतरंजी चाल ने समूची यूपी सियासी भूचाल पैदा कर दिया है। विरोधियों को नए जिलों के बारे में खबर तो पहले ही मिल गई थी, लेकिन मायावती ने जिस तरह एक ही दिन में ताबड़तोड़ घोषणाएं कीं, उसने सबको भौचक्का करके रख दिया है। सभी दल फैसले से बदलने वाले राजनीतिक, क्षेत्रीय और जातीय समीकरण पर मंथन कर रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा गुस्से में हैं छोटे चौधरी यानी अजित सिंह। उन्हें अपने हरित प्रदेश का सपना उजड़ता दिखाई दे रहा है।
    पिछले दिनों जाटों और मुसलमानों के लिए आरक्षण दिलाने की मांग के साथ केंद्र सरकार को दो-दो पत्र लिख चुकीं मायावती ने शामली को प्रबुद्धनगर में रूपांतरण कर सबसे ज्यादा अजित सिंह को नुकसान पहुंचाया है। जातीय समीकरण को दिमाग में रखकर रचे गए प्रबुद्धनगर के नाम को लेकर रालोद प्रमुख सबसे ज्यादा खफा हैं। उनका कहना है कि जिलों या सार्वजनिक संस्थानों के नामकरण से पहले सरकार को बेसिक गाइडलाइंस का निर्वहन करना चाहिए। वह मशहूर लेखक रस्किन बॉन्ड की कहानियों के संकलन टाइम स्टॉप्स एट शामली का हवाला देते हैं। वह कहते हैं कि इतना बड़ा लेकर खुद पर बुनी गई कहानियों के संकलन को शामली को समर्पित करता है और मायावती ने एक झटके में शामली की पहचान को मिटाने का काम किया है। यह भी कहते हैं कि शामली के गुड़ की सोंधी महक से क्या प्रबुद्धनगर को जोड़ा जा सकेगा। मायावती ने नामकरण करते समय स्थानीय जनता की आकांक्षाओं को पूरी तरह से नजरंदाज किया।