शनिवार, 31 दिसंबर 2011

वैश्विक विरोध और आम आदमी

सत्यजीत चौधरी
     अमेरिका और यूरोप के कई देशों में इस साल सर्दियों की मस्ती नहीं है, गुस्से की गर्माहट है। खून जमा देने वाली सर्द हवाओं के बीच लोग क्रिसमस मनाने के लिए नहीं, बल्कि पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ सड़कों पर डेरे डाले बैठे हैं। लंदन के एक चर्चयार्ड में सेंट पॉल्स कैंप के आंदोलनकारियों को हटाने के लिए सरकार कोर्ट की शरण में जा पहुंची है। अमेरिका में भी विरोध -प्रदर्शन जारी हैं। शेयर मार्केट, मुक्त बाजार और पूंजीवादी अर्थतंत्र के विरुद्ध लोगों की नाराजगी सातवें आसमान पर है। यों कह सकते हैं कि लंबे समय के बाद दुनियाभर में बहुसंख्यक कामकाजी आबादी अल्पसंख्यक पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ उठ खड़ी हुई है। यह एक फीसद अमीरों के खिलाफ निनान्बे फीसद आम आदमी की जंग है।
हर तरफ लोग गुस्से से लबालब हैं। लंदन के पूंजीवाद विरोधी प्रर्दानकारियों ने खनन क्षेत्र की बड़ी कंपनी एक्स्ट्रॉटा के मुख्यालय पर धावा बोला और कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को निशाना बनाने की कोशिश की। 

...तो फिर याद आए मुसलमान

सत्यजीत चौधरी
लोकसभा के चुनाव हों या राज्यों में विधानसभा के, उनकी डुगडुगी बजते ही मुसलमान एकदम से वाजिब और अव्वल हो जाते हैं। यूपी समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के ऐलान के साथ फिर सब पार्टियों को मुसलमानों की याद सताने लगी है। पहला पत्ता चला मायावती ने। उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों को आरक्षण देने की मांग की थी। केंद्र ने मायावती को जवाब भेजा कि जैसे कि अन्य राज्यों में है, उत्तर प्रदेश सरकार भी अपने यहां मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए स्वतंत्र हैं। गेंद पाले में वापस देख मायावती ने चुप्पी साध ली। इस बीच, यूपीए सरकार ने तुरुप का पत्ता चला और सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मुस्लमानों को 4.5 फीसद का आरक्षण देकर शेष दलो को भौचक्का कर दिया।

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

किसान दिवस : रस्मों की अदायगी

सत्यजीत चौधरी 
    दीगर रस्मों की तरह हर साल चौधरी चरण सिंह की जयंती 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाकर हम रस्म की अदायगी करते हैं। उनकी समाधि पर कुछ फूल—मालाएं चढ़ाई जाती हैं। कुछ सेमिनार होते हैं। बाकी अगले साल।किसानों के मसीहा चौधरी साहब के अंदर ताउम्र एक खांटी किसान आबाद रहा, लेकिन खेती के उन्नत तरीकों और काश्त की मार्केटिंग के आधुनिक पैटर्न के वे शुरू से कायल रहे। वह कहा करते थे कि अन्नदाता (किसान) सुखी तो देश सुखी। काश्तकार से जुड़ी समस्याओं के निराकरण के लिए चरण सिंह के सुझए रास्तों पर अमल किया गया होता, तो देश और किसान दोनों खुशहाल होते।

मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

सात समंदर पार भी मेरठ की खुशबू का अहसास

सत्यजीत चौधरी
 एक हस्तिनापुर मेरठ में बसता है जो इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में अंकित है और एक हस्तिनापुर सात समंदर पार भी बसता है, जहां की खुशबू और भारतीय अंदाज बरबस ही लोगों को अपना दीवाना बना लेता है। यहां न केवल भारतीय देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, बल्कि 12 एकड़ में बने इस हस्तिनापुर में हर रोज माहौल भक्तिमय होता है।
    यहां एक दर्जन से ज्यादा भारतीय देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के साथ ही अर्जेटीना के भी कई देवी- देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। खास बात यह है कि वहां भी भगवान गणोश, कृष्ण, सूर्य, नारायण और शिव की प्रतिमाओं के लिए अलग से मंदिरों का निर्माण किया गया है। चूंकि यह हस्तिनापुर है, इसलिए यहां भी पांडवों के मंदिर मौजूद हैं।

रविवार, 18 दिसंबर 2011

राजनीतिक हड़बड़ी नहीं धैर्य का कमाल

सत्यजीत चौधरी
    पिता से मिली विरासत में जिन चीजों को अजित सिंह ने बड़े जतन से संभाला है, वह है धैर्य। कोई भी सियासी सुनामी आए, अजित सिंह निरपेक्ष बने रहते हैं। फिर अचानक दांव चलकर सबको चौंका देते हैं। कभी किसी ने छोटे चौधरी को राजनीतिक हड़बड़ी में नहीं देखा। देश की राजनीति में वह सबको जानते हैं और सब उनको। वह सबको आजमा चुके हैं और सब उनको। फिर भी सियासी पार्टियां उनसे गठबंधन करने को बेचैन रहती हैं।

बुधवार, 14 दिसंबर 2011

बदलेगा अल्पसंख्यक समाज

सत्यजीत चौधरी
18 दिसंबर को पूरे देश में ‘माइनॉरिटी राइट्स दिवस’ मनाया जाएगा। 1992 से शुरू हुआ यह सिलसिला अपने 20वें साल के प्रवेश में खास हो गया है। इसके साथ ही अल्पसंख्यकों से जुड़े शिक्षा, रोजगार और अन्य मुद्दे भी तेजी पकड़ेंगे। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों से पूर्व इस दिन का महत्व बढ़ जाता है। संभवत: इसीलिए केंद्र सरकार की ओर से एक बार फिर अल्पसंख्यकों को रिझने की कोशिश शुरू हो गई है।
अल्पसंख्यकों को सुविधाओं में बढ़ोतरी के मकसद से केंद्र ने सच्चर समिति का गठन किया था। इस समिति की सिफारिशों को अमल में लाने की कवायद शुरू हो गई है। इन सिफारिशों पर अमल किया गया, तो दस साल बाद अल्पसंख्यक तबका ज्यादा शिक्षित, ज्यादा कामयाब और ज्यादा रोजगार वाला हो सकता है।

कांग्रेस ने बढ़ाई सपा की बेचैनी

सत्यजीत चौधरी,
सपा की तिलमिलाहट इस समय चरम पर है।समाजवादी पार्टी को कांग्रेस ने दो बड़ी चोट दी है। पहला, रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाकर और दूसरा सपा के वोट बैंक में सेंध लगाकर नाराज चल रहे बुजुर्ग नेता रशीद मसूद को अपने पाले में शामिल कर। उधर, मुलायम सिंह यादव भी कांग्रेस को करारा झटका देने के मूड में हैं। सूत्रों का कहना है कि सपा केंद्र सरकार से समर्थन वापसी समेत कई अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है।

सोमवार, 12 दिसंबर 2011

अब छोटे चौधरी के सामने बड़ी चुनौतियां

सत्यजीत चौधरी
      चौधरी अजित सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं, उन्हीं वजहों से जिनसे वह अकसर रहते हैं, यानी गठबंधन। लंबे अर्से के बाद छोटे चौधरी कांग्रेस और कांग्रेस छोटे चौधरी को आजमाने जा रहे हैं। इस बार मामला कई कोणों से दिलचस्प है। अजित सिंह ने ऐसे मौके पर कांग्रेस का हाथ थामा है, जब केंद्र सरकार करप्शन और उसे लेकर देश•ार में हो रहे विरोध की वजह से मुसीबत में है। उत्तर प्रदेश विधानसभा  के चुनाव भी सिर पर हैं और लाख कोशिशों के बावजूद राहुल गांधी का जादू सिर पर चढ़ने को तैयार नहीं है। कांग्रेस अजित की मदद से यूपी में कुछ सीटों पर निशाना साधने की सोच रही है। तीसरा मामला क्रेडिड का है। जाट अजित सिंह पर निसार हैं और उनके सिवा किसी और को अपना नेता मानने को तैयार नहीं हैं। जाटों को आरक्षण देने के मुद्दे पर सरकार पर भारी दवाब है। अजित सिंह चाहते हैं कि केंद्र उनकी शर्त पर जाटों के लिए आरक्षण की घोषणा करे।

रविवार, 11 दिसंबर 2011

यह दिल्ली है, हिंदुस्तान का दिल

                                              " राजधानी के सौ साल पर विशेष " 
सत्यजीत चौधरी
यह दाग की देहली है यहां हर कूचे , हर गली में गालिब की रूह बसती है। मीर की शायरी यहीं परवान चढ़ी। यह हिंदुस्तान का दिल है। यह दिल्ली है। कभी यह इंद्रप्रस्थ हुआ करती थी, राजाओं की राजधानी। मुगलों ने भी पसंद किया। बाद में अंग्रेजों ने इस शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाए। सौ साल पहले जहां ट्रामें दौड़ा करती थीं, वहां अब मेट्रो दौड़ रही है। विभिन्न राज्यों से आए लोगों ने इसे अपनी भाषा और संस्कृति से और खूबसूरत बनाया। 
 इन सौ सालों के दौरान दिल्ली फलती और फैलती गई, लेकिन इंसानी नसों के तरह फैली पतली गलियां और तंग कूचों में आज भी पुरानी रवायतें आबाद हैं। आज भी चांदनी चौक में परांठों वाली गली से व्यंजनों की उठती खुशबू लोगों को अहसास दिलाती है कि अब भी उनकी विरासत का काफी कुछ सुरक्षित है। गली कासिम जान और कूचा चुहिया मेम साहब का में अब भी बकरियां मिमयाती हैं और बिरयानी और कबाब की खुशबू तबियत खुश कर देती है। चांदनी चौक और सदर बाजार आज भी दिल्ली ही नहीं पूरे उत्तर भारत की जरूरत को पूरा करते हैं। 
दिल्ली की पुरानी हवेलियों को बिल्डरों की नजर लग गई। अस्सी के दशक से एक-एक कर हवेलियों पर बिल्डर काबिज होते चले गए। एक वक्त ऐसा भी आया, जब बल्लीमारान में गालिब की हवेली पर कोयले की टाल खुल गई थी।

शनिवार, 3 दिसंबर 2011

..ताकि चलता रहे विकास का पहिया

सत्यजीत चौधरी
जी में आता है ये मुर्दा चांद-तारे नोच  लूं
इस किनारे नोच लूं, उस किनारे नोच  लूं
एक-दो का जिक्र क्या, सारे के सारे नोच लूं
ऐ गम—ए—दिल क्या करूं, ऐ वहशत—ए—दिल क्या करूं....!!!

       असरारुल हक मजाज यानी मजाज लखनवी की नज्म के इस टुकड़े से यह लेख शुरू करने के पीछे मंशा सिर्फ यह है कि देश में मौजूदा हालात काफी कुछ उनकी जुनूनी कैफियत से मेल खा रहे हैं। महंगाई,बेजोरगारी और अनिश्चितता ने आम भारतीय में कुछ ऐसी ही झुंझलाहट और तड़प भर दी है। आजादी के बाद से लेकर अब तक ऐसी स्थिति कभी पैदा नहीं हुई थी। बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में भारी गिरावट, वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर का घटकर 6.9 रह जाना और इस सबके के चलते महंगाई का आसमान पर बैठकर नीरो की तरह बांसुरी बजाना बेचैन कर देने वाली घटनाएं हैं।

शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

महंगाई, काला धन, एफडीआई...हंगामा, और संसद की आठ बैठकें समाप्त

-अब केवल 12 बैठक शेष, लोकपाल से लेकर कई और महत्वपूर्ण विधेयक अटके
-महंगाई और काला धन भी बन रहे हैं संसद की कार्रवाई में रोड़ा
सत्यजीत चौधरी
     संसद के शीतकालीन सत्र में अन्ना ही नहीं पूरे भारत का सपना जनलोकपाल की तर्ज पर सरकारी लोकपाल लाने का देखा जा रहा था। इसी आश्वासन के बाद अन्ना ने रामलीला मैदान की सरजमीं से अपना अनशन खत्म कर देश को जीत की बधाई दी थी। माना जा रहा था कि संसद की शीतकालीन सत्र में लोकपाल बिल पास कर अन्ना ही नहीं पूरे देश की जनता के साथ एक इंसाफ होगा। लेकिन केंद्र सरकार के एफडीआई पर अड़ियल रवैये, भरष्टाचार, महंगाई और कालाधन जैसे मामलों की वजह से अभी तक आठ बैठकें हंगामे की भेंट चढ़ चुकी हैं। इस सत्र में कुल 20 बैठकों का आयोजन होना था, ऐसे में आठ बैठकों का बेकार जाना कई महत्वपूर्ण विधेयकों को लंबित की सूची में डाल सकता है।

डांवाडोल रुपये पर सवार बाजार

सत्यजीत चौधरी 
"भारत की अर्थव्यवस्था में यह मंदी का दौर है। इसका कोई आसान समाधान नहीं है। असर बढ़ सकता है। विदेश में जो हो रहा है, उसके मद्देनजर सरकार बेहतर काम नहीं कर पा रही है। किसी तरह के बड़े प्रयास करके सरकार घाटा बढ़ाना नहीं चाहती। योजना आयोग के उपाध्यक्ष का साफ संकेत है कि वित्तीय घाटा अभी और बढ़ सकता है।"
   एक बार फिर शेयर बाजार, बेजारी के आलम में है। रात को खरीदे जाने वाले शेयर सुबह होते ही कितने का चूना लगा दें, अंदाजा लगाना भी मुश्किल हो गया है। सुपर पॉवर अमेरिका का शेयर बाजार हो या चीन का, हर जगह मंदी ने निवेशकों को गम देना शुरू कर दिया है। इस बीच भारत में रुपये की घटती वैल्यू ने निवेशकों से लेकर आम जनता तक के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिका का डॉलर तेजी से मजबूत हो रहा है, जिससे रुपया कमजोर हो रहा है। ‘यूरो’ भी रुपये की माफिक तेजी से कमजोर पड़ रहा है। यूरोप की आर्थिक स्थिति के दीवालिया होने से लगातार अमेरिका को मजबूती मिल रही है। मतलब यह नहीं है कि अमेरिका की आर्थिक स्थिति ज्यादा मजबूत होने से डॉलर मजबूत हो रहा है। दरअसल, डॉलर और यूरो के बीच ऐसा तालमेल है, कि एक मजबूत तो दूसरा कमजोर होता है। पिछले दिनों अमेरिकी डॉलर की गिरती वैल्यू के लिए यूरो की मजबूती मुख्य वजह थी। डॉलर की मजबूती की एक और मुख्य वजह है कि दुनियाभर में जितना निवेश हो रहा है, वह डॉलर में ही किया जा रहा है। पूरा कारोबार अंत में डॉलर पर आकर टिक गया है। डॉलर की ताकत तभी बढ़ती है, जब उसके मुकाबले बाकी लगभग 192 देशों की मुद्राएं कमजोर होने लगती हैं।

मंगलवार, 29 नवंबर 2011

गजब : डॉलर लुटाकर रुपये की लालसा

-अमेरिकी रिटेल कंपनियों ने भारतीय बाजार में अपना रास्ता साफ करने के लिए की है लॉबिंग
सत्यजीत चौधरी
भारत में विदेशी रिटेल कंपनियों की राह आसान होने के पीछे एक बार फिर लॉबिंग का भूत सामने आता दिखाई दे रहा है। अमेरिकी सीनेट में पेश वॉलमार्ट की लॉबिंग डिस्क्लोजर रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने रुपए में अपनी पैठ बनाने के लिए भारत में भी जमकर लॉबिंग की है। हालांकि अमेरिका में लॉबिंग को कानूनी मान्यता प्राप्त है लेकिन भारत में इसे आज भी गैर कानूनी ही माना जाता है। दूसरी ओर, देशभर में इस रिटेल कंपनियों के निवेश को लेकर विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। देश के कई राज्यों ने इस पर सख्त ऐतराज जताया है तो दूसरी ओर सोमवार को संसद का सत्र भी रिटेल एफडीआई की भेंट चढ़ गया।

बुधवार, 23 नवंबर 2011

कृषि समस्याओं की अनदेखी

सत्यजीत चौधरी
"अक्सर किसानों को दिलासा के तौर पर उनका कर्ज तो माफ करा दिया जाता है, लेकिन कभी यह सोचने की जरूरत महसूस नहीं की जाती है कि किसान को इस कर्ज की आवश्यकता क्यों पड़ी? किसान कर्ज चुकाने में अक्सर नाकाम क्यों होता है?"
भारत की अर्थव्यवस्था खेतों में लहलहाती फसलों से इतनी मजबूत बन चुकी है कि अमेरिका या दूसरे देशों की आर्थिक मंदी भी इसका बाल बांका नहीं कर पाती है। लेकिन कृषि और किसानों को लेकर हमारे देश की सरकारों का रवैया गंभीर नहीं रहा है। यह दुखद है कि अर्थव्यवस्था के इतने बड़े क्षेत्र और इतनी बड़ी आबादी के हितों के मद्देनजर कोई राष्ट्रीय नीति नहीं है। हालांकि वोट बैंक को बचाने के लिए सरकारों की ओर से औपचारिक प्रयास किए गए, लेकिन नतीजा आज तक शून्य ही दिखाई देता है। 2007 में कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में बने किसान आयोग की सिफारिशों पर एक राष्ट्रीय नीति बनी थी। इस नीति के तहत तैयार किया गया एक मसौदा भी उस समय की सरकार ने संसद में पेश किया था। खास बात यह है कि तत्कालीन संसद में वह मसौदा पास भी कर दिया गया था, लेकिन उसे लागू कभी नहीं किया जा सका। सवाल यह है कि संसद की मुहर लगने के बाद भी वह नीति क्यों नहीं क्रियान्वित की गई? यह सवाल खेतों में धूल फांकने वाले किसानों को तो जरूर सालता है, लेकिन उन नेताओं को इसकी सुधि नहीं आती, जो किसानों के वोट के आधार पर राजनीति करते हैं। अलबत्ता सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उस नीति की सुधि ली है। उसने चार साल पहले संसद से पारित होने के बावजूद राष्ट्रीय कृषि नीति लागू न होने पर केंद्र सरकार से जवाब-तलब किया।

शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

जाट आरक्षण की हकीकत

सत्यजीत चौधरी
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जाट आरक्षण का राग छेड़कर उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने फिर से इस मुद्दे में उबाल ला दिया है। केंद्रीय नौकरियों में ओबीसी कोटे के तहत जाटों को रिजर्वेशन दिए जाने के मांग कर रहे खांटी जाट, कार्पोरेटी जाट, सियासी जाट और दीगर जाट अब चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार इसपर फैसला ले ले। आश्वासन का च्यूइंगम अब जाट नहीं चबाने वाले।
 वैसे बारीकी से देखा जाए तो पिछले कई सालों से जाट आंदोलन एक ही स्थान पर कदमताल कर रहा है। केंद्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस से लेकर प्रमुख विपक्षी दल भाजपा और उत्तर प्रदेश में अजित सिंह से लेकर मायावती तक चाहते हैं कि जाटों को आरक्षण सुनिश्चित किया जाए। लेकिन साथ ही ये सभी पार्टियां यह भी जानती हैं कि जाटों को आरक्षण का आश्वासन तो दिया जा सकता है, लेकिन हकीकत में ऐसा किया गया तो उत्तर प्रदेश लपटों से घिर जाएगा। इस हकीकत को अजित सिंह बखूबी समझ रहे हैं और शायद यही वजह है कि इस मुद्दे पर वह चुप्पी साधे बैठे हैं, पर जाट राजनीति की दुकान चलाने वाले सक्रिय हैं। इनमें से सबसे ज्यादा एक्टिव हैं कार्पोरेटी जाट नेता। केंद्र के साथ अपने संघर्ष को विराम देने के बावूद कार्पोरेटी जाट नेता धड़ाधड़ दौरे कर रहे हैं। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की खाक छानते फिर रहे हैं। दरअसल दौरे करते रहने कुछ कार्पोरेटी जाट नेताओं की मजबूरी है। मिसाल के तौर पर अखिल भारतीय जाट संघर्ष समिति को लें। नेतृत्व के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश और हरियाणा में समिति का एक-बटा दो और दो बटा चार हो चुका है। बची—खुची सियासी जमीन को बचाए रखने के लिए दौरे करना जरूरी हो गया है।

रविवार, 23 अक्तूबर 2011

कौन करे खाकी की सुरक्षा ?

 अपनी बात 
   पुलिस के बारे में लिखने के लिए सोचते ही दिमाग में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस रहे एएन मुल्ला की एक टिप्पणी कौंध जाती है—यूपी पुलिस इज बिगेस्ट आर्गेनाइज्ड गैंग आफ क्रिमिनल्स। न्यायमूर्ति मुल्ला की इस टिप्पणी का सच आज भी अपनी पूरी शिद्दत के साथ कायम है। पुलिस का जिक्र सुनते ही आम आदमी के कई बार रोंगटे खड़े हो जाते हैं। पुलिस की एक खूंखार छवि लोगों के दिमाग में घर कर चुकी है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि पुलिस वाले बिना गालियों के बात नहीं करते। सच उगलवाने के लिए हैवान बन जाते हैं। फर्जी एनकाउंटर में बेकुसूरों को मौत के घाट उतार देने में उनको मजा आता है। मासूम बच्चों के बाल पकड़कर धुनने में वह थ्रिल महसूस करते हैं। रिश्वत उनका धर्म-ईमान है। अपराधियों के साथ उनका याराना होता है और शरीफों को जूते की नोक पर रखती है। नेताओं के इशारे पर नाचती है और उनके लिए उल्टे-सीधे काम करती है।

शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

बौद्ध धर्म, दलित विमर्श और मायावती का फ्यूजन "राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल"

सत्यजीत चौधरी
   राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल भले ही विपक्ष और विरोधियों को विवादों का स्थल दिखाई दे रहा हो, लेकिन उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री ने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा कर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। उन्होंने पूरे देश के दलित समुदाय को एक ऐसा केंद्र मुहैया कराया, जहां पहुंचकर उन्हें अतीत के उत्पीड़न, पिछड़ेपन और समाज में दबाकर रखे जाने की पीड़ा का साक्षात्कार होगा। साथ ही इस बात का गर्व भी होगा कि अब वे सामाजिक संरचना का अहम हिस्सा हैं।

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

बस चुनावी एजेंडे पर "फांस" बाकी

सत्यजीत चौधरी
 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और रास्ट्रीय लोकदल के बीच गठबंधन अवश्यंभावी है, लेकिन कई पेंच और गांठें दोनों दलों को मंथन की प्रक्रिया में डाले हुए है। दोनों पार्टिंयों के बीच उन बाधाओं पर बातचीत जारी है और अगर सहमति के बीच आ रही बाधाएं पार कर ली जाती हैं तो एक-दो दिन में दिल्ली में रालोद और कांग्रेस साझा प्रेस कांफ्रेंस बुला सकते हैं।
कुछ महीने पहले छोटे चौधरी यानी अजित सिंह ने जब कुछ छोटे दलों को मिलाकर लोकक्रांति मोर्चा का गठन किया था, तब किसी ने सोचा नहीं था कि इसमें इतने दल शामिल हो जाएंगे कि अजित सिंह गठबंधन की शर्तों को लेकर कांग्रेस पर भारी पड़ेंगे। कांग्रेस की दूसरी सूची से साफ हो गया है कि पार्टी ने रालोद को ध्यान में रखकर सीटों पर नाम तय किए हैं। यानी अजित सिंह के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी स्पेस रखा गया है। कांग्रेस ने बुलंदशहर की अतरौली, आगरा की फतेहपुर सीकरी और शामली सीट स्पेयर रखी है। लोकक्रांति मोर्चा की ताकत से लबरेज रालोद नेतृत्व पश्चिमी यूपी में साठ सीटों की मांग कर रहा है, जबकि कांग्रेस चालीस सीटें देने के लिए तैयार हो गई है। सूत्रों की मानें तो बीस सीटों पर भी सहमति के आसार हैं और कांग्रेस को रालोद की शर्तों के सामने झुकना पड़ेगा।

मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

बारिश और वायुमंडल के संकेत

सत्यजीत चौधरी
   भारतीय वायुमंडल के ऊपर छाया वायु प्रदूषण पिछले कई साल से मानसून को चोक कर रहा है और अगर इसकी रफ्तार ऐसी रही तो आने वाले कुछ सालों में हम बारिश को तरस जाएंगे। कुछ साल पहले वैज्ञानिक चेता चुके हैं कि भारत में तेजी से बढ़ रहे वायु प्रदूषण के चलते क्लाउड बेल्ट यानी बादलों की पट्टी दक्षिणी गोर्लाद्ध की तरफ खिसक रही है। यह क्रम ऐसे ही जारी रहा तो जल्द ही उत्तर भारत में मानसून कम मेहरबान होगा और दक्षिण भारत और श्रीलंका में जमकर बारिश होगी। 
ग्लोबल वार्मिंग के खतरों और अंजाम से लगातार आगाह कर रहे अमेरिका के प्रिंसटन विश्वविद्यालय के यी मिंग ने इस बारे में जो खाका खींचा है, वह खासा डरावना है। मिंग के मुताबिक पिछले पांच दशकों से भारत में मानसून में पांच प्रतिशत की कमी आई है। युूएस जनरल साइंस पत्रिका में प्रकाशित मिंग और उनके सहयोगियों की रिपोर्ट में कहा गया है कि उद्योग—धंधों से निकलने वाले धुएं और अन्य गैसों के अलावा वाहनों से होने वाले प्रदूषण ने भारत के वायुमंडल के स्वरूप को बिगाड़कर रख दिया है।

शनिवार, 1 अक्तूबर 2011

हरित प्रदेश पर पड़ी प्रबुद्धनगर के गठन की छाया

सत्यजीत चौधरी
  पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तीन नए जिलों के सृजन की मुख्यमंत्री मायायती की शतरंजी चाल ने समूची यूपी सियासी भूचाल पैदा कर दिया है। विरोधियों को नए जिलों के बारे में खबर तो पहले ही मिल गई थी, लेकिन मायावती ने जिस तरह एक ही दिन में ताबड़तोड़ घोषणाएं कीं, उसने सबको भौचक्का करके रख दिया है। सभी दल फैसले से बदलने वाले राजनीतिक, क्षेत्रीय और जातीय समीकरण पर मंथन कर रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा गुस्से में हैं छोटे चौधरी यानी अजित सिंह। उन्हें अपने हरित प्रदेश का सपना उजड़ता दिखाई दे रहा है।
    पिछले दिनों जाटों और मुसलमानों के लिए आरक्षण दिलाने की मांग के साथ केंद्र सरकार को दो-दो पत्र लिख चुकीं मायावती ने शामली को प्रबुद्धनगर में रूपांतरण कर सबसे ज्यादा अजित सिंह को नुकसान पहुंचाया है। जातीय समीकरण को दिमाग में रखकर रचे गए प्रबुद्धनगर के नाम को लेकर रालोद प्रमुख सबसे ज्यादा खफा हैं। उनका कहना है कि जिलों या सार्वजनिक संस्थानों के नामकरण से पहले सरकार को बेसिक गाइडलाइंस का निर्वहन करना चाहिए। वह मशहूर लेखक रस्किन बॉन्ड की कहानियों के संकलन टाइम स्टॉप्स एट शामली का हवाला देते हैं। वह कहते हैं कि इतना बड़ा लेकर खुद पर बुनी गई कहानियों के संकलन को शामली को समर्पित करता है और मायावती ने एक झटके में शामली की पहचान को मिटाने का काम किया है। यह भी कहते हैं कि शामली के गुड़ की सोंधी महक से क्या प्रबुद्धनगर को जोड़ा जा सकेगा। मायावती ने नामकरण करते समय स्थानीय जनता की आकांक्षाओं को पूरी तरह से नजरंदाज किया।

मंगलवार, 27 सितंबर 2011

यूपी में निलंबनों की झड़ी, यानी अन्ना इफेक्ट

सत्यजीत चौधरी
   उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती इस समय पूरे फार्म में हैं। पार्टी की छवि खराब कर रहे नेताओं को वह एक के बाद एक कर सजा दे रही हैं। सजा भी ऐसी कि नेता याद रखें। कसूरवारों को वह पार्टी से निकाल नहीं रही हैं, बल्कि निलंबन की चिट्ठी थमाकर उन्हें किसी और पार्टी में जाने लायक नहीं छोड़ रही। सस्पेंशन की पाइपलाइन में अभी कई और नाम है। सब दम साधे सोच रहे हैं, अगला कौन?
   सूत्र बता रहे हैं कि आने वाले कुछ ही दिनों में एक बड़े नाम समेत कुछ और नेताओं पर गाज गिर सकती है। इन नामों में एमएलसी संजय द्विवेद्वी उर्फ रामू द्विवेद्वी, मंत्री सुभाष पांडेय और बाबू सिंह कुशवाहा के नामों की सुगबुगाहट है।

मंगलवार, 20 सितंबर 2011

सियासी मेहरबानियों का दौर

सत्यजीत चौधरी, 
सियासी मेहरबानियों का दौर यूपी की मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यक कार्ड खेला, तो दिल्ली की सीएम  ने दलित कार्ड 
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती आजकल चिठ्ठियां लिखने में व्यस्त हैं। यका-बाद-दीगरे यानी एक बाद एक वह प्रधानमंत्री को तीन खत भेज चुकी हैं। चौथा पत्र भी आ सकता है। डा. मनमोहन सिंह को लिखे पहले पत्र में मुख्यमंत्री ने मुसलमानों के लिए आरक्षण की मांग रखी। दूसरे दिन उनका सवर्ण प्रेम जागा, तो उन्होंने पिछड़े सवर्ण को भी आरक्षण के दायरे में रखने की हिमायत की। तीसरे दिन उन्हें जाट याद आ गए, लिहाजा उन्होंने पीएम को पत्र लिखकर इस बिरादरी के लिए ओबीसी कोटे में आरक्षण की मांग कर डाली। इस बीच, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को लगा मायावती बाजी मार ले जा रही हैं, तो उन्होंने पश्चिम उत्तर प्रदेश तक मार करने वाला मिसाइल छोड़ा। दलित कार्ड खेलते हुए शीला ने झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले अनुसूचित जाति के लोगों को मुफ्त में आवास देने का ऐलान कर डाला। योजना के तहत लगभग सत्तर हजार आवासों का निर्माण किया जाना है। सरकार के अनुसार चौदह हजार आवास आवंटन के लिए तैयार हैं।

रविवार, 18 सितंबर 2011

‘खेल’ खेल में............

Yashpal Singh
         केंद्रीय खेल मंत्री अजय माकन ने खेल विधेयक का मसौदा पेश कर जैसे बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया है। खेल संघों पर सालों से काबिज लोगों ने इस मसौदे का जोरदार विरोध किया है। इस मसौदे का समर्थन करने वालों को वे बिना देर किए खारिज कर देना चाहते हैं। राष्ट्रीय खेल की कमान थामने वाले भारतीय हॉकी संघ (आईएचएफ) ने एशियन चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाली हॉकी टीम के साथ किस तरह का मजाक किया, इसको पूरी दुनिया ने देखा। आखिर इस निराशजनक दौर में देश में खेल का स्वस्थ माहौल कैसे बने? आजकल के ताजा अंक में विश्लेषण कर रहे हैं यशपाल सिंह.

शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

नो फ्लाई जोन में तब्दील हो जाएगा नोएडा

सत्यजीत चौधरी, 
                           फ़ॉर्मूला वन रेस में दुनिया की नामचीन हस्तियां होंगी शामिल 
 फ़ॉर्मूला वन ग्रैंड प्रिक्स के दौरान सुरक्षा को लेकर कवायद तेज हो गई है। हाल में दिल्ली हाईकोर्ट बम ब्लास्ट के बाद ग्रेटर नोएडा प्रशासन के साथ-साथ राज्य सरकार के हाथ-पांव फूले हुए हैं। वजह साफ है, इस आयोजन में दुनिया के कई नामचीन हस्तियां शामिल होंगी। इस रोमांच को देखने के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी आ सकते हैं। सचिन तेंदुलकर का आना पक्का है। माइकल शुमाकर के भी आने की चर्चा है। कई केंद्रीय मंत्री और दूसरे राज्यों के बड़े नेता भी देश में पहली बार होने जा रही इस रेस को देखने के लोभ से शायद ही बच पाएं। इसके अलावा हजारों देशी-विदेशी मेहमान इस शो की रौनक बढ़ाएंगे।

गुरुवार, 15 सितंबर 2011

कार ने किया बेकरार..............

सत्यजीत चौधरी, 
    फॉमरूला वन थ्रिल की तैयारियां जोर-शोर से जारी हैं। ग्रेटर नोएडा के करीब बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट पर होने जाने रहे इस रोमांच पर पूरे देश की नजर लगी है। यह रेस कई कंपनियों और अनेक प्रोफेशनल्स के वारे-न्यारे करेगी। अब तक माना जाता था कि ब्रांड प्रोमोशन के लिए क्रिकेट की कोई सानी नहीं है, लेकिन यह रेस इस मिथक को तोड़ेगी। इसके साथ ही रेस देखने आने वाले विदेशी बिजनेस टाइक्यून भी निवेश में दिलचस्पी दिखाएंगे।

बुधवार, 14 सितंबर 2011

फिर एक हादसा, फिर वही दावे

                                                        सत्यजीत चौधरी
   एक और रेल दुर्घटना। फिर न जाने कितनों के माथे का सिंदूर मिटा और कितनों की जिंदगी से सुकून उठा। नहीं जागी तो सरकार। हर रेल दुघर्टना के बाद सरकार और रेल मंत्रालय की ओर से दुघर्टना से बचने के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते है। हर बार अलार्म सिस्टम और एंटी कोजीजन डिवाइस लगाने के वादे किए जाते हैं लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात। बावजूद इसके रेलवे ने न तो एंटी कोलीजन डिवाइस लगवाया और न ही आटोमैटिक अलार्म सिस्टम। ज्यादातर हादसे दो ट्रेनों के टकराने या सिग्नल तोड़ने से हो रही हैं। ऐसे में ये तकनीक काफी अहम हैं।

फार्मूला वन रेस ट्रैक पर कबड्डी !

सत्यजीत चौधरी
   फार्मूला वन रेस के लिए अधिग्रहित की गई भूमि पर अब चमचमाती सड़कें और निर्माण देखकर गांव के गरीब किसानों के जख्मों पर नमक छिड़का जा रहा है। अपने इस दर्द को दूर करने के लिए अब किसान आंदोलन करने को तैयार हैं। किसानों ने अब रेसिंग ट्रैक पर ही कुश्ती व कबड्डी कराने का निर्णय लिया है। अखिल भारतीय किसान सभा की जिला मंत्री परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया है।

जोश, जुनून के लिए बेसब्री का आलम

सत्यजीत चौधरी
  दुनियाभर में मशहूर रफ्तार की यह रौनक अब भारत में दिखने जा रही है। 30 अक्टूबर को आयोजित होने जा रही फार्मूला-1 एयरटेल ग्रांड प्रिक्स आफ इंडिया को लेकर देशभर में बेतहाशा दीवानगी देखने को मिल रही है। दीवानगी का आलम यह है कि रेस के लिए मिलने वाला सबसे कम कीमत 2500 रुपए के सभी टिकट बुक चुके हैं। इस दीवानगी को पूरा करने के लिए छह टीमें हिस्सा ले रही हैं। इस सत्र की नंबर वन टीम बनी हुई रेड बुल ने तो अपने प्रशंसकों से सीधे जुड़ने के लिए प्रतियोगिता भी शुरू की है।

सोमवार, 12 सितंबर 2011

अमर को वर्चुअल वर्ल्ड की सुहानुभूति

सत्यजीत चौधरी
किसकी मजाल है कि जो छेड़े दिलदार को, गर्दिश में घेर लेते हैं कुत्ते भी शेर को, आपने बिग बी तक न जाने कितने लोगों की सहायता की है लेकिन आज कोई पास या साथ नहीं है, हम हैं...यह शब्द हैं समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव और सांसद अमर सिंह के फेसबुक अकाउंट पर पेस्ट किए गए एक शुभचिंतक के। भले ही आज अमर सिंह तिहाड़ जेल में होने की वजह से खुद अपनों से दूर हो गए हों लेकिन आज भी उनके ऐसे साढ़े चार हजार से ज्यादा मित्र हैं जो लगातार उनकी सलामती की दुआ कर रहे हैं और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इस मुसीबत से जल्द बच निकलने को उत्साहित कर रहे हैं।

शनिवार, 10 सितंबर 2011

अब कड़े और बड़े फैसले लेने होंगे

  सत्यजीत चौधरी
11/7, 26/11, 13/7, 7/9....! ये महज तारीखें नहीं हैं। ये हैं उन जख्मों के निशान हैं जो दहशतगर्द हमें लगातार दे रहे हैं। वे बार-बार लौटकर आते हैं। हर बार और भी भयानक रूप के साथ। वे सिर्फ जिंदगियां नहीं छीनते, बल्कि बहुत कुछ छीन ले जाते हैं। वे बच्चों के चेहरे से मुस्कान नोंच लेते हैं। वे मांगों से सिंदूर मिटा देतें हैं। वे परिवारों के मुंह से निवाला झपट लेते हैं। 
   नक्सलबाड़ी, खालिस्तान, कश्मीर, लिट्टे...सत्तर के दशक के बाद से लगातार अलग जमीन, अलग मुल्क के नाम पर भारत के सीने पर जख्म पर जख्म दिए जा रहे हैं। इस नफरत ने हमसे हमारे कई नेता छीन लिए। हमारी विकास प्रक्रिया को बाधित किया। हमें खौफ के साये में जीने के लिए मजबूर किया।
    सरकारें आती रहीं और जाती रहीं, लेकिन हम आतंकवाद के मूल को न तो ठीक से समझ पाए और न ही उनको जड़ से खत्म करने का तरीका ढंूढ पाए। आतंकवाद को लेकर सरकारों का रवैया भी कम दोषपूर्ण नहीं हैं। हम बार-बार उनके दबाव में आते रहे। 1989 में रूबिया सईद का आतंकियों ने अपहरण कर लिया। जम्मू—कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं तत्कालीन केंद्रीय मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के बेटी को मुक्त कराने के लिए जेकेएलएफ के पांच दहशतगर्दों को सरकार को छोड़ना पड़ा। फिर कंधार कांड मामले में भी हम घुटनों के बल आ गए। 1999 में अपहृत विमान यात्रियों की मुक्ति के लिए तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह खुद आतंकियों को लेकर कंधार जाना पड़ा था।

शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

........तो सबको है अन्ना की तमन्ना


सत्यजीत चौधरी
  अन्ना हजारे ने सिर्फ भष्टाचार के खिलाफ अलख नहीं जगाई है, उन्होंने हमारे जमीर को भी जगाया है। हमारे सरोकार को उद्वेलित किया है। नजीजे सामने आने शुरू हो गए हैं। लोग समझ चुके हैं कि मामूली से दिखने वाले इस फकीर के पास सत्य, अहिंसा और प्रण की ऐसी ताकत है, जो अच्छे-अच्छे को झुकने पर मजबूर कर दे। लोगों को हर मसले का हल अन्ना के पास नजर आने लगा है। यही वजह है कि मुख्य धारा से कटकर कश्मीर में अपना आंदोलन चला रहे अलगावादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस ने भी अन्ना से गुहार लगाई है कि वह कश्मीर आएं और कश्मीरियों पर हो रहे जुल्म से निजात दिलाएं। हुर्रियत के उदारवादी धड़े के नेता मीरवाइज उमर फारूख ने कश्मीर घाटी में निर्दो लोगों की हत्या रोकने के लिए अन्ना और उनकी टीम की मदद मांगी है।

बुधवार, 7 सितंबर 2011

कब तक, आखिर कब तक चलेगी यह जंग ?

सत्यजीत चौधरी
    दहशतगर्द दिल्ली के सीने पर एक और जख्म दे गए। रंज इस बात का कि इस बार उन्होंने बताकर राजधानी को लहूलुहान किया है। ठीक तीन महीने तेरह दिन पहले उन्होंने मौत का रिहर्सल किया था और बुधवार को फाइन शो में बारह बेकुसुर मारे गए। 85 से ज्यादा घायल हैं। भगवान करे कि सब चंगे हो जाएं और धमाके से सदमे से उबरकर जल्द से जल्द जिंदगी के कारोबार से जुड़ जाएं।
  विस्फोट की खबर टीवी न्यूज चैनलों पर आने के बाद उन लोगों के होश उड़ गए, जिनके परिजन किसी काम से हाईकोर्ट गए थे। लोकनायक जयप्रकाश, राम मनोहर लोहिया, सफदरजंग अस्पताल और एम्स में लोग बदहवासों की तरह अपनों को तलाश रहे थे। धमाकों में मारे गए लोगों की लाशों पर पछाड़ खा रहे परिजनो का रुदन ने सबको हिलाकर रख दिया।

तिहाड़ जेल बना नेताओं का ठिकाना

                                                         सत्यजीत चौधरी, 
   कभी बड़े और खूंखार किस्म के अपराधियों का ठिकाना कहलाने वाली तिहाड़ जेल में अब नेताओं का भी आना जाना शुरू हो गया है। इसकी शुरुआत भले ही कलमाड़ी और राजा ने की हो, लेकिन इसके बाद से यह सिलसिला ऐसा चला कि नेता भी अपराधों के आरोप में तिहाड़ भेजे जा रहे हैं। ताजा वाकया सपा के पूर्व महासचिव व राज्यसभा सांसद अमर सिंह का है। अमर को भी अब कैश फोर वोट कांड के आरोप में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया है। अब अमर सिंह को जेल की सेल नंबर एक में पूर्व संचार मंत्री ए राजा के साथ रखा जाएगा।

रोकनी होगी पानी की बरबादी

सत्यजीत चौधरी, 
सन् 2007 में केंद्रीय भूमिगत जल बोर्ड ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसका निचोड़ था कि 2025 तक सिंचाई के लिए भूमिगत जल उपलब्धता ऋणात्मक हो जाएगी। रिपोर्ट का यह सार गंभीर खतरे की तरफ इशारा कर रहा है। हम लगातार धरती का दोहन कर रहे हैं। खेती, पेयजल और उोग—धंधों के लिए बेतहाशा भूमिगत जल स्नेतों का दोहन कर रहे हैं।
हालात कितने खराब हो चुके हैं, इसे दिल्ली की मिसाल से समझ जा सकता है। राजधानी की पानी जरूरत 427.5 करोड़ लीटर है, जबकि उपलब्धता है महज 337.5 करोड़ लीटर। इस शहर की पानी की जरूरत पूरी करने के लिए गंगा, यमुना, भाखड़ा नांगल बांध और रेणुका सागर बांध से पानी लिया जा रहा है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि राजधानी से 2015 में भूमिगत जल समाप्त हो जाएगा, यानी मात्र तीन वर्ष बाद।
उत्तर प्रदेश में हालात और भी खराब हैं। प्रदेश में 13 लाख हेक्टेयर खेती सिंचित है, जिसका बड़ा हिस्सा भूमिगत जल पर निर्भर है। नहरों से होने वाली सिंचाई का क्षेत्रफल बढ़ने की बजाय घटने लगा है। राज्य में बुंदेलखंड, पश्चिम उत्तर प्रदेश में नहरों के अलावा खेतों में लाखों की संख्या में नलकूप लगे हैं, जो लगातार धरती की कोख से जीवन का रस सोख रहे हैं। यूपी के ढाई दर्जन जिलों में भूमिगत जल खतरनाक स्तर तक नीचे खिसक गया है। उत्तर प्रदेश के कुल 860 ब्लॉक में से 559 की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है।

सोमवार, 29 अगस्त 2011

शहद, नारियल पानी और संदेश ............

सत्यजीत चौधरी, 
   अन्ना हजारे ने जब अनशन शुरू किया तो तभी से उन पर कई प्रकार के आरोप लगते रहे।किसी ने उन पर संघ के साथ मिलने का आरोप लगाया तो किसी ने मुस्लिम विरोधी होने का। इस बीच अड़िग अन्ना भी बेलौस तरीके से अनशन पर कायम रहे। जब मौका आया तो अन्ना ने अनशन तोड़ने के साथ ही पूरे समाज और अपने विरोधियों को एक ऐसा संदेश दिया, जिससे वह नि:शब्द हो गए। अन्ना ने 13वें दिन की सुबह जब भारी हुजूम के बीच अपना अनशन तोड़ा तो एक नए इतिहास की शुरुआत हो गई। अन्ना ने दिखा दिया है कि वह जनता के सेवक हैं, हिंदुस्तानियों के सेवक हैं।

..पिक्चर अभी बाकी है दोस्त

सत्यजीत चौधरी, 
   अभी तो ली अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है। यह नारा दिया जनलोकपाल बिल के लिए 288 घंटे अनशन पर रहने के बाद अन्ना हजारे ने। अन्ना ने साफ कर दिया है कि आम जनता जिस दर्द को सहन कर रही है, वह उस दर्द को खत्म करने के लिए जीवन भर लड़ाई लड़ेंगे। फिर चाहे लाठियां खानी पड़ें या फिर जेल जाना पड़ा।
    अन्ना ने इस लड़ाई की लगभग समाप्ति के साथ ही अब एक और संघर्ष की बुनियाद रख दी है। अपनी जनता जनार्दन के सामने ही उन्होंने साफ कर दिया है कि अब हमें अपने नेता को चुनने के साथ ही उसे काम न करने पर हटाने का भी अधिकार चाहिए। अन्ना की इस जंग के लिए भी उनकी जनता ने सुर में सुर मिलाए।
     जन लोकपाल बिल की लड़ाई लड़ने वाले अन्ना हजारे ने रविवार को अगली जंग का भी ऐलान कर दिया। कहा कि उन्होंने अनशन अभी छोड़ा नहीं है। यह केवल स्थगित हुआ है। अब वे राइट टू रिकॉल की लड़ाई लडेंगे। उन्होंने कहा कि देश के चुनाव तंत्र में बदलाव होना चाहिए। जनता को नेता के चयन के अधिकार की तरह ही नेता को खारिज करने का अधिकार भी मिलना चाहिए। उसे उम्मीदवार को वापस बुलाने का अधिकार मिलना चाहिए। नापसंदगी के विकल्प पर सबसे ज्यादा वोट आने पर दोबारा चुनाव कराए जाने चाहिए। साथ ही लोगों को चुने हुए प्रतिनिधियों को वापस बुलाने का हक मिलना चाहिए। उत्साह से लबरेज अन्ना हजारे ने साफ कर दिया है कि एक ही जगह सत्ता होने की वजह से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।

शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

गढ़ी जा चुकी ‘मुसलिम छवि’ से निजात कब?

सत्यजीत चौधरी
  देश के मुसलमानों को कई बार अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ता है। अन्ना आंदोलन को लेकर एक बार फिर उन्हें कठघरे में खड़ा कर दिया गया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे की राष्ट्र-व्यापी मुहिम को लेकर मुसलमानों पर निशाने साधे जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस तबके ने खुद को इस अभियान से अलग रखा हुआ है। दरअसल, इस देश के मुसलमानों के बारे में कुछ ऐसे मिथक गढ़ दिए गए हैं, जिन पर कुछ लोग आंख मूंदकर यकीन कर लेते हैं। समस्या यह कि इस देश में मुसलमान उन्हें माना जाता है, जो दाढ़ी रखते हैं। जिनके सिर पर टोपी होती और जो ऊंचा पाजामा पहनते हैं। 

बुधवार, 24 अगस्त 2011

उनकी वॉलिटियरशिप को सलाम करने का दिल चाहा !

सत्यजीत चौधरी
रामलीला मैदान पर अन्ना हजारे के अनशन का आठवां दिन। अन्ना के स्वास्थ्य को लेकर डॉक्टरों की चिंताओं ने देशभर में उनके लाखों चाहने वालों को फिक्रमंद कर दिया है। डॉक्टरों की सलाह है कि अन्ना को धूप से बचाया जाए, सो कुदरत ने भी अपना वात्सल्य उड़ेल दिया। झमाझम बारिश हुई और मौसम एकदम से खुशगवार हो गया। मैदान में मौजूद हजारों लोगों ने भी राहत की सांस ली। बारिश थमते ही नई मुसीबत खड़ी हो गई। पूरा मैदान कीचड़ और पानी से डबाडब हो गया। लेकिन यह क्या, अन्ना को समर्थन देने आए हजारों युवाओं ने कीचड़ साफ करनी शुरू कर दी। किसी ने उनसे ऐसा करने को नहीं कहा। युवक और युवतियां साफ सफाई में जुट गए। अन्ना के कॉज के इन खिदमतगारों में आईटी इंजीनियर थे तो बीपीओ के नफासत भरे माहौल में काम करने वाले यूथ भी थे। पानी की बोलतों को काटकर लड़कियों ने पानी बाल्टियों में भरना शुरू किया। लड़के उस पानी को मैदान के बाहर ठिकाने लगाते देखे गए। कोई घिन नहीं, शर्म का अहसास नहीं। कुछ युवकों ने मैदान में बारिश की वजह से गिर पड़े बैनर का सहारा लेकर पानी उलेचना शुरू कर दिया। उनकी वॉलिटियरशिप को सलाम करने का दिल चाहा।

सोमवार, 22 अगस्त 2011

छोड़ो मत अपनी आन...


सत्यजीत चौधरी
           छोड़ो मत अपनी आन सीस कट जाए, मत झुको अनय पर भले  व्योम फट जाए
                   दो बार नहीं यमराज कंठ धरता है ,मरता है जो एक ही बार मरता है
   रामधानी सिंह दिनकर के यह भाव  अब अन्ना के मन में खूब ही देखने को मिल रहे हैं। 74 साल की उम्र, छह दिन का अनशन, दिन रात एक ही रट, जनलोकपाल बिल। डाक्टरों की टीम अपना कत्वर्य पूरा करते हुए हर पल जांच कर रही है। हर बार कुछ स्वास्थ्य में गिरावट की उम्मीद के साथ जब डाक्टर बैरोमीटर लगाता है तो वह चौंक जाता है। आखिर छह दिन तक अनशन और इतनी भागदौड़ के बावजूद अन्ना का स्वास्थ्य वैसा ही क्यों है?  रविवार को भी जब चिकित्सकों ने अन्ना का स्वास्थ्य परीक्षण किया तो वह अन्ना की यह जिंदादिली देखकर हैरान रह गए। अन्ना भी मंद मुस्कुराहट के साथ चिकित्सकों की ओर देखते हुए मन ही मन कह रहे हैं, छोड़ो मत अपनी आन...

रविवार, 21 अगस्त 2011

ये तेजी बदल सकती है इतिहास !


सत्यजीत चौधरी
  इतिहास बदलता है तो पता भी  नहीं चलता। पहले की क्रांतियों में तो खून भी  बहता था लेकिन अन्ना की इस क्रांति में जो सुकून देखने को मिल रहा है, वह एक नए इतिहास की ओर इशारा करता है। तिहाड़ जेल में 68 घंटे खाली पेट बिताने के बाद राजघाट पर अन्ना ने दौड़ लगाई तो उन्हें देखने वाला हर शख्स हैरत में था। इतने समय तक कुछ भी खाए बिना एक 74 साल का बुजुर्ग कैसे इतना तेज दौड़ सकता है, यही सवाल हर किसी की जुबान पर देखने को मिल रहा था। दरअसल अगर इतिहास के झरोखे से देखें तो अन्ना की यह दौड़ कई मायने रखती है। इससे एक ओर इतिहास की इबारत की ओर इशारा हो रहा है।

शनिवार, 20 अगस्त 2011

ये हैं नए भारत के युवा......

 सत्यजीत चौधरी
   वे सड़कों पर हैं, पूरे संयम के साथ। नारे गढ़ रहे हैं। कैंडल मार्च निकाल रहे हैं। नुक्कड़ नाटक कर रहे हैं। गीत लिख रहे हैं, गा रहे हैं। तिरंगा लहरा रहे हैं। चित्र बना रहे हैं। हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं। मौन जुलूस निकाल रहे हैं। ये नए भारत के युवा हैं, पूरी रचनात्मकता और सकारात्मकता के साथ। ये हैं अन्ना हजारे की ताकत, जिसे देश पिछले चार दिन से देख रहा है और अचंभित हो रहा है। भ्रष्टाचार को लेकर उनमें बेहद गुस्सा है, लेकिन वे आपा नहीं खो रहे हैं। दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ, पटना, जयपुर चंडीगढ़, श्रीनगर, बंगलुरु, हर जगह यूथ बिग्रेड अन्ना के अभियान को आगे बढ़ाने में महती भूमिका अदा कर रही है। अभी हाल में जेंटलमैनों के देश ब्रिटेन में युवा ताकत का नंगा नाच देख चुके लोगों के लिए यह सुखद अहसास है कि भारत के युवा एक स्वतस्फुर्त अनुशासन में बंधकर करप्शन के खिलाफ अपनी आवाज मुखर कर रहे हैं।

आगे-आगे अन्ना की सवारी , पीछे-पीछे जनता सारी


सत्यजीत चौधरी
 स्वतंत्र भारत  के इतिहास में किसी जिंदा व्यक्ति के साथ शायद ही इतना बड़ा हुजूम चला हो। 68 घंटे तिहाड़ जेल में बिताने के बाद शुक्रवार की दोपहर जब अन्ना हजारे रामलीला मैदान जाने के लिए बाहर आए तो उनकी अगवानी के लिए पूरा जनसैलाब पलक-पांवड़े बिछाए खड़ा था। उसी वक्त उमस और गर्मी से निजात दिलाने के लिए इंद्र भगवान ने भी  अपनी रहमत बरसानी शुरू कर दी। मौसम हो या कोई भी  दुश्वारी, अन्ना की सवारी एक बार तिहाड़ जेल से निकली तो राजघाट होते हुए रामलीला मैदान में ही जाकर रुकी।

बुधवार, 27 जुलाई 2011

रब्बानी ने दिखाई खुशरंग 'हिना'

सत्यजीत चौधरी
 परवेज मुशर्रफ समेत अब तक भारत आए पाकिस्तान के अधिसंख्य नेता अपने साथ खार यानी कांटे लेकर आए। यह पहला मौका है, जब कोई पाकिस्तानी लीडर ने हिंदोस्तान की जमीन पर पैर रखने के बाद खार यानी कश्मीर का जिक्र नहीं किया। जी हां, बात हो रही पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार की।

सोमवार, 25 जुलाई 2011

......... तो अजित सिंह सिर्फ तीन जिलो के नेता !

सत्यजीत चौधरी
     मिशन उत्तर प्रदेश के तहत जारी चुनावी तैयारियां में हर दिन नए-नए कयास पैदा हो रहे हैं। एक ओर कांग्रेस को वापसी के संकेत मिल रहे हैं तो दूसरी ओर रालोद भी  मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। इस बीच अब समाजवादी पार्टी ने भी  मिशन 2012 की तैयारियां जोर शोर से शुरू कर दी हैं। सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने रालोद से किसी भी  प्रकार के गठबंधन को साफतौर पर नकार दिया है। वार्ता करते हुए उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया है कि चौधरी अजित सिंह केवल तीन जिलों के नेता हैं। उनसे गठबंधन का सवाल ही पैदा नहीं होता है। वो अगर हमारी पार्टी में रालोद का विलय कर लें तो हम उन्हें जिला स्तर से राष्ट्रीय स्तर का नेता बना देंगे।

शुक्रवार, 22 जुलाई 2011

........तो सरकार कि नीति ने सबको छला

                                          सत्यजीत चौधरी 
  विकास के सुपर हाईवे पर जिस बदहवासी और बेतरतीबी से सरकार दौड़ रही थी, उसका यह अंजाम तो होना ही था। औने—पौने दाम पर काश्तकारों की जमीन ली गई, फिर लैंड यूज बदलकर बिल्डरों को सौंप दी गई। मजबूरन अदालतों को स्पीड ब्रेकर बनना पड़ा। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में शासन द्वारा अधिग्रहीत कुछ भूखंडों पर हो रहे निर्माण कार्य पर कोर्ट ने रोक लगा दी है। इससे सरकार को तो कुछ नहीं बिगड़ा, लेकिन उन हजारों लोगों अरमान चकनाचूर हो गए, जो अपने आशियाने का ख्वाब पाले बैठे थे।  कई बड़े और छोटे बिल्डरों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। आवासी प्रोजेक्ट्स में करोड़ों रुपए फंसा चुके बिल्डर्स से निवेशक पैसे वापस मांग रहे हैं। सबने सरकार की बेसिर-पैर की भूमि अधिग्रहण नीति का खामियाजा भूगता। नोएडा एक्सटेशन फ्लैट्स बायर एसोसिएशन के बैनर तले निवेशकों ने हाईकोर्ट की शरण ली है। दूसरी तरफ, प्राइवेट बिल्डर्स नोएडा अथॉरिटी, किसानों और सरकार को मनाने की कोशिश में लगे हैं। इसके साथ ही शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मायावती सरकार की मुश्किलें बढ़ाते हुए पिछले दस साल के दौरान समूचे प्रदेश में हुए भूमि अधिग्रहण का ब्योरा तलब कर लिया है।

गुरुवार, 21 जुलाई 2011

राहुल चले अब पूर्वी यूपी


-पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पैदल यात्रा कर किसानों के दिलों में जगह बनाने के बाद अब पूर्वी यूपी की बारी
-सुनेंगे किसानों का दुखड़ा, चंदौली में बिजली घर के लिए हो रहे अधिग्रहण पर भी  लेंगे जानकारी
सत्यजीत चौधरी
   पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी कई दिन की पैदल यात्रा और फिर किसान महापंचायत करके माया सरकार को हिला देने वाले कांग्रेस युवराज अब पूर्वी उत्तर प्रदेश की ओर बढ़ रहे हैं। अपने अ•िायान की अगली कड़ी में राहुल पूर्वी यूपी के किसानों का दुख दर्द सुनेंगे और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास करेंगे।  राहुल की यह यात्रा गुरुवार से शुरू हो रही है और वह सबसे पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में जा रहे हैं। इस दौरान वह वाराणसी के पास स्थित चंदौली में बिजलीघर को लेकर हो रहे अधिग्रहण की •ाी जानकारी लेंगे और किसानों के विरोध में आवाज से आवाज मिलाएंगे।

बुधवार, 20 जुलाई 2011

किसानों का दर्द, अब bhattaparsaul.com पर

-कांग्रेस के सात नेताओं ने मिलकर लांच की वेबसाइट bhattaparsaul.com
-भट्टा परसौल की जमीन अधिग्रहण के खिलाफ वर्चुअल जंग का ऐलान
-किसी भी  तरह से मामले को भूनाना चाहती है कांग्रेस, तेजी से जुड़ रहे हैं लोग
   सत्यजीत चौधरी, 
     25 मिलियन स्क्वायर मीटर की जमीन, उसकी उपज और उससे जुड़े किसानों से इतर विकास के नाम पर अधिग्रहण। किसानों का विरोध, लाठीचार्ज और गोलीबारी के बाद शुरू हुई राजनीति अब हर कदम आगे बढ़ती जा रही है। भले ही दूसरे राजनीतिक पार्टियों को किसानों के आंदोलन में ज्यादा रिस्पांस न मिला हो लेकिन कांग्रेस की ओर से लगातार इस मामले को भूनाने का काम किया जा रहा है। कांग्रेस के युवराज की पैदल यात्रा और किसान महापंचायत के बाद अब कांग्रेस के सात नेताओं ने भट्टा परसौल नाम की एक विशेष वेबसाइट लांच कर दी है।

.....तो हाईटेक हो चुके है आतंकियों के नेटवर्क !

सत्यजीत चौधरी, 
 मुंबई में हाल में हुए आतंकी हमलों के बाद रक्षा विशेषज्ञ, खुफियातंत्र के जानकार, सामाजिक विज्ञान के ज्ञाता और मीडिया एक सवाल बार-बार उठा रहे हैं कि आखिर कब तक देश ऐसे हमलों के जख्म झेलता रहेगा। देश के गुप्तचर ढांचे की क्षमता और काम—काज के तौर-तरीकों पर  उंगली उठ रही है। हर हमले के बाद बड़ी—बड़ी बातें होती हैं। राजनीति बयान दिए जाते हैं और फिर वक्त बीतने के साथ सब खुला दिया जाता है। 9/11 के हमलों के बाद अमेरिका ने खुद को इतना मजबूत कर लिया कि कोई भी  खूंरेजा का मंसूबा बनाने की जुर्रत नहीं कर सका।