शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

हिमालय की संतानों की सुध कौन लेगा !!!

सत्यजीत चौधरी 
सीना ताने खड़े पहाड़ मनुष्य को धैर्य, शक्ति, जीवटता, अभिमान और स्थायित्व जैसे जीवन तत्वों का साक्षात्कार कराते हैं। विश्वविख्यात रूसी पर्वतारोही एनातोली बोखीरीव की डायरी के एक पन्ने पर दर्ज है, पहाड़ कोई स्टेडियम नहीं है, जहां मैं अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करूं। पहाड़ तो गिरजाघर हैं, जहां मैं अपने धर्म के कर्म को पूरा करता हूं। वाकई इन पूजनीय पहाड़ों को हमने अपनी लालच, महात्वाकांक्षाओ और आर्थिक विकास का स्टेडियम बना दिया है। पहाड़ों के सीने से हरियाली नोच—नोचकर हम उसमें कंक्रीट भरते जा रहे हैं। नतीजा उत्तराखंड के रूप में हमारे सामने है।