रविवार, 29 मई 2011

यादें आज भी जिंदा हैं..................


चौधरी चरण सिंह की पुण्यतिथि पर विशेष


सत्यजीत चौधरी
      वक्त बीत जाता है लेकिन यादें नहीं जाती। अपनी पाक-साफ और हक की लड़ाई के लिए अपनी जान लगा देने वाले देश के सातवें प्रधानमंत्री आज हमारे बीच में नहीं हैं। उनकी यादें और उनकी राजनीति के प्रति समर्पण की भावना आज भी उनकी माफिक हमारे बीच जिंदा है। भारत के सातवें प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह की पुण्यतिथि के बीच आज की उनका जनता के प्रति समर्पण उस अगुवाई को तरसता है। हालांकि इस बीच कई किसानों के हितैषी आए लेकिन चौधरी चरण सिंह की भरपाई नहीं हो पाई। नतीजतन आज कई किसान बेरुखी और बेबसी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं।

-भारत के सातवें प्रधानमंत्री के बाद बेरंग हो गई किसानों और जाटों की राजनीति- भूमि अधिग्रहण से लेकर तमाम मामलों में एक लीडर के लिए तरस रहे हैं किसान

शनिवार, 14 मई 2011

रफ्ता-रफ्ता बढ़ गई ममता दीदी जीत की ओर


सत्यजीत चौधरी

आखिर साढ़े तीन दशक बाद पश्चिमी बंगाल का लालगढ़ टुकड़े-टुकड़े हो गया। खुद को अजेय समझने वाला लेफ्ट फ्रंट  विधानस•ाा चुनावों में करारी शिकस्त के बाद चोट सहला रहा है और सोच रहा है कि यह क्या हो गया। बदलाव की यह इबारदत लिखी है ममता बनर्जी ने। पिछले कई साल से वाम मोर्चे के किले की एक-एक र्इंट खिसका रही ममता ने देश के चुनावी इतिहास में एक रिकॉर्ड बनाया है।
  • -गॉड फादर के बिना ममता ने छुए सत्ता के नए आयाम
  • -वर्षों पुराना इतिहास बदलकर इतिहास महिला बन गई ममता बनर्जी 

शुक्रवार, 13 मई 2011

कदम दर कदम बढ़ रही महिलाएं



सत्यजीत चौधरी, 
 पांच राज्यों में विधानसभा  चुनाव के नतीजों में दो राज्यों में महिलाओं का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय है। पश्चिमी बंगाल में ममता बनर्जी तो तमिलनाडु में जयललिता सीएम की कुर्सी की प्रबल दावेदार है। इस तरह, देश के चार राज्यों की कमान महिलाओं के हाथ में होगी। 
    
  राजनीति में महिला सशक्तिकरण का इससे अच्छा उदाहरण क्या हो सकता है। राष्टपति जैसे सर्वोच्च संबैधानिक पद पर पहले से ही प्रतिभा  पाटिल विराजमान हैं। देश के सबसे बड़े राजनीति दल कांग्रेस की मुखिया सोनिया गांधी भी  महिला हैं। सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की कमान मायावती के पास है। देश के दिल दिल्ली को शीला दीक्षित 12 साल से संभाल रही हैं।  

  • -महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी  कायम हुई मिसाल
  • -देश में एक नए बदलाव की बयार लेकर आया है विधानसभा  चुनाव

बुधवार, 4 मई 2011

रालेगन से दिल्ली तक

-आज के गांधी की संज्ञा दी जाती है अन्ना हजारे को
-अपने पथरीले गांव रालेगन को दुनिया के फलक पर दिलाई एक अलग पहचान

सत्यजीत चौधरी 
 लोग उन्हें आज के गांधी की संज्ञा देते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंकते हुए उन्होंने एक छोटे से गांव रालेन से दिल्ली तक का सफर करके सरकार और दुनिया को दिखा दिया है कि अगर मन में सचाई के लिए लड़ने का जज्बा हो तो कारवां खुद ही बन जाता है। आज अन्ना किसी पहचान का मोहताज नहीं हैं लेकिन इससे पहले उन्होंने देश और समाज के लिए जो किया है, वह काबिलेतारीफ है। अपनी जिंदगी को दूसरों के लिए कुर्बान करने का जज्बा रखने वाला यह शख्स यंू ही भारतीय जनता का आज का गांधी नहीं बन गया है, बल्कि इसके पीछे है, उनका त्याग और बलिदान।