शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2017

11 फरवरी को तय होगा जाटो का मूड : चौधरी अजित सिंह के प्रति वफ़ा या मोदी में आस्था

     
      11 फरवरी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में जाट अहम रोल अदा करने जा रहे हैं. इस बात का अहसास भाजपा को पहले से ही हो गया था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्सों में रहने वाले जाटों के एक तबक़े ने अब तक मोदी का साथ नहीं छोड़ा है, लेकिन अब भगवा पार्टी को लेकर उनका उत्साह उस स्तर का नहीं रह गया है, जितना पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त था। शायद यही वजह कि पार्टी वेस्ट यूपी में जाटों के बड़े वोट बैंक को  हाथ से जाने नहीं देना चाहती ।
    जाटों को वापस अपने पाले में लाने के लियें भाजपा की तमाम कसरतें नाकाम हो चुकी हैं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 19 जिलों में जाट हैं और उत्तर प्रदेश में 60 -70 जाट निर्णायक सीटें हैं जिन पर तकरीबन 40 प्रतिशत से अधिक जाट वोट है। 
     
हाल के दिनों में यह बात तो साफ़ हो गई है 2013 को लेकर जाटों और मुसलमानों में पश्चाताप सा है. खास तौर से जाटों को लगता है कि उनका इस्तेमाल किया गया है. यही कारण है कि जाट अपने सबसे बड़े नेता चौधरी चरण सिंह के परिवार में फिर आस्था जता रहे हैं . जनवरी में जाट नेता यशपाल मलिक की आगुवाही में खरड़ गाँव में हुई जाट महापंचायत ने नरेंद्र मोदी की पार्टी को वोट करने की मनाही कर दी थी. ऐसा अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए नहीं बल्कि बीजेपी को मजा चखाने के मकसद से किया गया .
       उत्तर प्रदेश में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को लेकर जाटों के अंदर आज भी सम्मान और श्रद्धा का भाव है। जानकारों की मानें तो 50 से 90 के दशक तक जाटों ने हमेशा चौधरी चरण सिंह का साथ दिया। चरण सिंह के निधन के बाद उनके बेटे अजित सिंह जाट नेता के तौर पर उभरे लेकिन मुजफ्फरनगर दंगे के बाद समीकरण पूरी तरह से बदल गया। केंद्र से जाट आरक्षण मिलने के बावजूद भी वेस्ट यूपी का जाट वोटर रालोद छोड़कर भाजपा के साथ आ गया था. लेकिन आरक्षण और गन्ने भुगतान को लेकर केंद्र सरकार के रवैये से जाट खासा खफा हैं। शुक्रवार को बिजनौर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जाटों को मानने की कोशिश की , मोदी ने अपने संबोधन में चौधरी चरण सिंह का जिक्र बार बार किया। साथ ही आश्वासन दिया कि भाजपा सरकार बनने पर हर जिले में किसानों की मदद के लिए चौधरी चरण सिंह किसान कल्याण कोष बनाया जाएगा। इसके साथ ही पीऍम ने जाट बेल्ट के किसानों को भी साधने की कोशिश की। उनहोंने यूपी में भाजपा सरकार बनते ही गन्ना किसानों का पूरा भुगतान करवाने की बात कही। साथ ही छोटे किसानों के कर्ज माफ करने का भी ऐलान किया। अब देखना होगा कि 11 फरवरी को जाट क्या मूड दिखाते हैं. चौधरी अजित सिंह के प्रति वफा दिखते हैं या मोदी में आस्था दिखाते हैं