सत्यजीत चौधरी
सिर पर सवार सूरज अग्नि वर्षा कम करने को तैयार नहीं है। पारा नई-नई ऊंचाइयां गढ़ रहा है। राजधानी दिल्ली से लेकर सबसे पिछड़े राज्य बिहार में बिजली की किल्लत से हाहाकार मचा हुआ है। बिजली नहीं है तो पानी भी नदारद है, लिहाजा जनता जर्नादन प्यास से भी बिलबिला रही है। ऐसी ही हालत कुछ देश की आर्थिक सेहत की है। गंभीर संकट से गुजर रहे देश में रुपए और सकल घरेलू उत्पाद का गिरना यह बता रहा है कि देश की आर्थिकसेहत किस खतरनाक हद तक गिर चुकी है। पिछले एक पखवाड़े से तमाम आर्थिक परेशानियां, रुपए के अवमूल्यन और गिरती उत्पाद दर को भूलकर हमारे सियासतदां राष्ट्रपति चुनने की कवायद में जुटे हैं। स्टैंडर्ड एंड पूवर्स की रेटिंग चेतावनी को नजरंदाज कर सरकार निश्चिंत है कि हालात सुधार लिए जाएंगे, लेकिन सरकार चाहे जितनी बेफिक्र हो, हकीकत तो यह है कि आर्थिक नाकामियों, बढ़ती महंगाई और सरकार की अस्थिर हालत ने जनता को गहरे अवसाद में डाल दिया है। पेट्रोल की बढ़ी कीमतों से जनता अभी उबरी भी नहीं थी कि प्रचंड गर्मी में उसे बिजली और पानी के संकट ने घेर लिया है।
सिर पर सवार सूरज अग्नि वर्षा कम करने को तैयार नहीं है। पारा नई-नई ऊंचाइयां गढ़ रहा है। राजधानी दिल्ली से लेकर सबसे पिछड़े राज्य बिहार में बिजली की किल्लत से हाहाकार मचा हुआ है। बिजली नहीं है तो पानी भी नदारद है, लिहाजा जनता जर्नादन प्यास से भी बिलबिला रही है। ऐसी ही हालत कुछ देश की आर्थिक सेहत की है। गंभीर संकट से गुजर रहे देश में रुपए और सकल घरेलू उत्पाद का गिरना यह बता रहा है कि देश की आर्थिकसेहत किस खतरनाक हद तक गिर चुकी है। पिछले एक पखवाड़े से तमाम आर्थिक परेशानियां, रुपए के अवमूल्यन और गिरती उत्पाद दर को भूलकर हमारे सियासतदां राष्ट्रपति चुनने की कवायद में जुटे हैं। स्टैंडर्ड एंड पूवर्स की रेटिंग चेतावनी को नजरंदाज कर सरकार निश्चिंत है कि हालात सुधार लिए जाएंगे, लेकिन सरकार चाहे जितनी बेफिक्र हो, हकीकत तो यह है कि आर्थिक नाकामियों, बढ़ती महंगाई और सरकार की अस्थिर हालत ने जनता को गहरे अवसाद में डाल दिया है। पेट्रोल की बढ़ी कीमतों से जनता अभी उबरी भी नहीं थी कि प्रचंड गर्मी में उसे बिजली और पानी के संकट ने घेर लिया है।