सोमवार, 20 जून 2011

वित्त मंत्रालय मे जासूसों कि सेंध !


- विकिलीक्स के दावे से जुड़ सकता है वित्त मंत्रालय का मामला 

सत्यजीत चौधरी
 देश के वित्त मंत्रालय से आई एक खबर ने सबको हिलाकर रख दिया है। एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक की इस खबर के मुताबिक कुछ महीने पहले वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने शक जाहिर किया था कि उनके दफ्तर की जासूसी कराई जा रही है। वित्त मंत्री ने तब प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले की खुफिया तरीके से जांच कराने का आग्रह किया था। इस खुलासे के बाद इंटरनेट साइट विकिलीक्स के उस रहस्योद्घाटन को बल मिला है, जिसमें दावा किया गया था कि अमेरिकी प्रशासन ने भारत समेत विश्व के विभिन्न  देशों के राजनयिकों और सरकारी अधिकारियों की जासूसी करने के निर्देश जारी किए थे।हालांकि खबर छपने और हंगामा मचने के बाद प्रणब दा ने सफाई दी कि इस मामले की आईबी से जांच कराई गई थी, लेकिन उस जांच में कुछ नहीं मिला था।

रविवार, 19 जून 2011

महामहिम बनेगी मिसाल


- सरकार की किरकिरी के बीच काम का साबित होगा यह फंडा

  केंद्र सरकार को भ्रष्टाचार को लेकर लगातार हो रही किरकिरी के बीच अब देश की प्रथम महिला नागरिक महामहिम एक नई मिसाल कायम करने जा रही हैं। देश में ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब कोई राष्ट्रपति अपनी पूरी संपत्ति की घोषणा करने जा रही है। महामहिम का यह कदम देश के उन तमाम नेताओं के लिए भी एक मिसाल बनने जा रहा है जोकि लाख दबाव बनाने के बावजूद अपनी संपत्तियों की घोषणा करने से पीछे हटते हैं। हालांकि अभी तक देश में इस प्रकार का कोई नियम नहीं है, जिसके तहत महामहिम को अपनी संपत्ति की घोषणा करना अनिवार्य है। लेकिन यह माना जा रहा है कि राष्ट्रपति के इस कदम के दूरगामी असर होंगे।

बुधवार, 15 जून 2011

अब अन्ना की बारी

सत्यजीत चौधरी
     बाबा रामदेव को रामलीला मैदान से उठाकर गुमनामी के गर्त में धकेल देने में कामयाबी हो चुकी केंद्र सरकार अब अन्ना हजारे पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। बाबा रामदेव को संघ के समर्थन की बात करने वाली कांग्रेस ने अब अन्ना को •ाी संघ समर्थक बताकर एक नए बवाल को जन्म दे दिया है। यह बवाल अब अन्ना के लिए मुश्किलें पैदा करने वाला साबित होने जा रहा है। हालांकि अन्ना हजारे भी जी जान से पलटवार करने में लग गए हैं, लेकिन सरकार के हौंसले अब बाबा रामदेव के बाद काफी ऊंचे दिखाई दे रहे हैं.
   

मंगलवार, 14 जून 2011

लोकतंत्र का जंतर-मंतर फिर गुलजार

   जंतर-मंतर पर एक बार फिर रौनक शुरू हो गई है। रविवार तक बंदिशों के साए में रह रहे लोगों में एक बार फिर से एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है। लोग अपना डेरा-तंबू गाड़ने के साथ ही अपनी दुकानें भी सजाने लगे हैं। प्रदर्शनों के दौर का सिलसिला भी एक बार शुरू होने लगा है। ऐसे में जंतर-मंतर फिर नए आंदोलनों को मंच देने के लिए तैयार दिखाई दे रहा है।
    दिल्ली का जंतर-मंतर, नाम जेहन में आते ही धरने या प्रदर्शन दिमाग में कौंधने लगते हैं। बाबा रामदेव प्रकरण के बाद से जंतर-मंतर पर धारा 144 लागू हो गई थी। यहां रहने वाले शख्स हर पल दहशत के साए में जीने को मजबूर था। इस बीच कई लोगों ने तो दहशत और नुकसान होने की वजह से अपनी दुकानें ही कुछ दिनों के लिए बंद कर दी थी।

किसने बुझाई ज्योति, सवाल हैं कई !

सत्यजीत चौधरी
    ज्योतिर्मय डे को खतरों से खेलने का जुनून था। किसी की नहीं सुनते थे। क्राइम रिपोर्टिंग उनको थ्रिल देता था। बताया जाता है कि मुंबई में कोई बड़ी वारदात हो जाती तो कभी-कभी पुलिस उसे वर्क आउट करने में ज्योतिर्मय की मदद लेती थी। बड़े आर्गनाइज्ड गैंग और उनकी मोडस आॅपरेंडी डे की टिप्स पर रहती थी। घर वालों ने समझाया, सहकर्मियों ने आगाह किया, लेकिन डे धुन के पक्के थे। हाल के दिनों में वह महाराष्टÑ में सक्रिय तेल माफिया के करतूतों का ब्योरा इकट्ठा करने में लगे थे। सूत्र तो यहां तक कहते हैं कि डे दाऊद इब्राहीम और छोटा राजन के देश छोड़ने के बाद मुंबई अंडरवर्ल्ड में दोनों माफिया डॉन प्रॉक्सी चेहरों को बेनकाब करने में जुटे थे। एक सच यह भी है कि मुंबई में बिना पुलिस की मिलीभगत के न तो एक्सटार्शन का कारोबार चल सकता है और न ही हफ्ता वसूली। यह भी हो सकता है कि इस हत्याकांड में खुद किसी पुलिस वाले की भूमिका हो।

गुरुवार, 9 जून 2011

..और ऐसे ही जुदा हो गया देश पर फिदा शख्स

सत्यजीत चौधरी 
  महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में पैदा होकर कला की दुनिया में कदम रखने की हिम्मत जुटाने वाले भारत के पिकासो मकबूल फिदा हुसैन का लंदन में निधन हो गया। इसके साथ ही एक कला का कद्रदान अपने वतन लौटने की हसरत दिल में लेकर हमेशा के लिए इस दुनिया से विदा हो गया। कई वजह से विवादों में रहे मकबूल फिदा हुसैन निर्वासित जीवन जी रहे थे। उनके निधन पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित कई हस्तियों ने दुख जताया।

बुधवार, 8 जून 2011

भाजपा रूपी जहाज पर उमा भारती की रि-लैंडिंग

सत्यजीत चौधरी
 कहते हैं आजमाए हुए को नहीं आजमाना चाहिए, लेकिन भाजपा में तो यह जैसे परंपरा—सी बन गई है। नेता पार्टी से निकाले जाते हैं और जब जरूरत पड़ती है, फिर तलब कर लिए जाते हैं। फिलहाल भगवा फायर ब्रांड उमा भारती को पार्टी ने याद किया है। उमा भी  तमाम कड़ुवी—कसैली यादे बिसराकर एक बार फिर घर लौट आर्इं हैं। पिछले छह साल से भाजपा से बाहर चल रही उमा की वापसी की अटकलें काफी समय से लगाई जा रही थीं। मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने उमा का मुंह मीठा कराकर भाजपा में स्वागत किया। अब देखना है कि यह मिठास कब तक कायम रहती है।
       बहरहाल, उमा भारती को उत्तर प्रदेश विधानसभा  की कमान सौंपने के लिए लाया गया है। दरअसल पार्टी को समझ में नहीं आ रहा है कि यूपी में भाजपा के हिसाब से माहौल कैसे बनाया जाए। पार्टी यह अच्छी तरह से जानती है कि साध्वी को भाजपा की परिधि में बांधे रखना कितना दुष्कर है। वह मिनटों में किसी की भी  ऐसी—तैसी करने का दमखम रखती हैं, चाहे वह वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ही क्यों न हों। पिछले छह साल के दौरान मध्य प्रदेश में रहकर उमा भारती ने लोक हित के ढेरों काम किए, लेकिन उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा का सूखापन नहीं गया। प्राण कहीं भाजपा में अटके रहे। तभी तो पार्टी में शामिल होते वक्त उन्होंने भाजपा मुख्यालय पर मौजूद प्रेस के सामने सूरदास को उधृत किया और कहा
—मेरो मन अनत कहां सुख पावै, जैसे उड़ि जहाज कौ पंछी पुनि जहाज पै आवै॥

शुक्रवार, 3 जून 2011

भष्टरोग पर भारी हठयोग

-दुनिया भर के देशों से मिला बाबा रामदेव के अनशन को समर्थन
-भारत के आंदोलनों के इतिहास में एक नया अध्याय लिख रहे हैं बाबा रामदेव
सत्यजीत चौधरी
 बाबा रामदेव के भरष्टाचार और काले धन के खिलाफ मुहिम का शंखनाद हो चुका है। मुहिम को देशभर से करोड़ों की संख्या में समर्थन मिलने के साथ ही यह इतिहास के पन्नों में अपनी एक अलग वजह से दर्ज हो गया है। देश का पहला ऐसा आंदोलन है, जिसे देश ही नहीं दुनिया के 25 से ज्यादा देशों की जनता का पूर्ण समर्थन हासिल हो गया है। शनिवार से शुरू हुए अनशन को दुनिया में अलग-अलग देशों में अलग तरीके से समर्थन हासिल हो गया।