मंगलवार, 27 सितंबर 2011

यूपी में निलंबनों की झड़ी, यानी अन्ना इफेक्ट

सत्यजीत चौधरी
   उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती इस समय पूरे फार्म में हैं। पार्टी की छवि खराब कर रहे नेताओं को वह एक के बाद एक कर सजा दे रही हैं। सजा भी ऐसी कि नेता याद रखें। कसूरवारों को वह पार्टी से निकाल नहीं रही हैं, बल्कि निलंबन की चिट्ठी थमाकर उन्हें किसी और पार्टी में जाने लायक नहीं छोड़ रही। सस्पेंशन की पाइपलाइन में अभी कई और नाम है। सब दम साधे सोच रहे हैं, अगला कौन?
   सूत्र बता रहे हैं कि आने वाले कुछ ही दिनों में एक बड़े नाम समेत कुछ और नेताओं पर गाज गिर सकती है। इन नामों में एमएलसी संजय द्विवेद्वी उर्फ रामू द्विवेद्वी, मंत्री सुभाष पांडेय और बाबू सिंह कुशवाहा के नामों की सुगबुगाहट है।

मंगलवार, 20 सितंबर 2011

सियासी मेहरबानियों का दौर

सत्यजीत चौधरी, 
सियासी मेहरबानियों का दौर यूपी की मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यक कार्ड खेला, तो दिल्ली की सीएम  ने दलित कार्ड 
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती आजकल चिठ्ठियां लिखने में व्यस्त हैं। यका-बाद-दीगरे यानी एक बाद एक वह प्रधानमंत्री को तीन खत भेज चुकी हैं। चौथा पत्र भी आ सकता है। डा. मनमोहन सिंह को लिखे पहले पत्र में मुख्यमंत्री ने मुसलमानों के लिए आरक्षण की मांग रखी। दूसरे दिन उनका सवर्ण प्रेम जागा, तो उन्होंने पिछड़े सवर्ण को भी आरक्षण के दायरे में रखने की हिमायत की। तीसरे दिन उन्हें जाट याद आ गए, लिहाजा उन्होंने पीएम को पत्र लिखकर इस बिरादरी के लिए ओबीसी कोटे में आरक्षण की मांग कर डाली। इस बीच, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को लगा मायावती बाजी मार ले जा रही हैं, तो उन्होंने पश्चिम उत्तर प्रदेश तक मार करने वाला मिसाइल छोड़ा। दलित कार्ड खेलते हुए शीला ने झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले अनुसूचित जाति के लोगों को मुफ्त में आवास देने का ऐलान कर डाला। योजना के तहत लगभग सत्तर हजार आवासों का निर्माण किया जाना है। सरकार के अनुसार चौदह हजार आवास आवंटन के लिए तैयार हैं।

रविवार, 18 सितंबर 2011

‘खेल’ खेल में............

Yashpal Singh
         केंद्रीय खेल मंत्री अजय माकन ने खेल विधेयक का मसौदा पेश कर जैसे बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया है। खेल संघों पर सालों से काबिज लोगों ने इस मसौदे का जोरदार विरोध किया है। इस मसौदे का समर्थन करने वालों को वे बिना देर किए खारिज कर देना चाहते हैं। राष्ट्रीय खेल की कमान थामने वाले भारतीय हॉकी संघ (आईएचएफ) ने एशियन चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाली हॉकी टीम के साथ किस तरह का मजाक किया, इसको पूरी दुनिया ने देखा। आखिर इस निराशजनक दौर में देश में खेल का स्वस्थ माहौल कैसे बने? आजकल के ताजा अंक में विश्लेषण कर रहे हैं यशपाल सिंह.

शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

नो फ्लाई जोन में तब्दील हो जाएगा नोएडा

सत्यजीत चौधरी, 
                           फ़ॉर्मूला वन रेस में दुनिया की नामचीन हस्तियां होंगी शामिल 
 फ़ॉर्मूला वन ग्रैंड प्रिक्स के दौरान सुरक्षा को लेकर कवायद तेज हो गई है। हाल में दिल्ली हाईकोर्ट बम ब्लास्ट के बाद ग्रेटर नोएडा प्रशासन के साथ-साथ राज्य सरकार के हाथ-पांव फूले हुए हैं। वजह साफ है, इस आयोजन में दुनिया के कई नामचीन हस्तियां शामिल होंगी। इस रोमांच को देखने के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी आ सकते हैं। सचिन तेंदुलकर का आना पक्का है। माइकल शुमाकर के भी आने की चर्चा है। कई केंद्रीय मंत्री और दूसरे राज्यों के बड़े नेता भी देश में पहली बार होने जा रही इस रेस को देखने के लोभ से शायद ही बच पाएं। इसके अलावा हजारों देशी-विदेशी मेहमान इस शो की रौनक बढ़ाएंगे।

गुरुवार, 15 सितंबर 2011

कार ने किया बेकरार..............

सत्यजीत चौधरी, 
    फॉमरूला वन थ्रिल की तैयारियां जोर-शोर से जारी हैं। ग्रेटर नोएडा के करीब बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट पर होने जाने रहे इस रोमांच पर पूरे देश की नजर लगी है। यह रेस कई कंपनियों और अनेक प्रोफेशनल्स के वारे-न्यारे करेगी। अब तक माना जाता था कि ब्रांड प्रोमोशन के लिए क्रिकेट की कोई सानी नहीं है, लेकिन यह रेस इस मिथक को तोड़ेगी। इसके साथ ही रेस देखने आने वाले विदेशी बिजनेस टाइक्यून भी निवेश में दिलचस्पी दिखाएंगे।

बुधवार, 14 सितंबर 2011

फिर एक हादसा, फिर वही दावे

                                                        सत्यजीत चौधरी
   एक और रेल दुर्घटना। फिर न जाने कितनों के माथे का सिंदूर मिटा और कितनों की जिंदगी से सुकून उठा। नहीं जागी तो सरकार। हर रेल दुघर्टना के बाद सरकार और रेल मंत्रालय की ओर से दुघर्टना से बचने के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते है। हर बार अलार्म सिस्टम और एंटी कोजीजन डिवाइस लगाने के वादे किए जाते हैं लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात। बावजूद इसके रेलवे ने न तो एंटी कोलीजन डिवाइस लगवाया और न ही आटोमैटिक अलार्म सिस्टम। ज्यादातर हादसे दो ट्रेनों के टकराने या सिग्नल तोड़ने से हो रही हैं। ऐसे में ये तकनीक काफी अहम हैं।

फार्मूला वन रेस ट्रैक पर कबड्डी !

सत्यजीत चौधरी
   फार्मूला वन रेस के लिए अधिग्रहित की गई भूमि पर अब चमचमाती सड़कें और निर्माण देखकर गांव के गरीब किसानों के जख्मों पर नमक छिड़का जा रहा है। अपने इस दर्द को दूर करने के लिए अब किसान आंदोलन करने को तैयार हैं। किसानों ने अब रेसिंग ट्रैक पर ही कुश्ती व कबड्डी कराने का निर्णय लिया है। अखिल भारतीय किसान सभा की जिला मंत्री परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया है।

जोश, जुनून के लिए बेसब्री का आलम

सत्यजीत चौधरी
  दुनियाभर में मशहूर रफ्तार की यह रौनक अब भारत में दिखने जा रही है। 30 अक्टूबर को आयोजित होने जा रही फार्मूला-1 एयरटेल ग्रांड प्रिक्स आफ इंडिया को लेकर देशभर में बेतहाशा दीवानगी देखने को मिल रही है। दीवानगी का आलम यह है कि रेस के लिए मिलने वाला सबसे कम कीमत 2500 रुपए के सभी टिकट बुक चुके हैं। इस दीवानगी को पूरा करने के लिए छह टीमें हिस्सा ले रही हैं। इस सत्र की नंबर वन टीम बनी हुई रेड बुल ने तो अपने प्रशंसकों से सीधे जुड़ने के लिए प्रतियोगिता भी शुरू की है।

सोमवार, 12 सितंबर 2011

अमर को वर्चुअल वर्ल्ड की सुहानुभूति

सत्यजीत चौधरी
किसकी मजाल है कि जो छेड़े दिलदार को, गर्दिश में घेर लेते हैं कुत्ते भी शेर को, आपने बिग बी तक न जाने कितने लोगों की सहायता की है लेकिन आज कोई पास या साथ नहीं है, हम हैं...यह शब्द हैं समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव और सांसद अमर सिंह के फेसबुक अकाउंट पर पेस्ट किए गए एक शुभचिंतक के। भले ही आज अमर सिंह तिहाड़ जेल में होने की वजह से खुद अपनों से दूर हो गए हों लेकिन आज भी उनके ऐसे साढ़े चार हजार से ज्यादा मित्र हैं जो लगातार उनकी सलामती की दुआ कर रहे हैं और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इस मुसीबत से जल्द बच निकलने को उत्साहित कर रहे हैं।

शनिवार, 10 सितंबर 2011

अब कड़े और बड़े फैसले लेने होंगे

  सत्यजीत चौधरी
11/7, 26/11, 13/7, 7/9....! ये महज तारीखें नहीं हैं। ये हैं उन जख्मों के निशान हैं जो दहशतगर्द हमें लगातार दे रहे हैं। वे बार-बार लौटकर आते हैं। हर बार और भी भयानक रूप के साथ। वे सिर्फ जिंदगियां नहीं छीनते, बल्कि बहुत कुछ छीन ले जाते हैं। वे बच्चों के चेहरे से मुस्कान नोंच लेते हैं। वे मांगों से सिंदूर मिटा देतें हैं। वे परिवारों के मुंह से निवाला झपट लेते हैं। 
   नक्सलबाड़ी, खालिस्तान, कश्मीर, लिट्टे...सत्तर के दशक के बाद से लगातार अलग जमीन, अलग मुल्क के नाम पर भारत के सीने पर जख्म पर जख्म दिए जा रहे हैं। इस नफरत ने हमसे हमारे कई नेता छीन लिए। हमारी विकास प्रक्रिया को बाधित किया। हमें खौफ के साये में जीने के लिए मजबूर किया।
    सरकारें आती रहीं और जाती रहीं, लेकिन हम आतंकवाद के मूल को न तो ठीक से समझ पाए और न ही उनको जड़ से खत्म करने का तरीका ढंूढ पाए। आतंकवाद को लेकर सरकारों का रवैया भी कम दोषपूर्ण नहीं हैं। हम बार-बार उनके दबाव में आते रहे। 1989 में रूबिया सईद का आतंकियों ने अपहरण कर लिया। जम्मू—कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं तत्कालीन केंद्रीय मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के बेटी को मुक्त कराने के लिए जेकेएलएफ के पांच दहशतगर्दों को सरकार को छोड़ना पड़ा। फिर कंधार कांड मामले में भी हम घुटनों के बल आ गए। 1999 में अपहृत विमान यात्रियों की मुक्ति के लिए तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह खुद आतंकियों को लेकर कंधार जाना पड़ा था।

शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

........तो सबको है अन्ना की तमन्ना


सत्यजीत चौधरी
  अन्ना हजारे ने सिर्फ भष्टाचार के खिलाफ अलख नहीं जगाई है, उन्होंने हमारे जमीर को भी जगाया है। हमारे सरोकार को उद्वेलित किया है। नजीजे सामने आने शुरू हो गए हैं। लोग समझ चुके हैं कि मामूली से दिखने वाले इस फकीर के पास सत्य, अहिंसा और प्रण की ऐसी ताकत है, जो अच्छे-अच्छे को झुकने पर मजबूर कर दे। लोगों को हर मसले का हल अन्ना के पास नजर आने लगा है। यही वजह है कि मुख्य धारा से कटकर कश्मीर में अपना आंदोलन चला रहे अलगावादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस ने भी अन्ना से गुहार लगाई है कि वह कश्मीर आएं और कश्मीरियों पर हो रहे जुल्म से निजात दिलाएं। हुर्रियत के उदारवादी धड़े के नेता मीरवाइज उमर फारूख ने कश्मीर घाटी में निर्दो लोगों की हत्या रोकने के लिए अन्ना और उनकी टीम की मदद मांगी है।

बुधवार, 7 सितंबर 2011

कब तक, आखिर कब तक चलेगी यह जंग ?

सत्यजीत चौधरी
    दहशतगर्द दिल्ली के सीने पर एक और जख्म दे गए। रंज इस बात का कि इस बार उन्होंने बताकर राजधानी को लहूलुहान किया है। ठीक तीन महीने तेरह दिन पहले उन्होंने मौत का रिहर्सल किया था और बुधवार को फाइन शो में बारह बेकुसुर मारे गए। 85 से ज्यादा घायल हैं। भगवान करे कि सब चंगे हो जाएं और धमाके से सदमे से उबरकर जल्द से जल्द जिंदगी के कारोबार से जुड़ जाएं।
  विस्फोट की खबर टीवी न्यूज चैनलों पर आने के बाद उन लोगों के होश उड़ गए, जिनके परिजन किसी काम से हाईकोर्ट गए थे। लोकनायक जयप्रकाश, राम मनोहर लोहिया, सफदरजंग अस्पताल और एम्स में लोग बदहवासों की तरह अपनों को तलाश रहे थे। धमाकों में मारे गए लोगों की लाशों पर पछाड़ खा रहे परिजनो का रुदन ने सबको हिलाकर रख दिया।

तिहाड़ जेल बना नेताओं का ठिकाना

                                                         सत्यजीत चौधरी, 
   कभी बड़े और खूंखार किस्म के अपराधियों का ठिकाना कहलाने वाली तिहाड़ जेल में अब नेताओं का भी आना जाना शुरू हो गया है। इसकी शुरुआत भले ही कलमाड़ी और राजा ने की हो, लेकिन इसके बाद से यह सिलसिला ऐसा चला कि नेता भी अपराधों के आरोप में तिहाड़ भेजे जा रहे हैं। ताजा वाकया सपा के पूर्व महासचिव व राज्यसभा सांसद अमर सिंह का है। अमर को भी अब कैश फोर वोट कांड के आरोप में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया है। अब अमर सिंह को जेल की सेल नंबर एक में पूर्व संचार मंत्री ए राजा के साथ रखा जाएगा।

रोकनी होगी पानी की बरबादी

सत्यजीत चौधरी, 
सन् 2007 में केंद्रीय भूमिगत जल बोर्ड ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसका निचोड़ था कि 2025 तक सिंचाई के लिए भूमिगत जल उपलब्धता ऋणात्मक हो जाएगी। रिपोर्ट का यह सार गंभीर खतरे की तरफ इशारा कर रहा है। हम लगातार धरती का दोहन कर रहे हैं। खेती, पेयजल और उोग—धंधों के लिए बेतहाशा भूमिगत जल स्नेतों का दोहन कर रहे हैं।
हालात कितने खराब हो चुके हैं, इसे दिल्ली की मिसाल से समझ जा सकता है। राजधानी की पानी जरूरत 427.5 करोड़ लीटर है, जबकि उपलब्धता है महज 337.5 करोड़ लीटर। इस शहर की पानी की जरूरत पूरी करने के लिए गंगा, यमुना, भाखड़ा नांगल बांध और रेणुका सागर बांध से पानी लिया जा रहा है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि राजधानी से 2015 में भूमिगत जल समाप्त हो जाएगा, यानी मात्र तीन वर्ष बाद।
उत्तर प्रदेश में हालात और भी खराब हैं। प्रदेश में 13 लाख हेक्टेयर खेती सिंचित है, जिसका बड़ा हिस्सा भूमिगत जल पर निर्भर है। नहरों से होने वाली सिंचाई का क्षेत्रफल बढ़ने की बजाय घटने लगा है। राज्य में बुंदेलखंड, पश्चिम उत्तर प्रदेश में नहरों के अलावा खेतों में लाखों की संख्या में नलकूप लगे हैं, जो लगातार धरती की कोख से जीवन का रस सोख रहे हैं। यूपी के ढाई दर्जन जिलों में भूमिगत जल खतरनाक स्तर तक नीचे खिसक गया है। उत्तर प्रदेश के कुल 860 ब्लॉक में से 559 की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है।