बुधवार, 20 अप्रैल 2016

हौसले को सलाम

     
हौसले का नाम है सीमा तोमर। एक तरफ निचले स्तर सुविधाआें के बीच खुद को साबित करने के लिए पसीना बहाती प्रतिभाएं हैं तो दूसरी तरफ अदना—सी उपलब्धियों के नाम पर इतराते बड़े घरानों के बच्चे। एक आेर सुविधा सपन्न शूटिंग रेंज में आेलंपिक गोल्ड मेडलिस्टों से निशानेबाजी सीखकर वाहवाही बटोरने वाले शूटर हैं तो दूसरी तरफ सीमा तोमर हैं, जिन्होंने अपने गांव की शूटिंग रेंज में बेसिक गन से शूटिंग सीखी और ट्रैप शूटिंग में कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताआें में भारत का मान बढ़ाया। सीमा ने कभी किसी से शिकायत नहीं की। अर्जुन की तरह मछली की आंख पर निशाना साधने का दमखम रखने वाली सीमा के पास न तो द्रोणाचार्य सरीखा कोई गुरु है और न सुविधाआें से लैस कोई शूटिंग रेंज। केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से उन्हें बस आश्वासन भर मिले हैं। साइप्रस के निकोसिया में शॉटगन वीमन ट्रैप प्रतियोगिता में नॉक आउट चरण मात्र एक अंक से चूककर इस अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता से बाहर होने का गम भुलाकर सीमा तोमर ब्राजील विश्वकप में दमखम आजमाने में जुटीं हैं। ब्राजील के लिए रवानगी के समय सीमा से सत्यजीत चौधरी की संक्षिप्त बातचीत।
1. आप शूटर कैसे बनीं? 

शुरू से ही बंदूक से खेलने का शौक था। फिर मां के बाद मौका मिला तो खेलना शुरू कर दिया।

 2. आप कॉलेज की ओर से जैवलिन थ्रो और शॉटपुट जैसी स्पर्धाओं में भाग लेती थी। जैवलिन थ्रो की आप बेस्ट स्टेट प्लेयर रही और इसमें नेशनल लेवल तक आप खेली, फिर इस ओर रुझान कैसे हुआ?
 
खेलों में रूचि थी इसलिए थ्रो में भाग लिया लेकिन अंत में मुझे लगा कि यह मेरे लिए सर्वश्रेष्ठ नहीं है। इसके अलावा, घर में लाइसेंस वाली बंदूक थी, उससे बहुत लगाव था। उसे साफ करना, चलाना सीखाना.... पहली बार जब यह खेल देखा तभी लगा कि मुझे भी यह करना चाहिए।
3. इस मुकाम तक कैसे पहुंची, इसके बारे में कुछ बताइए?
    खेलने का मौका मिला तो पहले एयर राइफल से ही शुरू किया। गांव में ही अभ्यास करते थे और अच्छा प्रदर्शन भी किया। उसके बाद आर्मी के एक जनरल वासुदेव हम आठ निशानेबाजों को इंदौर ले गए। वहां हमें आर्मी के लोगों के साथ निशानेबाजी की। उसके दो साल मैंने एयर राइफल छोड़कर ट्रैप शॉटगन को चुना। तब लगा कि मुझे इसी की तलाश थी।
4. इस दौरान आपके प्रेरणास्रोत कौन रहे?
जब मैं छोटी थी तो जसपाल राणा का नाम बहुत सुना था। इसके बाद मां ने ज्यादा उम्र में शुरुआत की, उससे भी मैं प्रभावित हुई।
5. अभ्यास के लिए आप कितना समय देती है? इसके अलावा एक शूटर के लिए क्या चीज जरूरी है?
जब प्रतियोगिता नजदीक होती है तो सप्ताह में पांच दिन अभ्यास और रोजाना चार घंटे अभ्यास करते हैं। इसके लिए आपका शरीर दुरुस्त और दिमाग शांत होना चाहिए।
6. आपकी शिक्षा-दीक्षा कहां हुईं?
मेरी पढ़ाई-लिखाई पूरी तरह से अपने ही क्षेत्र में संपन्न हुई है। जीवाना बागपत महिला कॉलेज से स्कूल की पढ़ाई की और फिर चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से स्नातक की शिक्षा हासिल की। 
7. अपनी दिनचर्या के बारे में बताइए?
सुबह शूटिंग रेंज जाना तो बहुत जरूरी है। उसके बाद दोपहर में कुछ देर आराम करना और शाम को जिम जाना। बाकी खाली समय में थोड़ा सोना, खाना और टीवी देखना।
8. सरकार से कितनी मदद मिल रही है?
सरकार से जितनी मदद मिलनी चाहिए उतनी नहीं मिलती।
9. जो युवा इस क्षेत्र में अपना कॅरियर बनाना चाहते है, उनके लिए कुछ कहना चाहेगी?
मैं कहना चाहूंगी कि कोई भी मौका बहुत मुश्किल से मिलता है, जो भी मौका मिले उसमें अपना सौ प्रतिशत देना चाहिए। कड़ी मेहनत और खुद पर भरोसे के बिना कुछ हासिल नहीं होता।