शनिवार, 5 मार्च 2011

भ्रष्टाचार के खिलाफ गांधी की तरह लड़ेंगे लड़ाई : अन्ना हजारे



- मांग न मानी जाने पर 12 अप्रैल से शुरू करेंगे जेल भरो आंदोलन
- कांग्रेस का रवैया बेहद आहत करने वाला, प्रधानमंत्री सीधे क्यों कर रहे हैं हस्तक्षेप
सत्यजीत चौधरी
अन्ना हजारे
       उस गांधी की लड़ाई थी गुलामी के खिलाफ तो इस गांधी की जंग है भ्रष्टाचार के खिलाफ, घूसखोरों के खिलाफ। उन अंग्रेजों ने भी देश का खजाना खाली किया था और यह घूसखोर भी  देश को बेचकर खाने की कोशिशें कर रहे हैं। नतीजतन यहां भी  देश को बचाने के लिए गांधी की तर्ज पर एक नया गांधी अकेला ही इस जंग को शुरू करने के लिए निकल पड़ा। दो पग चले जिस ओर, हजारों पग जुड़ गए उनके साथ। सरकार की लाख दबाव के आगे वह झुकने को तैयार नहीं हैं। अन्ना हजारे से हुई खास मुलाकात के कुछ अंश।


सवाल - आप एक बेहद बड़े अ•िायान की शुरुआत कर रहे हैं। आपको लगता है कि सफलता मिलेगी?
जवाब - यह अभियान  नहीं है, एक आंदोलन है, जिसकी जरूरत हर आम आदमी महसूस तो करता है लेकिन इसके खिलाफ बिगुल फंूकने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। मैं निकला हंू, तो तेजी से •ाारत की जनता का मिल रहा सहयोग यह दिखा रहा है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हम सबको आगे बढ़ना होगा। जनता की लगातार बढ़ रही भीड़ और समर्थन से पता चलता है कि भ्रष्टाचार ने भारत को किस कदर जकड़ दिया है।
सवाल - केंद्र सरकार के रवैये को लेकर आप क्या कहेंगे? क्या सरकार आपके इस प्रकार के अनशन से मान जाएगी?
जवाब - कांग्रेस पार्टी का बयान लोगों को गुमराह कर रहा है। यह आंदोलन अनावश्यक कैसे है और यह समय से पहले कैसे है, राष्टÑ को 42 साल से इस तरह के कानून की जरूरत है। सरकार इसे लागू क्यों नहीं कर रही है। हम तब तक अपनी •ाूख हड़ताल खत्म नहीं करेंगे, जब तक सरकार इस विधेयक का मसौदा तैयार करने में नागरिकों की •ाागीदारी पर रजामंद नहीं हो जाती है। हमें अब सरकार या किसी राजनीतिक पार्टी में विश्वास नहीं है और इसलिए अपने बूते कुछ करने का फैसला किया। कोई यह कैसे कह सकते हैं कि मैं दबाव बनाने की चाल चल रहा हूं। हमने जन लोकपाल विधेयक के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलने की इजाजत मांगी थी और हमने सोनिया गांधी के साथ •ाी बैठक करने की कोशिश की। अब हमारा यह आंदोलन सरकार को हमारी बात मानने को मजबूर कर देगा।
सवाल - प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आमरण अनशन न करने का बयान, कहां तक इत्तेफाक रखते हैं आप?
जवाब - उन्हें अपनी सरकार में भ्रष्टाचार से आंखें नहीं बंद कर लेनी चाहिए और उन्हें गठबंधन राजनीति के आगे नहीं झुकने का साहस दिखाना चाहिए। यह प्रदर्शन उनके पहले के प्रदर्शनों से अलग है, यहां प्रधानमंत्री को निंदा करने या आमरण अनशन से रोकने के बजाए जन लोकपाल विधेयक के बारे में विचार करना चाहिए।
सवाल - अगर सरकार आपकी मांग को मानने पर आनाकानी करती है या फिर ढ़ीला रवैया अपनाएगी तो आप क्या करेंगे?
जवाब - मैं तो यही कहंूगा कि अगर सरकार हमारी मांग मानने से इंकार करती है तो जनता तो अपना जवाब देगी ही साथ ही हम •ाी पीछे नहीं हटेंगे। हम अपनी लड़ाई को गांधीवादी तरीके से ही लड़ेंगे। क्योंकि हिंसा किसी •ाी मांग का निदान नहीं करा सकती। अगर आमरण अनशन से काम नहीं चला तो हम 12 अप्रैल से जेल •ारो आंदोलन शुरू करेंगे।
सवाल - आपने अ•ाी कहा है कि आप गांधीवादी विचारों के तहत ही अपने आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे।
जवाब - जी हां, गांधी जी ने अपनी अहिंसात्मक रुख से अंग्रेजों को •ाारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। हम •ाी इसी प्रकार से अपने आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे। हमने फिलहाल प्रधानमंत्री को एक पांच सूत्री पत्र लिखा है,जिसमें यह समझाने की •ाी कोशिश की है कि वह सरकार के पुनर्विचार के आग्रह के बावजूद अपना अनशन क्यों जारी रखे हुए हैं। हम सिर्फ •ा्रष्टाचार विरोधी विधेयक के लिए यह कदम नहीं उठा रहे हैं, बल्कि हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि विधेयक तैयार करने का काम सिर्फ  सरकार के •ारोसे न छोड़ा जाए, क्योंकि यह पूरी तरह से गैर-लोकतांत्रिक तरीका होगा। इससे राजनेताओं को इस विधेयक में खुद के बचाव के लिए रास्ते बनाने का मौका •ाी मिलेगा।
 सवाल - कई राजनैतिक पार्टियां आपको समर्थन देने की बात कर रही हैं।
जवाब - जी हां, कई पार्टियां ऐसा करने का प्रयास कर रही हैं लेकिन मैं किसी •ाी पार्टी पर •ारोसा नहीं करता। पहले जब मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन किया था तो कांग्रेस ने मुझे सपोर्ट देने की बात कही थी और अब कांग्रेस के खिलाफ आंदोलन कर रहा हंू तो •ााजपा अपना सपोर्ट देने की बात कर रही है। मैं किसी भी  पार्टी से बेहतर आम जनता के समर्थन को ज्यादा बेहतर मानता हूँ ।

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