बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

हाशिए पर हरित प्रदेश

सत्यजीत चौधरी, 
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 28 फरवरी के चुनावी महासंग्राम के लिए सबने कमर कस ली है, लेकिन इस बार हरित प्रदेश से लेकर जमीन व जनता से जुड़े अन्य मुद्दे गौण दिखाई दे रहे हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश को पृथक राज्य बनाने के लिए संघर्ष करते आ रहे राष्ट्रीय लोकदल ने कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन करके इस मुद्दे को हाशिए पर पहुंचा दिया है। इसका कारण सीधा है कि जब चुनावी कार्ड खेलने के लिए मायावती सरकार ने उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने का प्रस्ताव केंद्र की कांग्रेसनीत सरकार को भेजा, तो केंद्र से यह प्रस्ताव वापस भेज दिया गया। ऐसे में रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह भी यह कहने को मजबूर हैं कि अलग राज्य के लिए कांग्रेस पहले से ही दूसरा राज्य पुनर्गठन आयोग गठित करने की बात कह रही है। हरित प्रदेश की उत्तर प्रदेश के बंटवारे की मांग बेशक मायावती के प्रधानमंत्री को पत्र लिखने के बाद गरमाई हो, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समाज के हर वर्ग के लोग अलग राज्य की मांग के लिए आंदोलन करते रहे हैं, जिनका नेतृत्व मुख्य रूप से रालोद ने किया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वकील इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लाने के लिए कई दशक से मांग करते आ रहे हैं।
इसके लिए वकीलों ने आंदोलन भी किये, लेकिन आज तक किसी भी दल की उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को हाई कोर्ट की बैंच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लाने का कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है। इसलिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश को पृथक राज्य की मांग पर जोर रहा है, ताकि पृथक राज्य बनने के बाद स्वत: ही हाईकोर्ट की स्थापना हो जाएगी। पिछले सत्तर के दशक से अलग राज्य की शुरू हुई मांग उस समय ज्यादा मुखर हुई, जब उत्तराखंड राज्य इस प्रदेश से अलग हुआ। हालांकि मौजूदा विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों की चुनावी रणनीति से तो यही लगता है कि फिलहाल हरित प्रदेश के मुद्दे को हाशिए पर धकेल दिया गया है।
यहीं से पैदा हुए हैं कई बड़े नेता 
देश आजाद होने के बाद से अब तक यूपी में 20 मुख्यमंत्री बने हैं, जिनमें से चौधरी चरण सिंह, बाबू बनारसी दास, राम प्रकाश गुप्ता, कल्याण सिंह और मायावती पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही संबंध रखते हैं। चौधरी नारायण सिंह जैसे नेता राज्य में उप मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं।
सर्वाधिक खुशहाल है वेस्ट यूपी 
पश्चिमी उत्तर प्रदेश को आंकड़ों के हिसाब से देखंे तो राज्य का यह इलाका हर दृष्टि से प्रदेश के अन्य हिस्सों से कहीं आगे है। कृषि प्रधान क्षेत्र होने के अलावा औोगिक प्रधान भी है। यहां कुल 7,265 औोगिक इकाइयां हैं, वहीं कृषि उत्पादन भी 25.2 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है। प्रति व्यक्ति सालाना आय 17,083 रुपये है। यह आंकड़ा प्रदेश के बाकी क्षेत्रों के मुकाबले सबसे ज्यादा है। इस लिए उत्तर प्रदेश में यह सर्वाधिक खुशहाल इलाका माना जाता है।

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