शनिवार, 20 अगस्त 2011

ये हैं नए भारत के युवा......

 सत्यजीत चौधरी
   वे सड़कों पर हैं, पूरे संयम के साथ। नारे गढ़ रहे हैं। कैंडल मार्च निकाल रहे हैं। नुक्कड़ नाटक कर रहे हैं। गीत लिख रहे हैं, गा रहे हैं। तिरंगा लहरा रहे हैं। चित्र बना रहे हैं। हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं। मौन जुलूस निकाल रहे हैं। ये नए भारत के युवा हैं, पूरी रचनात्मकता और सकारात्मकता के साथ। ये हैं अन्ना हजारे की ताकत, जिसे देश पिछले चार दिन से देख रहा है और अचंभित हो रहा है। भ्रष्टाचार को लेकर उनमें बेहद गुस्सा है, लेकिन वे आपा नहीं खो रहे हैं। दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ, पटना, जयपुर चंडीगढ़, श्रीनगर, बंगलुरु, हर जगह यूथ बिग्रेड अन्ना के अभियान को आगे बढ़ाने में महती भूमिका अदा कर रही है। अभी हाल में जेंटलमैनों के देश ब्रिटेन में युवा ताकत का नंगा नाच देख चुके लोगों के लिए यह सुखद अहसास है कि भारत के युवा एक स्वतस्फुर्त अनुशासन में बंधकर करप्शन के खिलाफ अपनी आवाज मुखर कर रहे हैं।

    इतिहास गवाह है, महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन से लेकर माओत्से तुंग के सांस्कृतिक बदलाव और रूस की क्रांति तक हर परिवर्तन में युवाओं ने अहम भूमिका निभाई है। संपूर्ण क्रांति में जयप्रकाश नारायण की ताकत बनने वालों में अस्सी फीसदी नौजवान ही थे।
   मुंबई के आजाद मैदान पर बृहस्पतिवार को देर रात तक लगा युवाओं जमावड़ा अन्ना के कॉज के लिए गा रहा था। झूम रहा था। करप्शन के खात्मे का संकल्प ले रहा था। इस पूरे मामले में काबिल-ए-गौर बात यह कि पूरे देश में कहीं से भी अब तक हिंसा, तोड़फोड़ की खबर नहीं आई है। यानी युवाओं में नाराजगी तो है, लेकिन उन्होंने महात्मा गांधी की उंगली को मजबूती से थाम रखा है। वे गांधी के महत्व को समझ रहे हैं। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर ऋषभ सोलंकी का कहना है कि जब से होश संभाला, घुटन महसूस कर रहा हूं। परिवार के बहुत से लोगों को रिश्वत के पैसों से फल-फूलते देखा। खुद कई बार छोटे-मोटे कामों के लिए घूस का सहारा लिया है, लेकिन जिस तरह ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार फैल गया है, वह अब स्वीकार नहीं। अन्ना के बिगुल फूंकने के बाद से हल्का महसूस कर रहा हूं। उनके अभियान से जुड़ा हूं। लोकपाल और जनलोकपाल के मसविदे का अध्ययन किया।
  अब इस फर्क के बारे में दूसरों को समझ रहा हूं। जेएनयू के एक छात्र अनुज तीन दिन से अपने ग्रुप के साथ तिहाड़ जेल के बाहर लोगों को पानी पिला रहे थे और गीत गा रहे थे। अनुज बिहार से हैं, कहते हैं, लालू राज्य का चारा (पैसा ) खा गया।
  मुकदमें हुए। पेशियां, हुईं। इसके बावजूद केंद्र में रेल मंत्री बना दिए गए। भ्रष्टाचार के खिलाफ जब तक असरदार कानून नहीं बनता, तब तक करप्ट नेता छुट्टा सांड की तरह चरता रहेगा। अन्ना की इस मुहिम ने पिछले एक साल से यूपी का दौरा कर युवाओं को कांग्रेस से जोड़ने की राहुल गांधी की कवायद को भी बौना साबित कर दिया है। बहुत बड़ा फर्क है। राहुल यूथ को जोड़ रहे हैं और अन्ना के साथ युवा जुड़ रहे हैं। यह नए भारत के युवा का नया परिचय है।
     राहुल युवाओं को राजनीति में बुला रहे हैं, पर युवा अन्ना हजारे के साथ जा रहे हैं। ये हैं नए भारत के युवा, देखने में बेफिक्र, पर सोच से परिपक्व।

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