सोमवार, 22 अगस्त 2011

छोड़ो मत अपनी आन...


सत्यजीत चौधरी
           छोड़ो मत अपनी आन सीस कट जाए, मत झुको अनय पर भले  व्योम फट जाए
                   दो बार नहीं यमराज कंठ धरता है ,मरता है जो एक ही बार मरता है
   रामधानी सिंह दिनकर के यह भाव  अब अन्ना के मन में खूब ही देखने को मिल रहे हैं। 74 साल की उम्र, छह दिन का अनशन, दिन रात एक ही रट, जनलोकपाल बिल। डाक्टरों की टीम अपना कत्वर्य पूरा करते हुए हर पल जांच कर रही है। हर बार कुछ स्वास्थ्य में गिरावट की उम्मीद के साथ जब डाक्टर बैरोमीटर लगाता है तो वह चौंक जाता है। आखिर छह दिन तक अनशन और इतनी भागदौड़ के बावजूद अन्ना का स्वास्थ्य वैसा ही क्यों है?  रविवार को भी जब चिकित्सकों ने अन्ना का स्वास्थ्य परीक्षण किया तो वह अन्ना की यह जिंदादिली देखकर हैरान रह गए। अन्ना भी मंद मुस्कुराहट के साथ चिकित्सकों की ओर देखते हुए मन ही मन कह रहे हैं, छोड़ो मत अपनी आन...
    अन्ना के अनशन के छह दिन हो चुके हैं लेकिन उनके चेहरे पर न तो कोई शिकन है और न ही उनके जोश में कोई कमी आई है। उल्टे उनका जोश दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। यह बात चिकित्सकों को भी  हैरान कर रही है कि बिना कुछ खाए ,उनमें कहां से ताकत आ रही। चिकित्सकों ने अन्ना को इस साल अप्रैल में ही दोनों घुटने बदलवाने की सलाह दी थी लेकिन चार दिन तक भूखे रहने के बाद राजघाट में उन्होंने जिस तेजी से दौड़ लगाई उसे देखकर युवा भी दांतो तले उंगली दबाने के लिए मजबूर हो रहे है। अन्ना का इलाज करने वाले पुणे के चिकित्सक डा. पराग संचेती के मुताबिक अन्ना करीब पांच साल से ओस्टियो आर्थइटिस की समस्या से ग्रस्त है। जंतर-मंतर पर पांच दिन के अनशन के बाद जब अन्ना ने डा. संचेती से अपने घुटने की जांच कराई थी तब उन्हें घुटने बदलवाने और पूर्ण रू प से आराम करने की सलाह दी थी लेकिन अब अनशन के दौरान चलते-फिरते एवं दौड़ते हुए देख कर ऐसा लगता ही नहीं कि उन्हें घुटने की कोई समस्या है। घुटने बदलने के आपरेशन शटोटल नी रिप्लेसमेंटश के विशेषज्ञ डा़ वैश्य बताते हैं कि ओस्टियो अर्थइटिस या आर्थराइटिंस से ग्रस्त केवल दस प्रतिशत लोगों को घुटने बदलवाने की जरूरत पड़ती है, बाकी लोग अपनी इच्छा शक्ति, संतुलित जीवन शैली, खानपान, व्यायाम, वैकल्पिक चिकित्सा आदि की मदद से घुटना बदलवाए बिना सामान्य जीव जी सकते हैं।
    चिकित्सक की सलाह के विपरीत अन्ना ने इलाज कराना तो दूर एक दिन भी  सही तरीके से आराम नहीं किया, बल्कि अप्रैल के बाद से वह जगह-जगह पैदल यात्राएं करके राजनीतिज्ञों और लोगों को जनलोकपाल विधेयक के बारे में समझाने तथा उन्हें एकजुट करने के काम में जुटे रहे। डा. संचेती के अनुसार अन्ना के बहुत अधिक चलते फिरते रहने तथा आराम नहीं करने के कारण उनके घुटने काफी घिस गए हैं। ऐसी स्थिति में इंजेक्शन के जरिए भी घुटने की स्थिति में सुधार किया जा सकता है। अन्ना की यही जीवटता अब हर कोई हैरान है, आखिर अन्ना में इतना जोश और जज्बा कैसे आ रहा है।

कोई टिप्पणी नहीं: