बुधवार, 24 अगस्त 2011

उनकी वॉलिटियरशिप को सलाम करने का दिल चाहा !

सत्यजीत चौधरी
रामलीला मैदान पर अन्ना हजारे के अनशन का आठवां दिन। अन्ना के स्वास्थ्य को लेकर डॉक्टरों की चिंताओं ने देशभर में उनके लाखों चाहने वालों को फिक्रमंद कर दिया है। डॉक्टरों की सलाह है कि अन्ना को धूप से बचाया जाए, सो कुदरत ने भी अपना वात्सल्य उड़ेल दिया। झमाझम बारिश हुई और मौसम एकदम से खुशगवार हो गया। मैदान में मौजूद हजारों लोगों ने भी राहत की सांस ली। बारिश थमते ही नई मुसीबत खड़ी हो गई। पूरा मैदान कीचड़ और पानी से डबाडब हो गया। लेकिन यह क्या, अन्ना को समर्थन देने आए हजारों युवाओं ने कीचड़ साफ करनी शुरू कर दी। किसी ने उनसे ऐसा करने को नहीं कहा। युवक और युवतियां साफ सफाई में जुट गए। अन्ना के कॉज के इन खिदमतगारों में आईटी इंजीनियर थे तो बीपीओ के नफासत भरे माहौल में काम करने वाले यूथ भी थे। पानी की बोलतों को काटकर लड़कियों ने पानी बाल्टियों में भरना शुरू किया। लड़के उस पानी को मैदान के बाहर ठिकाने लगाते देखे गए। कोई घिन नहीं, शर्म का अहसास नहीं। कुछ युवकों ने मैदान में बारिश की वजह से गिर पड़े बैनर का सहारा लेकर पानी उलेचना शुरू कर दिया। उनकी वॉलिटियरशिप को सलाम करने का दिल चाहा।
      ये वही यूथ हैं, जिनपर आरोप लगता है कि वे बड़ों का आदर नहीं करते। सरेआम सिगरेट धौंकते हैं। पब में जाते हैं। गर्ल फ्रेंड के साथ शामें बिताते हैं। नहीं, ये वे युवा है, जो अन्ना के मकसद को समझते हैं। जनलोकपाल बिल की अहमियत को जानते हैं और चाहते हैं कि देश से भ्रस्टाचार का खात्मा हो और एक साफ-सुथरा सिस्टम आकार ले।
  पिछले एक हफ्ते के दौरान अन्ना को भारी जनसर्मथन मिला, लेकिन मंगलवार को तीन दिन की अपेक्षा अनशन स्थल पर भीड़ कुछ दिखी। तीन दिन की छुट्टियों के बाद लोग काम—धंधों पर लौट गए हैं। 

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