शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

महंगाई, काला धन, एफडीआई...हंगामा, और संसद की आठ बैठकें समाप्त

-अब केवल 12 बैठक शेष, लोकपाल से लेकर कई और महत्वपूर्ण विधेयक अटके
-महंगाई और काला धन भी बन रहे हैं संसद की कार्रवाई में रोड़ा
सत्यजीत चौधरी
     संसद के शीतकालीन सत्र में अन्ना ही नहीं पूरे भारत का सपना जनलोकपाल की तर्ज पर सरकारी लोकपाल लाने का देखा जा रहा था। इसी आश्वासन के बाद अन्ना ने रामलीला मैदान की सरजमीं से अपना अनशन खत्म कर देश को जीत की बधाई दी थी। माना जा रहा था कि संसद की शीतकालीन सत्र में लोकपाल बिल पास कर अन्ना ही नहीं पूरे देश की जनता के साथ एक इंसाफ होगा। लेकिन केंद्र सरकार के एफडीआई पर अड़ियल रवैये, भरष्टाचार, महंगाई और कालाधन जैसे मामलों की वजह से अभी तक आठ बैठकें हंगामे की भेंट चढ़ चुकी हैं। इस सत्र में कुल 20 बैठकों का आयोजन होना था, ऐसे में आठ बैठकों का बेकार जाना कई महत्वपूर्ण विधेयकों को लंबित की सूची में डाल सकता है।
संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर अन्ना हजारे ही नहीं पूरा भारत आशावान था। हो भी क्यों न, आखिर इस सत्र में उम्मीदों का लोकपाल विधेयक पास जो होने जा रहा था। सरकार ने भी अन्ना को शीतकालीन सत्र में इसे पास करने का आश्वासन देकर अनशन समाप्त कराया था। इस बार ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। दरअसल इस संसद सत्र में कुल 20 बैठकों का आयोजन प्रस्तावित है। इसमें से पहली आठ बैठकें तो बिना किसी चर्चा के ही समाप्त हो गई हैं। महंगाई, काला धन और बाद में एफडीआई ने संसद के यह महत्वपूर्ण आठ बैठकें हंगामे में तब्दील कर दी। एक ओर, सरकार एफडीआई के मुद्दे पर अपना फैसला वापस न लेने पर अड़िग है तो दूसरी ओर विपक्ष भी अब संसद का सत्र न चलने देने पर अड़ियल दिखाई दे रही है। हालांकि इन 20 बैठकों में लोकपाल सहित कई अन्य महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा और अनुमोदन होने थे लेकिन मुहर्रम से पहले सोमवार पांच दिसंबर को अवकाश की घोषणा के साथ ही अब केवल 12 बैठकें शेष रह गई हैं। ऐसे में अब लोकपाल जैसे विधेयक पर भी संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं। 
खुदरा बाजार में विदेशी निवेश के मामले में बीजेपी अपने कार्यस्थगन प्रस्ताव पर अड़ी हुई है। वो संसद में इस मुद्दे पर चर्चा कराने पर अड़ी है। दूसरी तरफ विरोध को कम करने की कवायद में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यूपीए के सहयोगियों के साथ बैठक की। प्रधानमंत्री ने सहयोगी दलों से कहा कि रिटेल में विदेशी निवेश से पीछे हटना अब संभव नहीं है। दूसरी तरफ चर्चा को लेकर आज आठवें दिन भी संसद की कार्यवाही वाधित है। राज्यसभा को हंगामे के बाद शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। साथ लोकसभा की कार्यवाही भी शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।

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