बुधवार, 14 दिसंबर 2011

कांग्रेस ने बढ़ाई सपा की बेचैनी

सत्यजीत चौधरी,
सपा की तिलमिलाहट इस समय चरम पर है।समाजवादी पार्टी को कांग्रेस ने दो बड़ी चोट दी है। पहला, रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाकर और दूसरा सपा के वोट बैंक में सेंध लगाकर नाराज चल रहे बुजुर्ग नेता रशीद मसूद को अपने पाले में शामिल कर। उधर, मुलायम सिंह यादव भी कांग्रेस को करारा झटका देने के मूड में हैं। सूत्रों का कहना है कि सपा केंद्र सरकार से समर्थन वापसी समेत कई अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है।
सपा जानती थी कि यूपी विधानसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस मुस्लिमों को रिझने के लिए कई पहल कर सकती है, लेकिन इस बात का अंदेशा नहीं था कि पहल इतनी बड़ी होगी। सपा को इस बात का मलाल है कि अमेरिका से परमाणु करार के मुद्दे पर जिस अजित सिंह ने अचानक पाला बदलकर यूपीए सरकार को गिराने के लिए मायावती से हाथ मिला लिया था, कांग्रेस उन्हीं अजित सिंह को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल करने जा रही है। कल्याण सिंह के साथ मुलायम सिंह की दोस्ती की वजह से मुसलमानों के दिल में जो जख्म बने थे, उन्हें कांग्रेस ने फिर से कुरेद दिया।
रशीद मसूद को शामिल कर पार्टी ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि समाजवादी पार्टी का मुस्लिमपरस्त चेहरा दिखावा मात्र है।
सपा मानकर चल रही थी कि आजम खान से खार खाए बैठे रशीद मसूद देर-सवेर रालोद का दामन थाम सकते हैं, लेकिन उन्होंने कांग्रेस का रुख किया। कांग्रेस यह भी जानती है कि रशीद मसूद ओबीसी कोटे के तहत मुसलमानों को आरक्षण दिए जाने के प्रबल पैरोकार है। इस मुद्दे पर पिछली बार उन्होंने समाजवादी पार्टी को अलविदा कहा था। पार्टी ने सलमान खुर्शीद और दीगर मुस्लिम नेताओं से विभिन्न मंचों से कहलवाया कि कांग्रेस मुसलमानों को आरक्षण दिए जाने की हिमायती है। इन बयानों में सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू न कर पाने की मजबूरियां गिनाते हुए जल्द ही उसे अमल में लाने के वादे भी किए गए। अब खबर यह है कि मुलायम पर पार्टी कार्यकर्ताओं का दबाव है कि यूपीए से समर्थन वापस लिया जाए, लेकिन सपा प्रमुख को इस तरह का कदम उठाने से बहुत सारे इफ और बट दिख रहे हैं।

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