बुधवार, 14 सितंबर 2011

फिर एक हादसा, फिर वही दावे

                                                        सत्यजीत चौधरी
   एक और रेल दुर्घटना। फिर न जाने कितनों के माथे का सिंदूर मिटा और कितनों की जिंदगी से सुकून उठा। नहीं जागी तो सरकार। हर रेल दुघर्टना के बाद सरकार और रेल मंत्रालय की ओर से दुघर्टना से बचने के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते है। हर बार अलार्म सिस्टम और एंटी कोजीजन डिवाइस लगाने के वादे किए जाते हैं लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात। बावजूद इसके रेलवे ने न तो एंटी कोलीजन डिवाइस लगवाया और न ही आटोमैटिक अलार्म सिस्टम। ज्यादातर हादसे दो ट्रेनों के टकराने या सिग्नल तोड़ने से हो रही हैं। ऐसे में ये तकनीक काफी अहम हैं।
    चेन्नई के पास हुए इस हादसे पर रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी का कहना है कि पहली नजर में ये मामला इंसानी चूक का लगता है, लेकिन उनका कहना है कि ईएमयू ट्रेन का ड्राइवर ना तो थका हुआ था और ना ही नशे में था। इस हादसे में ईएमयू ट्रेन का ड्राइवर भी जख्मी हुआ है। अब ड्राइवर ही हादसे के असल वजह का खुलासा कर पाएगा। वहीं, जानकारों के मुताबिक ये हादसा रेलवे की तकनीकी खामियों पर गं•ाीर सवाल खड़े करता है। गौरतलब है कि लंबे समय से ट्रेनों में आटोमैटिक अलार्म सिस्टम लगाने की मांग की जा रही है। इसके बाद भी ट्रेनों में आटोमैटिक अलार्म सिस्टम क्यों नहीं लगाए गए। ये सिस्टम रेड सिगनल तोड़ने पर अलार्म बजाता है और जरूरत पड़ने पर ट्रेन के इमरजेंसी ब्रेक भी लगाता है। जानकारों की मानें तो हर हादसे के बाद रेलवे की यही कवायद होती है कि दोषियों को ढूंढों और सारा दोष उनके मत्थे मढ़ दो। लेकिन, तकनीकी कमियों को दूर करने की कोशिश नहीं की जाती है। जो हर साल सैकड़ों रेल यात्रियों की जान बचा सकते हैं।

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