शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

........तो सबको है अन्ना की तमन्ना


सत्यजीत चौधरी
  अन्ना हजारे ने सिर्फ भष्टाचार के खिलाफ अलख नहीं जगाई है, उन्होंने हमारे जमीर को भी जगाया है। हमारे सरोकार को उद्वेलित किया है। नजीजे सामने आने शुरू हो गए हैं। लोग समझ चुके हैं कि मामूली से दिखने वाले इस फकीर के पास सत्य, अहिंसा और प्रण की ऐसी ताकत है, जो अच्छे-अच्छे को झुकने पर मजबूर कर दे। लोगों को हर मसले का हल अन्ना के पास नजर आने लगा है। यही वजह है कि मुख्य धारा से कटकर कश्मीर में अपना आंदोलन चला रहे अलगावादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस ने भी अन्ना से गुहार लगाई है कि वह कश्मीर आएं और कश्मीरियों पर हो रहे जुल्म से निजात दिलाएं। हुर्रियत के उदारवादी धड़े के नेता मीरवाइज उमर फारूख ने कश्मीर घाटी में निर्दो लोगों की हत्या रोकने के लिए अन्ना और उनकी टीम की मदद मांगी है।

  टीम अन्ना को रोज ढेरों पत्र और ई-मेल मिल रहे हैं, जिनमें स्कूल, कॉलेज, सामाजिक संगठन और करप्शन के खिलाफ लड़ रहे लोग अन्ना को अपने यहां बुलाने का आग्रह कर रहे हैं। वे सब अन्ना को सुनना और सुनवाना चाहते हैं। कई मैनेजमेंट संस्थानों ने भी अन्ना को न्योता भेजा है। लोगों के व्यक्तिगत संदेश भी मिल रहे हैं, जिनमें भष्ट अधिकारियों और दीगर समस्याओं का जिक्र होता है।
    इसी कड़ी में अलगावादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस के उदारवादी नेता मीरवाइज ईद—उल—फितर के मौके पर श्रीनगर की ईदगाह में जब हजारों लोगों को संबोधित कर रहे थे तो उन्होंने यह कहकर लोगों को चौंका दिया—‘गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ी है। हम उम्मीद करते हैं कि मानवता और अहिंसा के झंडाबरदार गांधीजी के अनुयायी जम्मू—कश्मीर में बेकसूर लोगों का कत्ल रोकने के लिए आवाज बुलंद करेंगे।’
    यहां यह गौरतलब है कि विवादस्पद सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) कानून के खिलाफ पिछले 11 साल अनशन कर रही मणिपुर की आयरन लेडी इरोम शर्मिला चानू अन्ना हजारे से मणिपुर आकर उनकी मुहिम को समर्थन देने की गुजारिश कर चुकी हैं। इरोम का मानना है कि अन्ना अगर मणिपुर आए तो उनके आंदोलन को बड़ा संबल मिलेगा। हालांकि इरोम बाद में पलट गर्इं और उन्होंने अन्ना के आंदोलन को वनावटी करार दिया।
जब अन्ना रामलीला मैदान में अनशन पर थे तो उत्तर प्रदेश सरकार के भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर परेशान पश्चिमी यूपी के किसानों ने भी अन्ना से मदद की गुहार लगाई थी।
    देशभर में ढेरों ऐसे लोग हैं, जो यह मान बैठे हैं कि अन्ना आ गए हैं और वह बहुत सारी परेशानियों से मुक्ति दिला देंगे। कई लोग यह सोच रहे हैं कि अन्ना सुधारवाद की आंधी लेकर आए हैं और जल्द ही देश को •ा्रष्टाचार, महंगाई, जमाखोरी और मुनाफाखोरी से मुक्ति मिल जाएगी।
    लोगों की दीवानगी का आलम है कि वे उनके बारे में किताबों में जानकारियां खोज रहे हैं। इंटरनेट पर साइटें खंगाल रहे हैं। वे अन्ना के जीवन का हर पहलू जान लेना चाहते हैं। बाजार में अन्ना से जुड़ी किताबों की मांग बढ़ गई है। प्रकाशक भी अन्ना और जनलोकपाल बिल से जुड़ी पुस्तकें बाजार में लाने की तैयारी में जुट गए हैं। पुस्तक बाजार में में इस समय लोकपाल फैक्ट एंड आर्ग्यूमेंट किताब की काफी बढ़ गई है। दुकानों पर अन्ना से जुड़ी जितनी किताबें आ रही हैं, दो दिन में उनका स्टॉक खत्म हो जा रहा है।

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