रविवार, 10 जुलाई 2011

यमुना एक्सप्रेस वे पर आशंकाओं के बादल

सत्यजीत चौधरी
तीस दिसम्बर, 2011 की तारीख पर सबकी आंखें अटकी हुई है। सियासी झंझावात और अदालती चक्करों में  फंसे उत्तर प्रदेश के यमुना एक्सप्रेस—वे पर औपचारिक रूप से आवाजाही शुरू करने की यही तिति निर्धारित की गई है।
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती और इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के योजनाकार जेपी ग्रुप इस आशंका से परेशान हैं कि जिस तरह से कांग्रेस एक्सप्रेस—वे को लेकर चालें चल रही है और पार्टी महासचिव राहुल गांधी •ाट्टा पारसौल से लेकर अलीगढ़ तक परेड कर रहे हैं, यह मामला किसी बड़े अदालती पचड़े में पड़ जाए। ग्रेटर नोएडा एक्सटेंशन पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तो परियोजना से जुड़ी हर पार्टी सहमी हुई है।
    इस प्रोजेक्ट को लेकर मायावती सरकार ने कई ख्वाब बुने हैं। एक्सप्रेस—वे के जरिये नोएडा से आगरा तक की 16५ किमी की दूरी महज डेढ़ घंटे में पूरी कराने का दावा कर रही राज्य सरकार इस शाही रास्ते पर फार्मूला वन रेस कराने की •ाी एक योजना को आकार दिए बैठी है। इस अंतरराष्टÑीय आयोजन से सरकार और जेपी ग्रुप को •ाारी मुनाफा होने का अनुमान है।
    जेपी ग्रुप चाह रहा है कि फार्मूला वन के आयोजन से पहले किसी तरह एक्सप्रेस—वे पर वाहन फर्राटा •ारने लगें। एक्सप्रेस वे प्रजेक्ट से ईवेंट का कई सीधा सम्बन्ध नहीं है, पर कंपनी चाह रही है कि इवेंट के दौरान कुछ विदेशी निवेश आकर्षित करने में कामयाब हो जाए। यही वजह ंहै कि सरकार के साथ हर समीक्षा बैठक में जेपी ग्रुप के अधिकारी अक्टूबर से पहले एक्सप्रेस—वे चालू करने पर जोर दे रहे हैं, जबकि यमुना एक्सप्रेस अथॉरिटी के अफसरान अपनी मजबूरियां गिना रहे हैं। तीस अक्टूबर से शुरू होने जा रहे फार्मूला वन को महेंद्रा सत्यम् प्रायोजित कर रहा है। फिलवक्त नोएडा से अलीगढ़ तथा महामाया नगर से आगरा तक की सड़क सीमेंटेड करने का काम चल रहा है। बारिश कई अन्य तरह के काम में खलल डाल रही है। 

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