बुधवार, 27 जुलाई 2011

रब्बानी ने दिखाई खुशरंग 'हिना'

सत्यजीत चौधरी
 परवेज मुशर्रफ समेत अब तक भारत आए पाकिस्तान के अधिसंख्य नेता अपने साथ खार यानी कांटे लेकर आए। यह पहला मौका है, जब कोई पाकिस्तानी लीडर ने हिंदोस्तान की जमीन पर पैर रखने के बाद खार यानी कश्मीर का जिक्र नहीं किया। जी हां, बात हो रही पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार की।
    हिना की भारत की यात्रा की साइडलाइन में बात की जाए तो कई कई ऐसे हालात पैदा हुए जिन्हें प्रोटोकॉल के लिहाज से वाजिब नहीं माना जा सकता। भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा से मुलाकात से पहले हिना ने हुर्रियत नेताओं, सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक, शब्बीर अहमद शाह, बिलाल गनी लोन और दीगर लोगों से मुलाकात कर डाली। हिना के इस कदम से तो एक बार लगा कि वह कश्मीर के एजेंडे पर ही यहां आर्इं हैं, लेकिन बुधवार को कृष्णा के साथ बातचीत में हिना ने साफ कर दिया कि वह वार्ता के लिए खुशरंग माहौल बनाने आर्इं हैं।
    हिना का मतलब होता है मेहंदी। इसे इत्तफाक ही कहा जाएगा कि आज से कोई दो दशक पहले राजकपूर ने भारत और पाकिस्तान के दो किरदारों को लेकर एक जज्बाती प्रेम कहानी सेल्यूलाइड पर लिखी थी और उसे नाम दिया था—हिना। 1991 में रिलीज हुई हिना की खास बात यह थी कि इसमें पाकिस्तान की अदाकारा जेबा बख्तियार ने ऋषि कपूर के साथ लीड रोल किया था। राज कपूर के निधन के बाद उनके बेटे रणधीर कपूर ने खासी मेहनत कर फिल्म को पूरा किया था। प्रेम त्रिकोण वाली इस फिल्म में राज कपूर ने सभी तरह के मसाले डाले थे, लेकिन त्याग और बलिदान के साथ फिल्म का समापन एक अलग तरह की कसक पैदा करता है।
  अब एक और हिना की चर्चाभारत भारत में है। यह संयोग ही है कि हिना मेहंदी के मौसम में भारत आर्इं हैं। सावन चल रहा है। तीज आने वाली है। लड़कियां चाव से मेहंदी रचा रही है। इसे शगुन मानकर बात की जाए तो हिना का रुख अब तक खासा सकारात्मक है। वैसे कृष्णा के साथ पहले उन्होंने कहा था, हम यहां सकारात्मक दृष्टिकण लेकर आए हैं। हम समझते हैं कि दोनों मुल्कों के रिश्ते माजी यानी अतीत से प्रभावित नहीं होने चाहिए। भारत को एक महत्वपूर्ण पड़ोसी बताते हुए उसके साथ अच्छे, सहयोगात्मक और दोस्ताना संबधों की इच्छा जाहिर करते हुए हिना ने कहा, हम क्षेत्र में दोनों देशों की जिम्मेदारियों को भी समझते हैं। 

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