शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

हाल ऐ कृषि मंत्री : खेती बाड़ी पर नजर या तो दिल्ली से या फिर मुंबई से

सत्यजीत चौधरी
   सरकार आप के द्वार जैसे नारे उछालने वाली सरकारों के मंत्री आम जनता के दुख—दर्द से कितने जुड़े होते हैं, इसके खुलासा आरटीआई के तहत कृषि मंत्रालय से पूछे गए एक सवाल से हुआ है। एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने कृषि मंत्री शरद पवार के दिल्ली से बाहर किए गए दौरों के बारे में पूछा था, जिसका मंत्रालय ने गोलमोल जवाब भेजा है।
     सवाल था कि केंद्रीय कृषि मंत्री ने पिछले एक साल के भीतर कितने आधिकारिक दौरे किए। नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में पदस्थ डायरेक्टर (पॉलिसी) एंड एपीलेट अथॉरिटी डॉ. एम. सुब्रायन ने जो जवाब विवणिका समेत आरटीआई एक्टिविस्ट शैलेंद्र सिंह को भेजा है, वह इस तरह है—केंद्रीय कृषि मंत्री ने दिनांक 24 जनवरी, 2010 को कृषि विश्वविद्याल, पुणे एवं दिनांक पांच जून, 2011 को राहुरी कृषि विश्वविद्यालय, अहमदनगर का दौरा किया। हालांकि, अपने विभन्न कायक्रमों के दौरान व कृषि से संबंधित संस्थानों/महाविद्यालयों का भी  दौरा किया, जिनका रिकार्ड सामान्यत: नहीं रखा जाता है। अपने विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री ने देश के विभिन्न गांवों का भी दौरा किया, जिनका रिकार्ड सामान्यत: नहीं रखा जाता।
    इस संक्षिप्त से जवाब के साथ ही दो पेज की दौरों से संबंधित विवरिणा संलग्न है, जिसे दौरे की तिथि, क्षेत्र और राज्य के विवरण को दर्शाया गया है। जवाब के मुताबिक एक अप्रैल, 2010 से लेकर चार अप्रैल, 2011 तक मंत्री महोदय ने दिल्ली से बाहर कुल 55 दौरे किए। इनमें से मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक की तर्ज पर 47 महाराष्ट के लिए थे। इस सूची को देखकर तो यही लगता है कि तमाम किसान महाराष्ट में बसते हैं, देश के सारे कृषि विश्वविद्याल, महाविद्यालय और कृषि संस्थान महाराष्ट में ही स्थित हैं।
     सब जानते हैं कि शरद पवार की जान महाराष्ट में बसती है। उनका जन्म इसी राज्य में हुआ है और महाराष्ट में ही उन्होंने राजनीति का ककहरा सीखा और पॉलिटिक्स के पावर हाउस बन गए। कोई मंत्री अपने गृह जनपद या राज्य का दौरा करे तो उसमें कोई बुराई भी  नहीं है, लेकिन जिस तरह से पूरे एक साल में शरद पवार ने धड़ाधड़ महाराष्ट के दौरे किए हैं, वे सवाल खड़े करते हैं।
   विवरण के मुताबिक पवार ने महाराष्ट के अलावा केरल के एक दौरा किया, जबकि कर्नाटक पर दो बार मेहरबान हुए। कृषि क्षेत्र में देश के सर्वाधिक पिछड़े राज्यों में से एक बिहार के लिए इस समयावधि में पवार सिर्फ दो सरकारी दौरों का समय निकाल पाए। देशभर का पेट भरने में महती भूमिका अदा करने वाले पंजाब का एक ही चक्कर लगा पाए, जबकि सिटी ब्यूटीफुल यानी चंडीगढ़ तीन बार गए। दिल्ली से लगे हरियाणा की सिर्फ एक ही यात्रा कर पाए।  
     आधिकारिक दौरे की इस फेहरिस्त में एक रोचक जानकारी यह है कि बागपत हरियाणा में है। क्रमांक संख्या 2 पर दर्ज इत्तला के मुताबिक एक सितंबर, 2010 को मंत्री महोदय ने हरियाणा के बागपत का दौरा किया। इस अवधि में उन्होंने मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात वगैरह के भी  दौरे किए, लेकिन असम को छोड़कर अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की तरफ कृषि मंत्री ने भूलकर भी  नहीं झांका।
    उत्तर प्रदेश में मिशन—2012 के तहत कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी गांव—गांव की धूल छान रहे हैं। पश्चिमी यूपी में भूमि अधिग्रहण नीति को लेकर उन्होंने मायावती सरकार की नींद हराम कर रखी है, लेकिन शरद पवार के पास वक्त नहीं है कि वे यूपी के किसानों के साथ हो रही ज्यादी पर उनका दुख—दर्द बांटें और उनकी आवाज बनें।  
      क्या कृषि मंत्री को बदहाली और भूख मर रहे बुंदेलखंड के किसानों की जानकारी नहीं है। पानी की समस्या से करार रहे उत्तर प्रदेश के हिस्से में पड़ने वाले बुंदेलखंड के सात जिलों के किसानों की परेशानियां क्या कृषि मंत्री की प्राथमिकताओं से बाहर है। देश की कृषि विभाग का जिम्मा संभालने वाले शरद पवार का सरोकार क्या महाराष्ट और क्रिकेट पॉलिटिक्स तक सीमित है। गठबंधन का धर्म निभाने में केंद्र की यूपीए सरकार क्या इतनी अंधी हो गई है कि उसे दिखाई ही नहीं दे रहा है कि कृषि जैसा अहम मंत्रालय संभल रहा उसका मंत्री कया कर रहा है।

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